अजमेर। कानून की बेडीयां भी संस्कृति और परम्परा के रिश्तो को बांध नही सकती। जेल में अपने जाने अनजाने किए गए गुनाहो की सजा काट रहे बंदियो को भी भाईदूज के पर्व का बेसब्री से इंतजार था। लिहाजा मंगलवार को जेल प्रशासन ने सामान्य मुलाकात के साथ भाईदूज के इस पर्व के लिए बहनो को भाईयो से मिलने और उन्हें भाईयो के माथे पर तिलक लगाकर भारत की संस्कृति और परम्परा का निर्वहन करने की छुट दी।
त्योहार के मद्देनजर साप्ताहीक मिलाई की रस्म और भाईदुज की रस्म एक साथ पुरी कर ली गई। इस बार इस पर्व को मनाने के लिए जेल में इंतजाम किये गये थे। अपने भाईयो से मिलने आयी बहनो ने उनकी जल्द रिहायी की प्रार्थना की। कुछ बहने इस भावुक क्षण में भावो को नहीं रोक पायी और उनकी आंखो से आंसू छलक उठे।
इस मौके पर काराग्रह में सजायाफ्ता बंदियो को प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विधालय की स्थानिय इकाई प्रभू उपहार भवन से आई ब्रह्माकुमारी बहनो ने कैदी भाईयो को तिलक लगाकर मुंह मिठा कराया और गुनाहो से तोबा करने के संदेश लिखे पत्रक भी दिए। जेल में ब्रह्माकुमारी बहनो द्वारा कैदीयो को संदेश देकर पश्चाताप करने और गुनाहो को हमेशा के लिए छोडने का संकल्प दिलाया।