लाल गुलाल का पर्वोत्सव ब्यावर का बादशाह मेला

फाइल फोटो www.beawarhistory.com से साभार
फाइल फोटो www.beawarhistory.com से साभार

ब्यावर। राजस्थान के हृदय-स्थल ब्यावर नगर में होली पर्व का तीसरा दिन विभिन्न वर्गाे एवं सम्प्रदायों के लोगों द्वारा भाईचारा एवं कौमी एकता की भावना के संग सौहार्दं्र भरे एक अनूठे अंदाज़ में एक-दूसरे को गुलाल लगाकर मनाया जाता है। लाल गुलाल से होली खेलने का पर्व बादशाह मेला के नाम से जाना जाता है। यह बादशाह मेला प्रतिवर्ष अग्रवाल समाज के तत्वावधान में उमंग एवं उत्साह के साथ जन सहयोग द्वारा मनाया जाता है। जिसके लिए प्रशासन द्वारा शान्ति व कानून व्यवस्था सहित अन्य इन्तज़ामात किये जाते हैं। यह बादशाह मेला, मुगल शासक अकबर के ज़माने की उस घटना की याद को ताजा करने के उद्देश्य से मनाया जाता है जब अकबर बादशाह के नवरत्नों में एक नवरत्न सेठ टोडरमल अग्रवाल को ढ़ाई दिन की बादशाहत बख्शीश में मिली थी।
ऐसा कहा जाता है कि एक बार बादशाह अकबर शिकार करने जंगल में गये। राह में डाकू उन्हें लूटने एवं जान से मारने पर तुल गए तो ऐसी विकट परिस्थिति में नवरत्न सेठ टोडरमल अग्रवाल ने अपने वाक्चातुर्य एवं बुद्धिमता से बादशाह की जान माल को डाकुओं से सुरक्षित बचा लिया। जिससे खुश होकर तोहफे में सम्राट अकबर ने सेठ टोडरमल को ढाई दिन की बादशाहत बख्शी। सेठ टोडरमल अग्रवाल ने बख्शीश में मिली इस ढाई दिन की बादशाहत के अंतिम ढाई घण्टे के दौरान बड़ी शान व शौकत के साथ अपनी बादशाहत की सवारी निकालते हुए गरीब जनता को धनवान बनाने हेतु बादशाह के खजाने से दिल खोलकर धन लुटाया। उनकी सवारी की अगवानी, स्वयं सम्राट अकबर ने की थी। बादशाहत की ऐसी ऐतिहासिक घटना को अविस्मरणीय एवं तरोताज़ा बनाये रखने केलिए अग्रवाल समाज एवं बादशाह मेला समिति की ओर से ब्यावर नगर में होली पर्व के तीसरे दिन बादशाह की सवारी बादशाह मेला दौरान निकाली जाती है। नगर के मुख्य बाजार एवं बादशाह सवारी मार्ग गुलालमय हो जाते हैं। मेला देखने हेतु न केवल नगर की बल्कि दूर-दराज ग्रामीण अंचल की जनता-जनार्दन भारी तादाद में शिरकत करती हैं और परस्पर एक-दूसरों को गुलाल लगाकर खुशी का इज़हार करते हुए आयोजन की महत्ता बढ़ाते हैं। मेला में टोडरमल रूपी बादशाह, खजाने की प्रतीक स्वरूप ‘‘ लाल गुलाल ’’ लुटाते हैं तथा बीरबल रूपी उनका अभिन्न मित्रा बादशाह सवारी के आगे आकर्षक नृत्य प्रस्तुत करता है। बादशाह सवारी दौरान लुटाई जाने वाली गुलाल को लूटने केलिए लोगों में बड़ी उत्सुकता एवं तत्परता का माहौल छा जाता है। ऐसी मान्यता है कि बादशाह सवारी दौरान लूटी गई गुलाल को तिजोरी व दुकान में रखने से गल्ला (खजाना) कभी खाली नहीं होता। बादशाह की सवारी ब्यावर में एकता सर्किल के समीप स्थित भैंरूजी का खेजड़ा से प्रारम्भ होकर अग्रसैन बाजार होतेहुए अजमेरी गेट, एसबीआई , पोस्टऑफिस होतेे हुए सूर्यास्त के समय कोर्ट परिसर में नगर के प्रशासनिक अधिकारी कार्यालय परिसर मंे एसडीओ के साथ गुलाल खेलकर नगर विकास का आदेश दिया जाता है। एसडीओ द्वारा बादशाह व बीरबल के सम्मान के पश्चात् बादशाह सवारी अपने गंतव्य को लौट जाती है। इस बार बादशाह का भव्य मेला 18 मार्च को आयोजित होने जा रहा है। जिसे सफल बनाने के लिए बादशाह मेला आयोजन समिति के संयोजक पवन रायपुरिया, सह-संयोजक सर्वश्री राकेश गुप्ता , नरेन्द्र बजारी व शैेलेन्द्र गुप्ता तथा अग्रवाल समाज के अध्यक्ष अनिल मित्तल व मंत्राी सुनील जिन्दल सहित अन्य पदाधिकारीगण अपनी टीमसहित जुटे हुए हैं। ब्यावर एसडीएम भगवती प्रसाद द्वारा भी बादशाह मेला समिति व अग्रवाल समाज के पदाधिकारियों केसाथ विभागीय अधिकारियों की बैठक में लीजाकर होली पर्व एवं बादशाह मेला के मध्यनज़र बढ़िया लाल गुलाल का प्रयोग, नगर में साफ-सफाई, अग्निश्मन, एम्बुलेन्स, रोशनी व विद्युत, मज़बूत स्टेज तथा कानून व सुरक्षा के पुख्ता बन्दोबस्तों सहित रोड़वेज द्वारा मेलार्थियों के लिए अतिरिक्त बसों के संचालन तथा तीर्थराज पुष्कर से ब्यावर के इस मेला को देखने आनेवाले पर्यटकों हेतु विशेष बस व्यवस्था बाबत् गहन विचार-विमर्श किया जा चुका है। बादशाह मेला मंें मतदाता जागरूकता हेतु बादशाह मतदाताओं का आह्वान भी करेंगे। एसडीएम भगवती प्रसाद, डीएसपी घनश्याम शर्मा एवं बादशाह मेला समिति सदस्यों ने नागरिकों से मेला दौरान कानून व व्यवस्था बनाये रखने में सहभागिता निभाते हुए बढिया लाल गुलाल प्रयोग करतेहुए बादशाह मेला का आनन्द उठाने का विशेष अनुरोध पुनः दोहराया है।

error: Content is protected !!