जलाशयों के चिन्हीकरण, नौका संचालन प्रबंधन एवं कार्य योजना निर्धारण के निर्देश
अजमेर। संभागीय आयुक्त श्री आर.के.मीणा ने संभाग के सभी जिला कलक्टर एवं पुलिस अधीक्षकों को जलाशयों में नौका संचालन में सुरक्षा मानकांे की पालना के निर्देश जारी किए है। उन्होंने पिछले साल टांेक जिले के बीसलपुर बांध में घटित नाव दुर्घटना से सीख लेते हुए सुरक्षा मानकों की पालना, जलाशयों के चिन्हीकरण, नौका संचालन प्रबंधन एवं कार्य योजना निर्धारण के निर्देश जारी किए।
संभागीय आयुक्त श्री रामखिलाडी मीणा ने बताया कि संभाग के चारों जिलों के जिला कलक्टरों एवं पुलिस अधीक्षकों को यह निर्देश जारी किए गए हैं। अजमेर संभाग के विभिन्न जलाशयों में नावों का संचालन राजस्थान नौकायन अधिनियम व नियम के प्रावधानों एवं मानदण्डों के अनुरूप किया जाना अपेक्षित है। इस हेतु सभी जिलों में सुरक्षा मानकों की पालना, जलाशयों के चिन्हीकरण, नौका संचालन प्रबंधन एवं कार्य योजना निर्धारण के निर्देश जारी किए गए है।
उन्होंने बताया कि सभी जिलों में समस्त जलाशयों का चिन्हीकरण कर उन्हें सूचीबद्ध किया जाए। सभी जलाशयों के प्रबन्धन व रख रखाव हेतु नियन्त्राक विभाग भी चिन्हित किया जाएं। पटवारी एवं ग्राम सेवक स्तर पर उक्त सूचना का संग्रहण किया जाकर तहसील व उपखण्ड सहित जिले की एकीकृत सूचना की पत्रावली सम्बन्धित सक्षम स्तर पर उपलब्ध रहे। वर्षाकाल में विभिन्न जलाशयों में पानी की आवक होने से आमजन द्वारा नदी, नालों, झीलों एवं अन्य जलाशयों पर स्थित पर्यटन स्थलों पर सैर करने, पिकनिक मनाने एवं अन्य धार्मिक तथा सामाजिक कार्यक्रमों में सम्मिलित होने के लिये नावों का प्रयोग किया जाता है। ऐसे प्रमुख पर्यटक व धार्मिक स्थलों की सूचना भी संधारित की जाए।
श्री मीणा ने बताया कि ऐसे स्थान जहां मार्गों के नीचे गुजरने वाले नदी-नालों में अत्यधिक पानी के बहाव के कारण सड़क के ऊपर पानी में परिवहन के साधन के रूप में नौका संचालन हो, उन्हें भी चिन्हित किया जाए। वर्षा ऋतु में ऐसे चिन्हित स्थानों पर सड़क के दोनों किनारों पर वाहनों एवं अवैध नावों के परिवहन के प्रभावी प्रतिबन्धन हेतु जाप्ता तैनात किया जाए। जिन स्थानों पर नावों का संचालन होता है, उन स्थानों पर लाईसेन्सशुदा नावों की संख्या, उनमें यात्राी बैठाने व भार ढोने की क्षमता आदि का संबंधित ग्राम पंचायतें आम सूचना प्रदर्शन कराए।
संभागीय आयुक्त श्री मीणा ने जलाशयों में नौका संचालन प्रबंधन के लिए भी निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने बताया कि समस्त जलाशयों (झीलों, नदियों, नालों) में राजस्थान नौकायन अधिनियम 1956 व नियम 1957 के प्रावधानानुसार नावों के संचालन के परिपेक्ष्य में जलाशयों में मौजूद नौकाओं की फिटनेस एवं अनुज्ञप्ति तथा अनुमति की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। सम्बन्धित जलाशय के स्वामित्व वाले विभाग द्वारा नियमानुसार निर्धारित संख्या में नावों के संचालन हेतु अनुमति प्रदान की जाए।
इसी तरह परिवहन विभाग द्वारा विभिन्न जलाशयों में संचालित समस्त नावों की भौतिक रूप से जांच कराकर नियमानुसार फिटनेस व लाईसेन्स जारी किये जाए। परिवहन विभाग द्वारा उक्तानुसार लाईसेन्सधारी नावों की सूचना सम्बन्धित जलाशय के नियन्त्राक विभाग, ग्राम पंचायत, तहसील, पंचायत समिति, पुलिस स्टेशन, जिला मजिस्ट्रेट व पुलिस अधीक्षक को प्रेषित की जाएगी। सूचना में लाईसेन्सधारी का नाम, नाव संचालन का स्थान, यात्राी बैठक क्षमता, भार वहन क्षमता, मालिक, मल्लाह या ड्राईवर का नाम, नाव के निरीक्षण की तिथि आदि का पूर्ण उल्लेख हो।
