गुर्जर समाज ने मनाया परम्परा के अनुसार श्राद्ध

gurjar shraadh01अजमेर। कृषि और दुग्ध व्यवसाय से अपनी आजीविका चलाने वाले गुर्जर समाज के लोगो ने दिपावली के अवसर पर अपने अपने पूर्वजों के श्राद्ध के लिए खीर, चूरमा और रोटी से थाली सजा कर कागोल के लिए झील किनारे ग्रास निकाल कर तर्पण किया। गौरतलब है कि पुरातन काल से गुर्जर समाज के पितरो की आत्मा को शांति व मृत्युपरांत मोक्ष प्राप्ति के लिए समाज के बच्चे, बडे और बुर्जुग किसी भी तालाब, नाडी या झील पर एकत्र होकर श्राद्ध मनाते है। गुर्जर समाज के लोगो ने बताया कि कई पीढीयो से श्राद्ध मनाते आ रहे है। गुर्जर समाज घुमक्कड जाति के होने के कारण एक ही दिन अपने पितरो को भोज देते है। तालाब के किनारे समाज के लोग एकत्र होकर परंपरा के अनुसार पितरो का श्राद्ध निकालते है। सुबह से ही समाज के लोग अपने-अपने घरो में खीर, दही और चूरमे के साथ पूर्वजो की मनपंसद खाद्य सामग्री बनाकर तालाब या झील के किनारे पहुॅचते है और पितरो को भोग लगाकर उनकी आत्मा शांति के लिए प्रार्थना करते है। इस आयोजन में समाज के सबसे छोटे बच्चे से लेकर परिवार के सबसे बडे बुर्जुग तक को इस पुनित काम में भागीदार होना आवश्यक है। समाज के लोग पितरो को ग्रास देने के बाद भगवान देवनारायण के मंदिर पर जाते है जहंा माथा टेक कर घर परिवार में सुख शांति की कामना करने के बाद दीपावली का त्योहार मनाते है।

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