2500 मस्त मलंग पैदल रवाना हुए

Dargaah 28अजमेर / विष्व प्रसिद्ध महान सूफी संत हज़रत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिष्ती के 802 वें सालाना उर्स  का पैगाम (संदेष) देने के लिए देष भर के लगभग 2500 मस्त मलंग मैरोली (दिल्ली) स्थित हज़रत ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी की दरगाह षरीफ से 18 अप्रैल को छड़ियां (ध्वज) लेकर पैदल रवाना हुए। इन मस्त कलन्दरों का गत वर्शों की भांती इस वर्श भी 29 अप्रैल मंगलवार को सायं 4.00 बजे किषनगढ़ फाटक से पहले फ्लाई ओवर के पास, सर्वधर्म एकता समिति की ओर से माल्यार्पण व पुश्प वर्शा से भव्य स्वागत किया जायेगा तथा इनके व जयपुर की ओर से पैदल आने वाले जायरीन के लिए जलपान व लंगर कि व्यवस्था की जायेगी तथा इस अवसर पर महफीले कव्वाली होगी। जिसमें दरगाह षरीफ की षाही चौकी के कव्वाल अख्तर हुसैन, अमजद हुसैन, सूफियाना कलाम पेष करेंगे। महफील की सदारत सर्वधर्म एकता समिति के संरक्षक व संस्थापक बाबा साहब षाह सैयद अरषद अली चिष्ती कादरी करेंगे। यह जानकारी देते हुए समिति के उपाध्यक्ष मिर्जा मोईन अरषदी ने बताया की समिति पिछले 8 वर्शों से यह आयोजन करती आ रही है। समिति के अध्यक्ष व दरगाह ख्वाजा साहब के खादिम हाजी सैयद खुषतर चिष्ती ने बताया की छड़िया पैदल लाने की परम्परा 800 वर्श पूर्व हज़रत ख्वाजा साहब के पहले खलीफा व जानषीन हज़रत ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी ने आरम्भ की थी। आप खुद छड़िया लेकर अपने कुछ मुरीदों के साथ दिल्ली से पैदल अजमेर आए थे। उसी 800 वर्श पुरानी परम्परा का निर्वाहन ये मस्त मलंग आज तक करते आ रहें है। जो सराहनीय है। चिष्ती ने बताया कि पुराने समय में जब संचार का कोई साधन नही था। तब इसी तरहा से उर्स षुरू होने का संदेष लोगो को दिया जाता था। यह एक ऐतिहासिक परम्परा है।

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