यह सभी सूचनाएं सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए नाव में ऐसे स्थान पर लगाई जाए, जो पानी से खराब नहीं हो। समस्त संचालित नौकाओं में बैठक क्षमता के अनुरूप पर्याप्त मात्रा में लाईफ-जैकेट्, ट्यूब एवं रस्से आदि सुरक्षा उपकरण उपलब्ध सुनिश्चित हो। मछली पकड़ने के व्यापार में उपयोग में आने वाली नौका मछुआरे के पास मत्स्य विभाग से प्राप्त संख्यांकित प्रमाण पत्रा आवश्यक रूप से हो तथा नौका केवल इसी प्रयोजनार्थ उपयोग में लाई जाए। ऐसी नौका का यात्रियों के परिवहन अथवा किसी अन्य रीति से उपयोग नहीं हो।
श्री मीणा ने बताया कि मत्स्य विभाग, राजस्थान सरकार द्वारा प्रमाणीकृत नौका पर सुस्पष्ट एवं सुपठित रूप से “सफेद“ पृष्ठभूमि पर “लाल“ अक्षरों से प्रमाण पत्रा की क्रम संख्या व स्वामी का नाम अंकित हो। साथ ही सावचेतना कि “यह नौका यात्रियों को वहन करने हेतु सुरक्षित नहीं है“ प्रमुख रूप से प्रदर्शित की जाए। यात्राी परिवहन करने वाली नौकाओं का संचालन विशेष अनुमति नहीं होने की दशा में, सूर्योदय के पश्चात व सूर्योस्त से पहले तक ही किया जाना सुनिश्चित किया जाए। परिवहन अधिकारी द्वारा नाव की भार क्षमता के संकेतक के रूप में अंकित “लाल लाइन“ सदैव जल सतह के ऊपर दृष्टिगोचर रहे।
उन्होंने बताया कि राजस्थान नौकायन नियम, 1957 के नियम-7 अनुसार विभिन्न स्तरों कार्मिक व अधिकारी नावों के दस्तावेज, विवरण एवं नावों के भौतिक तथा यांत्रिक निरीक्षण व जांच करने हेतु अधिकृत है। ऐसे अधिकारियों में परिवहन विभाग के अधिकारी जो परिवहन उप निरीक्षक से नीचे रैंक के न हो, राजस्व विभाग के अधिकारी जो नायब तहसीलदार से नीचे रैंक के न हो, पुलिस विभाग के अधिकारी जो मुख्य आरक्षी (हैड कानिस्टेबल) से नीचे रैंक के न हो, सार्वजनिक निर्माण विभाग व जल संसाधन विभाग के अधिकारी जो कनिष्ट अभियन्ता से नीचे रैंक का न हो, मत्स्य विभाग के अधिकारी जो निरीक्षक से नीचंे रैंक के न हो, पंचायती राज विभाग के अधिकारी जो पंचायत प्रसार अधिकारी से नीचें रैंक के न हो, ही अधिकृत है। इन अधिकृत व्यक्तियों द्वारा इस प्रकार का निरीक्षण नाव के संचालन या असंचालन के समय भी किया जा सकता है एवं अनियमित संचालन को इन प्राधिकारियों द्वारा रोका जाना अपेक्षित है।
उन्होंने बताया कि जिला स्तर पर नौकायन से सम्बन्धित विभागों द्वारा सूचनाओं का पारस्परिक आदान-प्रदान सुनिश्चित किया जाए। इस हेतु परिवहन विभाग द्वारा जारी लाईसेन्स या फिटनेस प्रमाण पत्रा, चिन्हित जलाशयों एवं जलाशयों के प्रबन्धन व रखरखाव हेतु चिन्हित विभागों की सूचना, भौगोलिक स्थिति की सूचना का विभागों के मध्य पारस्परिक आदान-प्रदान सुनिश्चित किया जाए। नावों की जांच हेतु विभिन्न विभागों के अधिकृत कनिष्ठतम् अधिकारियों के अलावा उच्च स्तर के अधिकारियों द्वारा भी समय-समय पर जलाशयों में नौकाओं के संचालन का निरीक्षण आवश्यक रूप से उनके द्वारा जिले में भ्रमण के कार्यक्रम के समय किया जाए।
