अजमेर / राष्ट्र रक्षा में बलिदान हुये सिन्धुपति महाराजा दाहरसेन के 1302वें बलिदान दिवस के अवसर पर 16 जून को पुष्कर रोड स्थित सिन्धुपति महाराजा दाहरसेन स्मारक पर इस बार सिंध के पकवानों के साथ भव्य मेला आयोजित किया जाएगा। सिन्धी संगीत समिति(रजि)अजमेर द्वारा इस मेले में सिंध के पकवानों की महक के साथ पहली बार 1947 के विभाजन व उसके बाद में सिंध प्रदेश के विस्थापित परिवार अपनी सहभागिता निभाने अजमेर आएंगे, जो देश के विभिन्न भागों में बसे हैं। आयोजन समिति ने प्रदेश के बाड़मेर, जैसलमेर सहित सीमावर्ती इलाकों में व्यक्तिगत सम्पर्ककर इन्हें आमंत्रित किया है। इस अवसर पर सिंधु सभ्यता से जुड़े दस्तावेज एवं साहित्य भी आम दर्शकों के लिए प्रदर्शित किए जाएंगे।
समिति के विनीत लोहिया ने जानकारी देते हुये बताया कि महाराजा दाहरसेन के बलिदान दिवस को यादगार बनाने में जुटी आयोजन समिति सीमावर्ती इलाकों में जाकर उस संस्कृति से जुड़े दस्तावेज, परिवेश, सिक्के, चित्र एवं अन्य सामग्री को मेले के दौरान प्रदर्शित करने हेतु अपने साथ लाने का भी आग्रह किया है। खान-पान से जुड़े लोगों की फिजा में सिंधी व्यजनों की महकम घोलेंगे। इन्हें निमंत्रित करने हेतु कंवल प्रकाश किशनाणी, पार्षद वासुदेव कुन्दनाणी, महेन्द्र कुमार तीर्थांणी एवं हरि चन्दाणी का दल पांच दिवसीय दौरे पर इन इलाकों के गांव-गांव, ढाणी-ढाणी में जाकर सम्पर्ककिया।
तीर्थनगरी अजमेर के इतिहास में नए रंग भरने वाले भागीरथ तत्कालीन नगर सुधार न्यास के अध्यक्ष औंकार सिंह लखावत ने हिन्दू सम्राट पृथ्वीराज चौहान को इस शहर की पहचान बनाने के बाद बूढ़ा पुष्कर के जीर्णाेद्धार की महत्त्व योजना के बाद दूसरा अध्याय सिंधुपति महाराज दाहरसेन का कोटड़ा में स्मारक बनवाकर लिखा। 1997-98 से यह स्मारक विभिन्न सरकारों एवं स्थानीय निकायों की उपेक्षाओं की मार झेलता रहा। स्मारक के फिर अच्छे दिन आ गए जब लखावत पुनः राजस्थान धरोहर संरक्षण एवं प्रन्नोति प्राधिकरण के अध्यक्ष नियुक्त हुए हैं। इसी के साथ नई ऊर्जा एवं जोश के साथ सिंधी समाज एवं आयोजन समिति से जुड़े विभिन्न समाज के लोग दाहरसेन को जन-जन तक पहुंचाने में जुट गए हैं।
दाहसेन समाज एवं देश की अहम पहचान बने उसके लिए जरूरी होगा कि सिंधुपति दाहरसेन को राष्ट्रीय स्तर पर स्कूली शिक्षा पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया जावे। उनके बलिदान दिवस पर डाक टिकट जारी कर जन-जन तक उनके संदेशों को फैलाने के प्रयास किए जाने चाहिए। अजमेर शहर सिंधी समाज का बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण इन बातों का भी प्रयास किया जाना चाहिए कि शहर के किसी प्रमुख चौराहे, मुख्य सडक़, सरकारी भवन, विश्वविद्यालय के किसी भवन का नाम महाराजा दाहरसेन के नाम पर रखा जाए।
हाल ही नगर सुधार न्यास से बने अजमेर विकास प्राधिकरण को भी अपनी भावी परियोजनाओं में दाहरसेन के नाम को शामिल किया जाना चाहिए। प्रस्तावित नई कॉलोनियों में दाहरसेन नगर पर विचार करते हुए इस इतिहास पुरुष को आने वाली पीढ़ी को सौंपने में अहम भूमिका प्राधिकरण निभा सकता है। देश के विभिन्न अंचलों से आने व जाने वाली ट्रेनों में भी एक का नामकरण दाहरसेन एक्सप्रेस किया जा सकता है। इसी क्रम में महाराणा प्रताप, पृथ्वीराज चौहान जैसे महान योद्धाओं के नाम से राज्य स्तरीय पुरस्कारों की सूची में राज्य सरकार महाराजा दाहरसेन का नाम शामिल कर अच्छी पहल कर सकती है।
विनीत लोहिया
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