‘संगीत संध्या‘ में श्रोता झूमते रहे

intachअजमेर / अजमेर स्थापना दिवस के अवसर पर इण्डियन नेशनल ट्रस्ट फार आर्ट एण्ड कल्चरल हैरिटेज ‘इन्टेक‘ अजमेर चेप्टर द्वारा रेडक्रास सभागार में आयोजित ‘संगीत संध्या‘ में श्रोता राजकीय महाविद्यालय के संगीत विभागाध्यक्ष व प्रख्यात गायक डॉ. नासिर मोहम्मद मदनी के संगीत निर्देशन में प्रस्तुत गीत, भजन और गजलों में झूमते रहे। कार्यक्रम के प्रारंभ में इन्टेक अजमेर चेप्टर के संयोजक महेन्द्र विक्रम सिंह ने अपने स्वागत उद्बोधन में अजमेर की स्थापना तथा इन्टेक की गतिविधियों के विषय में बताया।
संगीत संध्या का प्रमुख आकर्षण साहित्यकार उमेश कुमार चौरसिया द्वारा रचित एवं डॉ. नासिर मोहम्मद मदनी द्वारा स्वरबद्ध गीत अजमेर पे हमको नाज़ है की प्रस्तुति रही, जिसे श्रोताओं ने खूब सराहा। डॉ. मदनी, ममनून मदनी और उनके विद्यार्थियों नीतू चौहान, प्रिया हरदुनिया, मनीषा शास्त्री, अमन मेघवंशी, सौरभ सिंह भाटी व शाहनवाज मदनी ने सुरीली प्रस्तुतियों देते हुए सैंया हीरे मोती मैं ना चाहूं, तेरी दीवानी, हमारी सांसों में आजकल वो हिना की खूश्बू महकती है, सांस भी लूं तो मेरे लबों पर नाम तेरा ही आता है, केसरिया बालम, भजन मन लागो मेरो यार फकीरी में, सूफी गज़ल तुम नहीं मेरी जिंदगी के लिए चैन मिल जाए दो घड़ी के लिए तथा चुपके चुपके रात दिन सुनाकर सारा वातावरण संगीतमय बना दिया।
इस अवसर पर इतिहासकार प्रो. ओ0पी0शर्मा द्वारा अजमेर पर लिखित संक्षिप्त आलेख कया भूलूं क्या याद करूं का विमोचन भी किया गया। संचालन श्रीमती ममनून मदनी ने किया तथा आर्गन पर समीर, आक्टोपैड पर सतीश दीक्षीत एवं तबले पर सुरेन्द्र ने संगत की। उमेश चौरसिया ने आभार अभिव्यक्त किया। इन्टेक सह संयोजक राजेश गर्ग, संगीत संध्या संयोजक कमल शर्मा व पद्मश्री सीपी देवल ने कलाकारों का अभिनन्दन किया।
-महेन्द्र विक्रम सिंह
संयोजक, इन्टेक अजमेर चैप्टर

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