अजमेर। दीपावली के दूसरे दिन मान्यता के मुताबिक गोवर्धन पूजा की जाती है। संस्कृति के अनुसार शाम के वक्त गोवर्धन पूजा की प्रथा चली आ रही है। घरो के बाहर आसपास की महिलाएं एकत्र होकर गाय के गोबर से गोवर्धन बनाती है और शाम को सभी पुरूष उसकी पूजा अर्चना करते है। गोबर से बनाये गये गोवर्धन को खील पताशों से सजाया जाता है। इसके बाद विभिन्न पकवानो का भोग लगाकर पूजा की जाती है। घर के छाटे बडे सभी पुरूष गोवर्धन की पूजा कर सात बार परिक्रमा करते है और भगवान गोवर्धन और कृष्ण की जय जयकार के साथ परिवार में खुशहाली की दुआ के साथ शंख और घंटा बजाकर आरती करते है।
गोवर्धन पूजन के साथ अन्नकूट का भी अपना अलग ही महत्व है। शहरभर के कई मंदिरो के अलावा घरो में भी अन्नकूट बनाकर प्रसाद वितरित करने की परंपरा चली आ रही है। नये धान, सब्जीयों आदि का अन्नकूट बनाकर भगवान को भोग लगाया जाता है। पुरातन परंपरा के मुताबिक अन्नकूट का अपना ही महत्व है। अन्नकूट का प्रसाद ग्रहण करने वाला स्वस्थ्य व निरोगी रहता है। इसलिए पहला भोग भगवान को लगाकर श्रद्धालुओं को अन्नकूट का प्रसाद वितरित किया जाता है। जिसमें पंचकुटे की सब्जी, कढी, चावल, बाजरे का खीचडा, पूडी आदि का भोग भगवान को लगाकर पूजा अर्चना के पश्चात् भंडारे में अनेको श्रद्धालुओं को अन्नकूट का प्रसाद दिया गया।