जल संरक्षण का संदेश गांव-गांव तक पहुंचाना होगा

Jila parishadअजमेर। जिला प्रमुख श्रीमती सीमा माहेश्वरी ने कहा कि जल के बिना जीवन की कल्पना संभव नही है। हमे जलसंग्रहण एवं उसके उचित दोहन का संदेश गांव-गांव तक पहुंचाना होगा, जिससे भावी पीढी को जलसमस्या से जूझना ना पडे।
श्रीमती माहेश्वरी आज जिला परिषद सभागार में बतौर मुख्य अतिथि राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल जागरूकता सप्ताह के तहत आयोजित जिला स्तरीय कार्यशाला को संबोधित कर रही थी। उन्होंने कहा कि स्वस्थ शरीर के लिए स्वच्छ व शुद्घ पेयजल आवश्यक है, आमजन को पानी से होने वाली बीमारियों से बचने के लिए पेयजल की गुणवत्ता का ख्याल रखना चाहिए। गांवों में हेडपंप के समीप सफाई रखे, पेयजल में फ्लोराइड के स्तर की जांच कराए एवं जलसंग्रहण की प्रवृत्ति का विकास कर पेयजल व कृषि क्षेत्र में आने वाली पानी की किल्लत को दूर किया जा सकता है।
जिला कलक्टर श्री वैभव गालरिया ने कहा कि जिले में भूजल का गिरता स्तर चिंता का विषय है, इसी कारण भूजल को लेकर अजमेर जिला डार्क जोन में शामिल है। अगर हम जल संरक्षण के महत्व को नहीं समझेंगे तो भावी पीढी के लिए एक बडी समस्या खडी कर देंगे। वर्षाजल का संग्रहण व संरक्षण कर भूजल के स्तर को चार्ज किया जा सकता है साथ ही जल के व्यर्थ दोहन को रोकना होगा। जलसंरक्षण एवं पेयजल की स्वच्छता व शुद्घता को लेकर गांवो के साथ शहरों में भी प्रचार-प्रसार करने की आवश्यकता है। इस संबध में उन्होंने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के विगत कार्यकाल में निकाली गई जलचेतना यात्रा कार्यक्रमों एवं उनकी सफलता का उल्लेख भी किया।
जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के अधीक्षण अभियंता श्री वी. के. शर्मा ने स्वागत उद्बोधन में कहा कि जलपूजन की परंपरा को मांगलिक कार्यो के दौरान घरों में निभाते आ रहे है। घरों में मांगलिक कार्यो के दौरान जल के पात्र के पूजन की परंपरा रही है, इसी के अनुरूप अब जलसंरक्षण को भी अपनाना होगा। विकास के साथ लोगों की आवश्यकताएं बढी है जिससे जल का दोहन व दुरूपयोग भी बढा है। वर्तमान समय में जलस्त्रोतों में आई कमी से बचने के लिए जलसंरक्षण के महत्व को सभी के लिए समझना आवश्यक है।
कार्यशाला में जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के अधीक्षण अभियंता श्री अनिल जैन ने जिले में पेयजल की स्थिति, जल सुरक्षा एव ग्रामीण क्षेत्रों में जल संरक्षण पर डिस्प्ले प्रजेंटेशन दिया। भूजल वैज्ञानिक श्री एल के हल्दानिया ने भूजल स्तर में गिरावट के कारण व बचाव विषय पर अपना उद्बोधन देते हुए फार्म टेंक, स्प्रिंकलर पद्घति, वर्षाजल संग्रहण तकनीकों की जानकारी प्रदान की। वरिष्ठ रसायनज्ञ श्रीमती अर्चना माथुर ने जलगुणवत्ता एवं उसका स्वास्थ्य पर प्रभाव विषय पर प्रजेंटेशन देते हुए जलजनित रोगों एवं बचाव पर अपना प्रजेंटेशन प्रस्तुत किया।
इससे पूर्व कार्यशाला का शुभारंभ अतिथियों ने मां सरस्वती चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलन कर किया। इस अवसर पर उपजिला प्रमुख श्री ताराचंद रावत, जिला परिषद सदस्य, अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिला परिषद श्री महेंद्र प्रकाश शर्मा, जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी मौजूद थे।

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