ग्राम पंचायतों व पंचायत समितियां के पुनगर्ठन के प्रस्ताव मांगे

जिले के नागरिक भी 3 अगस्त तक दे सकते हैं सुझाव
colectriate thumbअजमेर। जिला प्रशासन ने अजमेर जिले में ग्राम पंचायतों एवं पंचायत समितियों के पुनर्गठन, पुनर्सीमांकन या नवसृजन के लिए उपखण्ड अधिकारियों से प्रस्ताव मांगे है। जिले के नागरिक भी अपने सुझाव 3 अगस्त तक संबंधित उपखण्ड अधिकारी, तहसीलदार या जिला कलक्टर कार्यालय में प्रस्तुत कर सकते है।
अतिरिक्त जिला कलक्टर प्रथम श्री गजेन्द्र सिंह राठौड़ ने बताया कि ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विकास के निर्देशों के अनुसार ग्राम पंचायतों एवं पंचायत समितियों के पुनर्गठन, पुनर्सीमांकन या नवसृजन के लिए वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर उपखण्ड अधिकारियों से प्रस्ताव मांगे गए है।
श्री राठौड़ ने बताया कि जिलें में ग्राम पंचायतों के पुनर्गठन, पुनसीमांकन या नवसृजन के लिए न्यूनतम जनसंख्या 5 हजार एवं अधिकतम 7 हजार 500 रहेगी। किसी ग्राम के निवासियों की मांग और प्रशासनिक दूरी से ऐसे ग्रामों को वर्तमान ग्राम पंचायत से हटाकर दूसरी ग्राम पंचायत में शामिल किया जा सकता है। लेकिन उस ग्राम की दूरी नई ग्राम पंचायत के मुख्यालय से 8 किलोमीटर से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
उन्होंने बताया कि नवगठित होने वाली या विभाजित होने वाली ग्राम पंचायतों में वार्डों का गठन पंचायतीराज अधिनियम 1994 की धारा 12 (2) के प्रावधानों के अनुसार इस तरह किया जाएगा कि प्रत्येक वार्ड की जनसंख्या यथासंभव सम्पूर्ण पंचायत सर्किल के समान है। किसी भी पंचायत में वार्डों की संख्या 5 से कम नहीं होगी। किसी भी राजस्व ग्राम को विभाजित कर ग्राम पंचायतों में नहीं रखा जाएगा बल्कि सम्पूर्ण राजस्व ग्राम एक ही पंचायत में रहेगा।
अतिरिक्त जिला कलक्टर ने बताया कि अजमेर जिले में 50 या उससे अधिक ग्राम पंचायतों की संख्या से अधिक संख्या तथा 2.50 लाख या उससे अधिक आबादी वाली पंचायत समितियों का पुनर्गठन किया जाए। लेकिन पुनर्गठित व नवसृजित पंचायत समिति में न्यूनतम 30 ग्राम पंचायतें रखी जाए। उन्होंने उदाहरण के रूप में बताया कि यदि किसी पंचायत समिति में 52 ग्राम पंचायतें है तो नवसृजित एक पंचायत समिति में 30 ग्राम पंचायतें व अन्य में 22 ग्राम पंचायतें होंगी। ऐसी स्थिति में जिला कलक्टर के निर्देशों के अनुसार प्रशासनिक दृष्टि से अनुकूल होने पर नजदीक की किसी एक या अधिक पंचायत समितियों से 8 ग्राम पंचायतें लेकर 22 ग्राम पंचायतों वाली पंचायत समिति में 30 ग्राम पंचायतें रखी जा सकती है। यदि ऐसा किया जाना संभव नहीं है तो किसी नवसृजित पंचायत समिति में 30 से कम भी ग्राम पंचायतें रखी जा सकती है।
उन्होंने बताया कि पंचायत समिति निर्वाचन क्षेत्रों का गठन इस तरह किया जाएगा कि पंचायत समिति सर्किल में प्रत्येक प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र समान हों। विभाजित होने वाली पंचायत समिति के जो वर्तमान वार्ड नवगठित होने वाली पंचायत समिति में शामिल हो रहे है, नई पंचायत समिति के वार्ड उन्हीं के अनुसार होंगे। केवल उनके नम्बर परिवर्तित होंगे। यदि कोई वर्तमान वार्ड का क्षेत्र दो पंचायत समितियों में विभाजित हो रहा है तो विभाजित होने वाले वार्ड को नया वार्ड बनाया जा सकता है या किसी वर्तमान वार्ड में शामिल किया जा सकता है। लेकिन नवगठित होने वाली एवं विभाजित होने वाली पंचायत समिति में वार्डों की न्यूनतम संख्या 15 होगी।
श्री राठौड़ ने बताया कि किसी पंचायत समिति क्षेत्र को धारा 13 के अधीन निर्वाचन क्षेत्रों में विभाजित करते समय प्राधिकृत अधिकारी, यथासंभव, समीपस्थ पंचायतों को एक निर्वाचन क्षेत्र में रखेगा। यदि निर्वाचन क्षेत्रों की जनसंख्या के समान वितरण के लिए ऐसा किया जाना आवश्यक हो।
उन्होंने बताया कि उपरोक्त मापदण्डों में किसी भी व्यक्ति, संस्था या जनप्रतिनिधि द्वारा 3 अगस्त तक ग्राम पंचायतों व पंचायत समिति के पुनर्गठन या नवसृजित से संबंधित सुझाव संबंधित उपखण्ड अधिकारी, तहसीलदार या जिला कलक्टर कार्यालय में प्रस्तुत किए जा सकते है।

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