दरगाह नाजिम को कारण बताओ नोटिस जारी

Dargaah 18अजमेर। अजमेर दरगाह के चढ़ावा प्रकरण में हाईकोर्ट के दिषा निर्देषों की पालना नहीं करने से नाराज राजस्थान उच्च न्यायालय की न्यायाधीपति बैला एम. त्रिवेदी ने दरगाह नाजिम को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुऐ 3 जुलाई को आदालत में तलब किया है।
दरगाह दीवान के विधि परामर्षी सैयद गुलाम नजमी फारूकी ने बताया कि हाईकोर्ट ने अपने 13 नवम्बर 2013 के आदेष में दरगाह में आने वाले चढ़ावे को इकट्ठा करने के लिए के संबंध में दरगाह नाजिम को रिसीवर नियुक्त किया था। लैकिन दरगाह नाजिम द्वारा आज तक हाईकोर्ट के दिषा निर्देषों की पालना नहीं की गई इस लिऐ डिक्रीदार दरगाह दीवान की और से हाईकोर्ट में एक अर्जी दायर कर नाजिम एवं रिसीवर को हाईकार्ट के दिषा निर्देषों की पालना करने के निर्देष जारी करने का आग्रह किया गया था। प्रार्थनापत्र पर राजस्थान उच्च न्यायालय की न्यायाधीपति बैला एम. त्रिवेदी ने दरगाह नाजिम को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुऐ आदेष से अब तक की प्रगति रिर्पोट सहित 3 जुलाई को अदालत में व्यक्तिषः हाजिर होने के निर्देष दिऐ है।
हाईकोर्ट द्वारा यह दिशा-निर्देश दिए थे।
हाईकोर्ट ने अपने 13 नवम्बर 2013 के आदेष में कहा था कि दरगाह में आने वाले चढ़ावे को इकट्ठा करने के लिए गुंबद के बाहर व भीतर जगह-जगह पर लोहे के बड़े बक्से लगाए जाएं जिससे कि जायरीन व अन्य आगंतुक नगदी, मूल्यवान वस्तुएं उनमें डाल सकें। इन बक्सों पर ताले लगाएं जाएं और इसकी चाबी नाजिम के पास रखी जाए। यदि पशु या अन्य सामान चढ़ाया जाए तो नाजिम उसे दीवान व खादिम में बराबर मात्रा में बांट सकता है। गुंबद के भीतर रखे बॉक्स में एकत्रित हुए दान को नाजिम दैनिक, साप्ताहिक व मासिक रूप से दीवान और खादिम के बीच में बंटवारा करेंगे। बॉक्स खुलने के समय दीवान व उनके प्रतिनिधि सहित खादिम व उनके प्रतिनिधि वहां पर मौजूद रहेंगे। नाजिम को यह स्वतंत्रता रहेगी कि वे अपनी जगह पर किसी अन्य को अपना प्रतिनिधि नियुक्त कर सकेंगे।
हाईकोर्ट ने नाजिम को निर्देश दिया था कि वे चढ़ावे का नियमित ब्यौरा रखेंगे। अदालत ने खादिमों व उनके अन्य प्रतिनिधियों को भी पाबंद किया था कि वे नाजिम या उनके प्रतिनिधियों व दीवान व उनके प्रतिनिधियों को व दरगाह कमेटी के सदस्यों को गुंबद के बाहर व भीतर प्रवेश करने और बैठने के संबंध में कोई बाधा पैदा नहीं करेंगे। अदालत ने कहा था कि यदि नाजिम को आदेश के पालन में कोई परेशानी हो तो वे इस अदालत में आ सकते हैं। परंतु न तो नाजिम हाईकोर्ट के समक्ष गऐ और न ही हाईकोर्ट के दिषा निर्देषों की पालना में कोई साकारात्मक कदम उठाऐ इससे नाराज होकर हाईकोर्ट न्यायाधीष माननीय बैला एम. त्रिवेदी ने दरगाह नाजिम कोे व्यक्तिषः मय पूर्व कार्यवाही 3 जुलाई को अदालत में हाजिर होने के आदेष जारी किये हैं।
क्या है 80 साल पुराना ये मामला
तत्कालीन दरगाह दीवान सैयद आले रसूल ने दरगाह में पेश होने वाले नजराने में हिस्सा दिए जाने के लिए एक वाद संख्या 37/1926 न्यायलय सब जज अजमेर मे खादिम अल्ताफ हुसैन व अन्य के खिलाफ दायर किया। 3 मई 1933 में आले रसूल का दावा मंजूर हुआ और उन्हें नजराने में आधा हिस्सा दिए जाने के आदेश जारी किऐ गऐ 29 जनवरी 1940 को संशोधित डिक्री पारित हुई। डिक्री के दो हिस्से थे। इसमें से एक में कहा गया था कि आस्ताना शरीफ में पेश होने वाले नजराने में खादिम और दीवान का बराबर हिस्सा होगा। दीवान आले रसूल विभाजन के समय पाकिस्तान चले गए थे। कुछ सालों तक बंटवारे की व्यवस्था भी रही लेकिन फिर दीवान का हिस्सा बंद हो गया। तब डिक्री की पालना के लिए वर्तमान दीवान जैनुअल आबेदीन ने 17 अगस्त 1991 में इजराय याचिका दायर की थी। जिस पर जिला एवं सत्र न्यायाधीष उमेष कुमार शर्मा ने 20 जुलाई 2013 को निर्णय करते हुऐ दरगाह पर आने वाले चढ़ावे के संबंध में दरगाह कमेटी को रिसीवर नियुक्त किया। खादिमो द्वारा एक निगरानी याचिका हाईकोर्ट में दायर कर जिला एवं सत्र न्यायाधीष उमेष कुमार शर्मा 20 जुलाई 2013 के निर्णय चुनौती दी थी जिस पर न्यायाधीपति बैला एम. त्रिवेदी ने 13 नवम्बर 2013 को उक्त आदेष दरगाह नाजिम को दिऐ थे यह मामला अभी भी सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन है लेकिन सुप्रिम कोर्ट ने इस इस आदेष पर किसी प्रकार का स्थगन आदेष नहीं दिया हुआ है।
सैयद गुलाम नजमी फारूकी Advocate
Mob. No. 7737330786

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