संभागीय आयुक्त श्री मीणा ने कार्ययोजना का निर्धारण व क्रियान्विति के लिए भी विस्तृत दिशा निर्देश जारी किए है। उन्होंने बताया कि सम्बन्धित विभागों की जिलाधीश स्तर पर आवश्यकतानुसार बैठक का आयोजन किया जाए। आगामी वर्षा ऋतु के मद्देनजर अजमेर संभाग की झीलों, नहरों, नदियों, नालों, नहरों एवं उद्यानों में स्थित जलाशयों आदि में नावों के वैध संचालन व पर्यवेक्षण हेतु समस्त संबंधित विभागों के समन्वित उड़नदस्तें गठित किये जाए। यह उड़नदस्ते अपने क्षेत्रा में नियमित भ्रमण कर सुरक्षित नाव संचालन को सुनिश्चित करें एवं अनियमितता पाई जाने पर नावों को जब्त किया जाए। नावों का संचालन सक्षम अधिकारी स्तर से आवश्यक उपयुक्तता प्रमाण पत्रा एवं लाईसेन्स प्राप्त कर ही किया जाना सुनिश्चित कराया जाए। उपयुक्तता प्रमाण पत्रा प्राप्त करने के उपरान्त निर्धारित शर्ताे के अनुसार ही नावों का संचालन सुनिश्चित किया जाए।
श्री मीणा ने बताया कि निरीक्षण के दौरान यदि यह पाया जाता है कि नौका संचालन योग्य नही है तो नौका का संचालन तुरन्त रोक दिया जाए। जब तक कि उसे निर्धारित मानदण्डों के अनुसार संचालन योग्य नही कर लिया जाए। यदि नौका को संचालन योग्य बनाना संभव नही हो तो ऐसी परिस्थिति में मौके पर ही नौका को तत्काल इस प्रकार नष्ट कर दिया जावे कि उसका पुनः उपयोग किया जाना संभव न हो।
उपखण्ड मजिस्टेªट विकास अधिकारी, तहसीलदार व थाना प्रभारी अपने क्षेत्राीय भ्रमण के दौरान अन्य राजकार्यो के साथ अवैध नाव संचालन पर भी निगरानी रखें तथा यह भी सुनिश्चित किया जावे कि नावों का संचालन चिन्हित स्थान व वैध लाईसेन्स प्राप्त कर ही किया जा रहा है। संभाग के जनप्रतिनिधियों यथा सरपंच, जिला परिषद व पंचायत समिति से भी अनुरोध किया जाए कि वे अपने क्षेत्रा में अवैध नावों के संचालन की जानकारी होने पर तुरन्त संबंधित उप खण्ड मजिस्ट्रेट, थाना अधिकारी, तहसीलदार, विकास अधिकारी व परिवहन विभाग को सूचित करें। यह भी सुनिश्चित किया जावें कि नौका में स्वीकृत बैठक क्षमता अनुसार ही यात्राी बैठे तथा यात्रा के दौरान प्रत्येक यात्राी द्वारा अनिवार्य रूप से सुरक्षा जैकेट्स धारण किये जाए जिससे पानी के तेज बहाव एवं दबाव के कारण असंतुलन व जनहानि की स्थिति उत्पन्न न हो।
इसी तरह झील, जलाशय, नदी इत्यादि में प्रवेश से पूर्व यात्रियों की सूची मय पूर्ण पते के दो प्रतियों में तैयार की जाए। एक प्रति किनारे पर नाव के स्वामी या उसके कर्मचारी द्वारा रखी जाए एवं एक प्रति नाविक के पास रखी जाए। नौका के किनारे आने पर यात्रियों के सुरक्षित लौटकर आने का मिलान यात्राी सूचियों से किया जाए। मत्स्य विभाग से मान्यता प्राप्त ठेकेदारों की मत्स्याखेट के लिये ही प्रयोग की जाने वाली नावों का संचालन इन प्रयोजनार्थ सुनिश्चित करें। मत्स्याखेट के लिये प्रयुक्त नावों में किसी भी परिस्थिति में यात्राी परिवहन कदाचित नहीं हो।
उन्होंने बताया कि विशेष आपदा प्रबन्धन के तहत क्षेत्रा में चिन्हित स्थानों पर सुरक्षात्मक व्यवस्थापन के अन्तर्गत बचाव दल, गोताखोर, तैराक, सुरक्षा व संचार उपकरणों का प्रबन्धन सुनिश्चित हो। क्षेत्रा में सम्पूर्ण ऐहतियात के बावजूद घटना विशेष, दुर्घटना के घटित होने पर त्वरित रूप से बचाव, गिरफ्तारी, अनुसंधान एवं चालान आदि की कार्यवाही सुनिश्चित की जाए। सम्पूर्ण घटनाक्रम के दौरान लापरवाही या गलती करने वाले कार्मिकों के विरूद्ध कठोर कार्यवाही की जाए। शिक्षा विभाग अपने संस्थानों के माध्यम से प्रार्थना सभाओं में जागरूकता हेतु इस विषय पर चर्चा आयोजित करें।