नाट्यकला को जीवित रखने की चुनौति-रासबिहारी गौड़

100_2617100_2629अजमेर / नाट्यवृंद थियेटर एकेडमी, अजमेर फोरम व इण्डोर स्टेडियम के संयुक्त तत्वावधान में 21 जून तक चलने वाली 15 दिवसीय ग्रीष्मकालीन ‘यूथ एक्टिंग वर्कशॉप (युवा अभिनय कार्यशाला)‘ में आज 9 जून मंगलवार को निर्देशक उमेश कुमार चौरसिया ने स्वर अभ्यास के साथ-साथ विविध थियेटर स्किल्स के द्वारा शारीरिक गति व एक्शन का अभ्यास कराया। विशेष सत्र में विख्यात हास्य कवि रासबिहारी गौड़ ने युवा प्रतिभागियों को मंचीय अभिव्यक्ति के महत्वपूर्ण बिन्दुओं का विशेष प्रशिक्षण दिया। उन्होंने अपने रोचक अंदाज में बात करते हुए कहा कि प्रस्तुतिकरण के चरित्र मे ंद्वेत नहीं होना चाहिये। चरित्र जो कह रहा है, जो कर रहा है उसे अभिनेता को जीना पड़ता है, उसी पात्र में डूबना पड़ता है तभी दर्शक प्रभावित होते हैं। वर्तमान दौर में विकास के आवरण ने नाट्यकला का गला घोंट दिया है। आज उन्मुक्त हंसी और संवेदनशीलता लुप्त हो रही है। संवेदना को जिंदा रखते हुए अपने समय की चुनौतियों को समझते हुए नाट्यकला को जीवित रखने की चुनौति आज युवा पीढ़ी के समक्ष है। कलाकार को यह प्रयत्न करना चाहिये कि वह सकारात्मक मूल्यों और समाज की उपादेयता के रूप में पहचाना जाये। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में समाजसेवी सोमरत्न आर्य तथा शरद गोयल, संदीप पाण्डे, कृष्णगोपाल पाराशर व सहसंयोजक डॉ. पूनम पाण्डे आदि भी उपस्थित थे।
उमेश कुमार चौरसिया
निर्देशक व संयोजक
9829482601

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