अजमेर / विवेकानन्द केन्द्र राजस्थान के सह प्रमुख साहित्यकार उमेश कुमार चौरसिया की नयी चौदहवीं नाट्यकृति ‘मेधावी नरेन्द्र‘ का लोकार्पण आज राजस्थान धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण के अध्यक्ष ओंकारसिंह लखावत, विवेकानन्द केन्द्र के राष्ट्रीय महासचिव भानुदास तथा शिक्षाविद् डॉ. बद्रीप्रसाद पंचोली द्वारा किया गया। इस अवसर पर लखावत ने कहा कि आज युवा पीढी को राष्ट्रविकास की मुख्यधारा में जोड़ने और जीवन को श्रेष्ठ बनाने की प्रेरणा देने के लिए स्वामी विवेकानन्द के आदर्श को अपनाने की आवश्यकता है। डॉ. पंचोली ने बताया कि पुस्तक में संकलित किये गये स्वामी विवेकानन्द के बाल और युवा जीवन पर आधारित दोनों नाटक बच्चों और युवाओं के लिए प्रेरक सिद्ध होंगे। उल्लेखनीय है कि यह चौरसिया की चौदहवीं नाट्यकृति है। विवेकानन्द के जीवन और संदेश पर आधारित उमेश चौरसिया द्वारा लिखित चार अन्य पुस्तकें भी पूर्व में प्रकाशित हुई हैं।
श्वेता टोकेकर
नगर संगठक
विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी, अजमेर शाखा
संपर्क-9460438782
पुस्तक का परिचय
मेधावी नरेन्द्र
-स्वामी विवेकानन्द के जीवन के महत्वपूर्ण उल्लेखनीय प्रसंगों का समावेश करते हुए प्रस्तंुत इस नाट्यकृति में दो नाटक संकलित हैं। पहला लघु नाटक ’मेधावी नरेन्द्र’ विवेकानन्द की प्रखर बुद्धि व चिन्तनशीलता को दर्शाते हुए बाल्यकाल के प्रेरक व रोचक प्रसंगों का समावेश किये हुए हैं।
नाटक की भाषा सरल है, संवाद सुरुचिपूर्ण हैं एवं दृश्य छोटे किन्तु प्रभावी बन पडे हैं। कहीं-कहीं भजन और नाटक के अन्त में विवेकानन्द रचित ओजस्वी कविता का संचयन नाटक को प्रभावी बनाने में महत्वपूर्ण योगदान करते हैं। दूसरा लघु नाटक ’युगप्रेरक विवेकानन्द’ स्वामीजी के श्री रामकृष्ण परमहंस से प्रथम मिलन से आरम्भ होता है और ’रामकृष्ण मठ’ की स्थापना के पश्चात् उन प्रसंगों को रेखांकित करता है जो विशेषतः स्वामीजी के राजस्थान-प्रवास से सम्बन्धित हैं। अन्तिम दृश्य के रुप में शिकागो की धर्मसंसद में स्वामीजी का विश्वप्रसिद्ध उद्बोधन अपने आप में प्रभावी होकर नाटक की सार्थकता सिद्ध करने हेतु पर्याप्त है । प्रकाशक-साहित्यागार/वर्ष 2014/हिन्दी
