अजमेर। भारतीय जनता पार्टी अजमेर ने भारतीय जनसंघ के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 113 वीं जयन्ती के अवसर पर कार्यक्रम आयोजित कर उन्हे श्रद्वाजंली अर्पित की । भाजपा जिलाध्यक्ष रासासिंह रावत की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में सम्बोधित करते हुये पूर्व मंत्री श्रीकिषन सोनगरा ने कहां कि डॉ. मुखर्जी महामानव, श्रेष्ठ षिक्षाविद, राष्ट्रीय विचारो के पुरोधा थे वे मात्र 33 वर्ष की अल्प आयु में ही कलकत्ता विष्व विद्यालय के कुलपति बन गये थे तथा देष की आजादी के आन्दोलन में उनकी सक्रिय भूमिका थी । आजादी के बाद बंगाल समस्या को लेकर नेहरू लियाकत समझौते को राष्ट्र विरोधी मानते हुये उन्होने केन्द्रीय मंत्रीमण्डल से इस्तीफा देकर कांग्रेस का मजबूत विकल्प खड़ा करने का संकल्प लेकर 21 अक्टूबर 1951 को भारतीय जनसंघ की स्थापना की तथा 1952 में जनसंघ के कानपुर में हुये पहले अधिवेषन में जम्मू कष्मीर के अलगाव के विषय को लेकर प्रस्ताव पारित किया तथा कष्मीर में प्रजा परिषद को समर्थन देने के लिये घोषणा कर कष्मीर को अखण्ड भारत का हिस्सा मानते हुये एक देष में दो निषान, दो प्रधान व दो विधान के विरोध में व्यापक जनजागरण कर कष्मीर संकट को देष व्यापी बनाया तथा कष्मीर जाकर अपनी गिरफतारी दी जहां संदिग्ध परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गई । सोनगरा ने कहां कि जनसंघ की स्थापना ही बलिदान की परम्परा के साथ हुई थी तथा राष्ट्र हित के विषयों पर इसके नेताओं का बलिदान हुआ है जनसंघ की वंषष पार्टी भाजपा बनी है इन राष्ट्रवादी ताकतों ने जब जब राष्ट्र पर संकट आया आगे बढ़कर स्वयं को बलिदान के लिये प्रस्तुत किया चाहे वह गोवा व कच्छ का संकट हो, कष्मीर की घुसपेठ की समस्या हो या आपातकाल का काला अध्याय हो ।
अजमेर उत्तर के विधायक व पूर्व मंत्री वासुदेव देवनानी ने कहां कि डॉ. मुखर्जी ने सत्ता के सुख को ठोकर मारकर जनसंघ की स्थापना की उस समय की सोच दृष्टिकोण आज भी महत्वपूर्ण है । उन्होने कहां कि डॉ. मुखर्जी के विचारों को आत्मसात कर व्यक्तिगत रूप से आचरण में लाने की आवष्यकता है । सरकार ने कष्मीर के संकट से उभरने के लिये सकारात्मक पहल शुरू की है तथा कष्मीरी पण्डितों को पुनः घाटी में बसाने के लिये प्रयत्न शुरू किये है ।
विधायक अनिता भदेल ने कहां कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी में नेतृत्व की दूरगामी सोच थी उन्होने कहां कि आज की पीढ़ी सौभाग्यषाली है लेकिन डॉ. मुखर्जी के समय जनसंघ के आधार को खड़ा करने के लिये हजारों कार्यकर्त्ताओं ने अपना सर्वस्व अर्पण कर दिया । आज राज्य व केन्द्र में भाजपा का शासन है और इसके लिये भ्रष्ट्राचार मुक्त पारदर्षी शासन के लिये प्रतिबद्व होना आवष्यक है । डॉ. मुखर्जी का मानना था कि सत्ता देष के कल्याण के लिये है अतः उनके विचारो को लेकर शासन प्रषासन की नीतियां तय कर पार्टी के विचार के आधार पर चलने की आवष्यकता है ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये जिला अध्यक्ष रासासिंह रावत ने कहां कि डॉ. मुखर्जी स्वतंत्र भारत के प्रथम बलिदानी थे तथा उन्होने अखण्ड भारत के लिये अपने प्राणों की बाजी लगा दी उनकी मृत्यु रहस्यमय रूप में हुई तथा उनके शव को भी दिल्ली के बजाय कलकत्ता ले जाया गया जहां लाखों की तादाद में जनता उनकी अन्तेष्टी में शामिल हुई । डॉ. मुखर्जी ने मंत्री पद छोड़कर विपक्ष की राजनीति का अध्याय शुरू कर लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करने का कार्य किया ।
कार्यक्रम को यूआईटी के पूर्व चैयरमेन धर्मेष जैन, वरिष्ठ उपाध्यक्ष अरविन्द यादव, महामंत्री धमेन्द्र गहलोत, कैलाष कच्छावा, पूर्व विधायक नवलराय बच्छानी, जयकिषन पारवानी, सरोज जाटव, प्रकाष मीणा, जयन्ती तिवाड़ी, कवलप्रकाष किषनानी, इब्राहीम फखर, गोपाल बन्जारा आदि ने भी सम्बोधित किया । कार्यक्रम का संचालन जिला महामंत्री धर्मेन्द्र गहलोत ने किया । इस अवसर पर नीरज जैन, मण्डल अध्यक्ष आनन्दसिंह राजावत, नरपतसिंह, घीसू गढ़वाल, गोपालसिंह चौहान, रंजन शर्मा, अष्वनी चौहान, राजेन्द्र राठौड़, वीरेन्द्र वालिया, मदनसिंह रावत, घीसूलाल माथुर, दीपकसिंह राठौड़, अमृत नाहरिया सहित भाजपा नेता मौजूद थे ।
अरविन्द यादव,
वरिष्ठ उपाध्यक्ष,प्रवक्ता
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