मोर पंख सर्वत्र पूजनीय है इसका दुरूपयोग महापाप है

Photo Manish 001अजमेर। लक्ष्मीनारायण मंदिर हाथीभाटा, अजमेर में वृंदावन के विख्यात कथावाचक भागवत भ्रमर आचार्य मयंक मनीष की समधुर वाणी द्वारा गत तीन दवस से चल रही भागवत कथा में तीसरे दिन श्रीमद्भागवत कथा में आचार्य मयंक मनीषी ने श्रीमद्भागवत कथा में भगवान के नाम की महिमा, राजाप्रद्युम्न के द्वारा अष्वमेघ यज्ञ करना वह इन्द्र का यज्ञ में बाधा डालना, अनेक प्रकार के प्राखण्ड का रूप बनाना, मरूजन, पाकषान का वर्णन प्रियवत संत रिषभदेव व भरत जी के चरित्र का वर्णन जिनके उपदेष के द्वारा राजा रगूगढ को ज्ञान प्राप्त हुआ। भगवान कृष्ण के श्रंगार का वर्णन एवं मोर पंख का महत्व बताते हुए कहा कि मोर पंख सर्वत्र पूजनीय है इसका दुरूपयोग महापाप है। ऐसे आदरणीय मोरपंख जिसे भगवान ने स्वयं अपने मसतक पर सम्मान के साथ सदा-सर्वथा धारण किया हो, जगत के सभी प्राणियों के लिए पूजनीय और विषेष आदणीय है। अतः मोर पंख को न तो मनुष्यों को अथवा कथावाचकों को अपने प्रयोग में लाना चाहिए और न ही उसे अपने मस्तक पर लगाना चाहिए। उसे सजावट की वस्तु तो कदापि नहीं बनाना चाहिए। यह अज्ञानता है और घोर अपराध है। भारतीय संस्कृति में पिता की टोपी या पगडी को परिवरजन उनके जीते जी तो क्या परलोक सिधारने के बाद भी उच्च स्थान पर पूजनीय स्थान पर रखते हैं तो भगवान के मुकुट स्वरूप मोर पंख का ऐसा अनादर क्यों? मोर राष्ट्रीय पक्षी है एवं ब्रह्मचर्य युक्त योगेष्वर प्राणी है। जिनका संरक्षण विषेष रूप से होना चाहिए। मोर पंख बेचने के लालच में अपराधी तत्व इनकी हत्या कर देते हैं। अतः इन्हें व्यापार की वस्तु बनाना कदापि उचित नहीं है। इसका लौकिक कार्य में उपयोग सर्वथा वर्जित होना चाहिए। ऐसे ही प्रमोद वंष, अज्ञानतावंष भगवान की बांसुरी धारण करना प्राणियों के लिये निषिद्ध है। उन्होंने भगवान की वेषभाूषा धारण कर घूमने वाले की निंदा कर कहा कि भगवान की छवि का अनादर नहीं करना चाहिए। कल के प्रसंग में सूर्यवंष की कथा, सूर्यवंष के राजाओं का वर्णन एवं रामचरितमानस का संक्षिप्त वर्णन किया जायेगा। आचार्य मयंक मनीषिजी ने गौसेवा को भगवान की ही सेवा बताया है क्योंकि भगवान ने भी गौपालक के रूप में ही कृष्ण अवतार लिया है। आज कथा में श्री ओमप्रकाष जी मंगल के नेतृत्व में श्री राधा-कृष्ण सखा परिवार के सदस्यों द्वारा वृन्दावन के विद्वान तथा वाचक भागवत भ्रमर आचार्य मयंक मनीष जी का राजस्थान परम्परानुसार साफा , शॉल, श्रीफल भेंटकर आषीर्वाद लिया।
नारायण स्वरूप गर्ग
वासुदेव मित्तल
सतीष अग्रवाल
मो. 8890379007

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