चांदी के ताजिये की जियारत, निकला अलम का जुलुस

tajiya01अजमेर। एतवार के रोज पांच मोहर्रम को मशहूर सूफी दरवेश हज़रत बाबा फरीद गंज शकर रहमतुल्ला अलेह की नियाज दिलाई गई। घरो में बाबा फरीद के नाम की खिचडी बनाई गई। सुल्तानुल हिन्द गरीब नवाज की दरगाह में बाबा फरीद के चिल्ले पर हजारो जायरीनों ने अकिदत के साथ हाजरी दी और चिल्ले की जियारत कर अपने आप को खुशनसीब पाया। गौरतलब है कि बाबा फरीद का चिल्ला अजमेर में साल में एक मर्तबा मोहर्रम की 4 तारीख से लेकर 7 तारीख सुबह तक खोला जाता है। जिसकी जियारत के लिए मुल्कभर से लाखों जायरीन इस चिल्ले पर जियारत करने के लिए आते है। जायरीन की इस मौके पर बडी आमद के सबब ही मोहर्रम को मिनी उर्स का नाम दिया गया है। गौरतलब है कि बाबा फरीद का मजार पाकिस्तान के मशहुर शहर पाकपट्टन में है। वहंा पर पांच मोहर्रम को बडी शानो शौकत के साथ बाबा फरीद का उर्स मनाया जाता है। जिसमें लाखों अफराद अक़ीदत के साथ शिरकत करते है। सिक्खों के मजहबी पेशवा जनाब गुरू नानक देव बाबा फरीद के सबसे नजदीकी मुरीदो मे से एक थे। पंजाब के मशहूर शहर फरीदकोट का नाम बाबा फरीद के नाम पर रखा गया है। बाबा फरीद के चिल्ले की जियारत से खुश जायरीन ने अपनी खुशी का इजहार इस तरह से किया।
alam julus01पाचं मोहर्रम को ही आशिकाने इमाम हुसैन ने दरगाह शरीफ में चांदी के ताज़ीये की जि़यारत की और उस पर फूल और सलाम पेश किये। गौरतलब है कि हिंदूस्तान मंे सिर्फ अजमेर मे ही चांदी का ताज़ीया निकाला जाता है। जिसको देखने के लिए लोगो में खासा जोश और ज़ज्बा रहता है। ये चांदी का ताजि़या मन्नती ताजिया है।इस ताजिये की सवारी लंगर खाना से शुरू होकर दरगाह शरीफ में महफील खाने के सामने होती हुई निजाम गेट पर पहंुची। वहां बडी तादात में लोगो ने जियारत की।
नौ और दस मोहर्रम को अंदरकोट में होने वाली हाइदोस और मोहर्रम के इन्तजामात को लेकर पंचायत अंदरकोट की जानिब से एतवार के रोज हताई चैक पर एक प्रेस कोन्फ्रेंस का इनाकाद किया गया। जिसमें पंचायत के औदेदारो ने मोहर्रम के मौके पर होने वाली रसुमात के बारे में बताया।
यूं तेा इस्लाम में इबादत की बडी फजीलत है। लेकिन मोहर्रम में इन फजीलतो में बहुत इजाफा होता है। सवाब कई कई गुना बढ जाता है। इसलिए खासी तादाद में मुसलमानो मे इबादत का जज्बा है। मोहर्रम की फजीलत के बारे मंे आशिकाने हुसैन ने अपने तासुरात कुछ इस तरह से बयान किए।
पीर के रोज गरीब नवाज की दरगाह में ईस्लामी साल 1435 की पहली महाना छठी की फातेहा दिलाई जायगी। जिसमें हजारों अक़ीदतमंद बढे अदब और अहतराम के साथ शिरकत करेंगे।

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