-शंकर खारोल- सुरजपुरा। कम्प्युटर युग में आज भी समाज के कई लोग पुरानी सोच लेकर समाज में अंधविष्वास को मजबूत करने का प्रयास करते है मगर सामाजिक कार्यकर्ता रणजीतसिंह केसावत ने अंधविष्वास को ठेंगा दिखाया है। रणजीतसिंह केसावत ने समुदाय में सुबह-सुबह बिल्ली का मुॅह देखना अषुभ होने की व्याप्त गलत धारणा को ठेंगा दिखाया है। रणजीतसिंह ने समीपस्थ अपने गांव मानपुरा में तीन साल से स्वयं के घर पर बिल्लिया पालना षुरू कर दिया और रोज उठते ही इनका मुहॅ देखते है एवं षुभ कार्य के लिए जाते समय भी बिल्लियो को दुलारकर ही जाते है और अब उनके परिवार ने भी ऐसा करना षुरू कर दिया है। स्वयं व परिवार में किसी को आज तक किसी प्रकार का कोई अपषकुन देखने को नही मिला है। जब रणजीत ने अपने घर पर बिल्लियां पालना षुरू किया तो इनके ग्रामीणो एवं स्वजातीय बन्धुओ ने इसका विरोध किया कि बिल्ली पालना अषुभ होता है मगर रणजीत व इनके परिवार ने किसी की बात पर कोई ध्यान नही दिया। रणजीत ने बताया कि उनके लिए बिल्लियां बहुत षुभ रही है। उनके घर में पहले से कहीं ज्यादा बरकत आयी है। पहले वे दुध लेने दुसरो के घर जाते थे आज लोग उनके घर दुध लेने आते है। आज उनके पास पर्याप्त पषुधन है। उनके घर-परिवार की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होने लगी है। पहले वे अक्सर पैदल ही या़त्रा करते थे लेकिन आज उनके पास दुपहिया एवं चार पहिया वाहन भी है। घर-परिवार में भीष्बहुत षांति है। रणजीत ने बिल्लियो की दोस्ती अपने कुते(टॉमी)से भी करवा दी । घर में कुता और बिल्लियां एक ही थाली में एकसाथ दुध पीते है जिन्हे देखकर सभी आष्चर्य करते है। रणजीत का मानना है कि बिल्ली कभी अषुभ नही होती बल्कि ये बेजुबान तो प्यार करने वाले इंसान के लिए भगवान से दुआ करते है और उनके लिए भी की है जिसे स्वयं और उनके परिवार ने महसुस भी किया है। समाजसेवा एवं प्रकृति में रूचिवान रणजीतसिंह वर्तमान में दिषा आरसीडी संस्था मदार,अजमेंर में केकडी ब्लॉक कॉर्डिनेटर के पद पर कार्यरत है जो अंधविष्वास के खिलाफ एवं महिला सषक्तिकरण के लिए काम करते है। रणजीत ने बिल्लियो के प्रति व्याप्त अंधविष्वास को वाकई ठेंगा दिखाया है। रणजीत का कहना है कि हमें बेजुबानो के प्रति विषेष सहानुभुति रखनी चाहिये।