महाविद्यालयों में शीतकालीन अवकाश तिथियों में परिवर्तन का विरोध

ructa logoअजमेर। राजस्थान के महाविद्यालयों में शीतकालीन अवकाश की तिथियों में परिवर्तन करने पर रुक्टा (राष्ट्रीय) ने राज्यपाल, मुख्य सचिव एवं मुख्य निर्वाचन अधिकारी को पत्र लिख कर कड़ा विरोध व्यक्त किया है तथा इस आदेश को अविलम्ब वापस लेने की मांग की है। इस संबंध में जानकारी देते हुए रुक्टा (राष्ट्रीय) के महामंत्री डॉ. नारायण लाल गुप्ता ने बताया कि निदेशक कालेज शिक्षा ने अचानक मनमाने ढंग से शीतकालीन अवकाश पूर्व घोषित 25 से 31 दिसम्बर के स्थान पर 1 से 7 दिसम्बर घोषित कर दिया जिससे शिक्षकों, विद्यार्थियों एवं अभिभावकों में आक्रोश उत्पन्न हो गया है।
उल्लेखनीय है कि शीतकालीन अवकाश वैज्ञानिक एवं भौगोलिक एवं संवैधानिक कारणों से किया जाते रहे है। दिसम्बर अंत में उत्तरी भारत में कड़ाके की ठंड पड़ती है। लोक कल्याणकारी राज्य होने के संवैधानिक प्रावधान के चलते लोक स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए शीतकालीन अवकाश घोषित किये जाते हैं। अभी तेज सर्दी नहीं पडऩे लगी है, तथा दीपावली पश्चात् कॉलेज अभी 11 नवम्बर को ही खुले है, ऐसे में पुन: 1 दिसम्बर से अवकाश घोषित करना विद्यार्थियों एवं शिक्षकों दोनों केहित में नहीं होगा। इसके अतिरिक्त शैक्षणिक कलैण्डर राज्य सरकार की प्रवेश नीति का हिस्सा होता है, ऐसे समय जब आदर्श आचार संहिता लागू है, जन प्रतिनिधि चुनाव क्षेत्र में व्यस्त है। तो अधिकारियों द्वारा ऐसे नाजुक एवं महत्वपूर्ण समय पर जनमत की उपेक्षा कर नीतिगत निर्णयों में परिवर्तन करना आचार संहिता का भी उल्लंघन है। पूर्व में भी शीतकालीन अवकाश की तिथियों के संबंध मेें लोकसभा एवं विधानसभा में व्यापक बहस हो चुकी है।
महामंत्री डॉ. गुप्ता ने बताया कि निदेशक कॉलेज शिक्षा द्वारा 6 नवम्बर 2013 को एक आदेश निकाला गया जिसमें कहा गया है कि अधिकांश महाविद्यालय भवनों की निर्वाचन कार्य हेतु 2-3 दिन ही आवश्यकता रहती है। अत: शेष दिन शैक्षणिक सत्र सुचारू रूप से चलाया जा सकता है, वही 13 नवम्बर के आदेश में इसके विपरीत अधिकांश महाविद्यालयों के भवन जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा उपयोग में लेने के कारण शीतकालीन अवकाश समय पूर्व करने की बात कही गई है। इस प्रकार तथ्यों को गलत एवं विरोधाभासी ढंग से प्रस्तुत करने से अधिकारियों के प्रति विद्यार्थियों एवं शिक्षकों में रोष है।
वार्षिक कलैण्डर मई-जून में प्रवेश नीति में ही घोषित करने से शिक्षक, विद्यार्थी एवं अभिभावक अपनी छुट्टियों का पूर्व नियोजन कर लेते हैं। डॉ. गुप्ता ने बताया कि अधिकांश कॉलेज व्याख्याता सेक्टर अधिकारी के रूप में चुनाव ड्यूटी में व्यस्त है तथा उनकी ड्यूटी मतगणना में भी लग सकती है। दो माह की लम्बी चुनावी ड्यूटी के बाद कई शिक्षकों ने लम्बी यात्रा के ट्रेन, वायुयान एवं होटल आदि के आरक्षण भी करवा रखे हैं। ऐसे में अचानक, बिना जन भावनाओं की व्यापक परवाह किये हुए शीतकालीन अवकाश की तिथियों में परिवर्तन से सभी पक्ष आक्रोशित है।
डॉ. गुप्ता ने राज्यपाल, मुख्य सचिव एवं मुख्य निर्वाचन अधिकारी से मांग की है कि लोककल्याणकारी सरकार के निर्वाचित होने तक ऐसे नीतिगत विषयों पर लोकमत के विरुद्ध लिए गए अवैज्ञानिक निर्णय को निरस्त कर पूर्व घोषित शीतकालीन अवकाश बहाल किया जाय।

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