धार्मिक नगरी पुष्कर में सुअरों का आतंक

SUAR02अजमेर। धार्मिक नगरी पुष्कर में पालिका प्रशासन की लापरवाही के चलते मर्यादायें तार तार हो रही है ओर पाक स्थानों को नापाक करने कि कोशिशे जारी है। लंबे समय से पुष्कर में पालतु सुअर परेशानी का सबब बने हुये है। अब तो हालात इस कदर बिगडने लगे है कि हर तरफ सुअरों के आंतक से लोगों के सब्र का बांध टूटने लगा है। स्वामी न्यूज ने अपने कैमरे में सुअरों के इस तरह के तांडव को कैद किया जिससे हर किसी का दिल पालिका कों पानी पी-पी के कोस रहा है।
मानव के जीवन के बाद जिस स्थान से उसे अंतिम विदायी दी जाती है वहां पर भी चप्पे चप्पे पर सुअर विचरण करते देखे जा सकते है। इसमें कोई शंका नही कि शमसान के चारों तरफ घूमने वाले यह पालतू सुअर ना केवल इस पवित्र स्थान को दूषित कर रहे है बल्कि लोगो की भावनाओं को भी ठेस पहुंचा रहे है।
बडी बस्ती स्थित कैलाश भूमि में पुष्कर सहित अन्य गांवो से लोग अंतिम संस्कार के लिये आते है लेकिन यहां पर जिस तरह सुअर क्रीड़ा करते देखे जाते है उसको जरा आप भी देखिये।
इन पलों को देख कर आसानी से समझा जा सकता है कि पालिका कितनी संवेदनशील है? ओर किस तरह लोगांे कि भावनाओं के साथ खिलवाड किया जा रहा है।
SUAR01इससे भी बढकर हैरानी कि बात यह है कि नाग पहाड़ में स्थित पचकुंड जहां पर पांच पांडवों के कुंड है यहां पर रोजाना श्रद्धालु जिन कुंडो से आचमन करते है उन कुंडो को भी सुअर दूषित कर रहे है। र्दुगम पहाडियों की शोभा बढाने वाले मोर, कबूतर, ओर बंदर भी सुअरों के आंतक से भयभीत है। श्रद्धालु जो दानापानी इन पक्षीयों को डालते है सुअर उस दानापानी के साथ पक्षी का भी शिकार कर लेतें है। इतना ही नही सुअरों ने गौमुख स्थित पवित्र समाधियों को भी खुर्दबुर्द कर दिया है। चाहें रिहायशी इलाके हो या राष्ट्रीय राजमार्ग या फिर मुख्य बाजार हर तरफ सुअरों के अस्थायी कैंप बने हुये है।
सवाल यही उठता है कि आखिर इतना कुछ होने के बावजूद पालिका प्रशासन चुप्पी क्यों साधे हुये है? यदि पुरोहितों की बात पर विश्वास किया जाये तो पालिका प्रशासन ओर सुअर पालकों के बीच समझौता हो रखा है इसलिये सुअर खुले आम घूम रहे है।
दूसरी तरफ पालिका की अधिशासी अधिकारी सीता वर्मा का कहना है कि पालिका प्रशासन पूरी तरह इस समस्या के समाधान के प्रति कटिबद्ध है। पालिका ने पांच सुअर पालकों के खिलाफ न्यायलय में चालान पेश किया है। उन्होने विश्वास दिलाया है कि गुरूवार से सुअरों को पकडने के लिये विशेष अभियान चलाया जायेगा।
पालिका अपने दावों पर कितना खरा उतरती है, कब धार्मिक नगरी को इस गंभीर समस्या से निजात मिलती है ओर कब अपने आप को जिम्मेदार कहने वाले जनप्रतिनिधियों की नींद उडती है? यह तो आने वाला समय ही बतायेगा। लेकिन इतना जरूर है कि वर्तमान में जो कुछ हो रहा है उससे अंतराष्ट्रीय स्तर पर पुष्कर की छवि जरूर धूमिल हो रही है।

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