ब्यावर में दोपहर तक 114 एम.एम. बारिश

beawar samacharब्यावर। सोमवार की दोपहर 12 बजे तक ब्यावर (सिंचाई) में 114 एम.एम.,बारिश हुई। जबकि जवाजा में 9 एम.एम. तथा टॉडगढ़ में 5 एम.एम. बारिश रिकार्ड कीगई ।
जल-संसाधन विभाग के सहायक अभियन्ता बी.के.चतुर्वेदी ने बताया कि एक जून से अबतक ब्यावर में कुल 618एम.एम, , जवाजा में 337 एम.एम. तथा टॉडगढ़ में 263 एम.एम. बारिश हुई है।
तालाबों में वर्षा जल की स्थिति

मकरेड़ा तालाब के शीघ्र भरने की उम्मीद
जल-संसाधन विभाग के सहायक अभियन्ता ने बताया कि निकटवर्ती मकरेड़ा तालाब की कुल क्षमता 12.6 फीट है जिसमें आज 11 अगस्त की 3 बजे तक लगभग 11 फीट वर्षा जल की आवक हो चुकी थी और जल का आना ज़ारी है। अतः इस तालाब के शीघ्र ही लबालब होने की उम्मीद की जा सकती है।
सहायक अभियन्ता ने बताया कि अब तक जवाजा तालाब में 15 फीट के विपरीत 5.2 फीट, राजियावास तालाब में 17.6 फीट के विपरीत 6.1 एवं बलाड तालाब में 16 फीट के विपरीत 7 फीट जल आया हैै।

नवजीवन योजना अन्तर्गत कार्य सम्पादन हेतु स्वयं सेवी संस्थाओं से 20 अगस्त तक प्रस्ताव आमंत्रित
ब्यावर। नवजीवन योजना के अन्तर्गत ब्यावर उपखण्ड की विभिन्न बस्तियों में अवैध शराब एवं विक्रय में लिप्त तथा पात्रा, जाति, समूह के व्यक्ति, परिवारों को कुरीति से हटाने व उन्हें वैकल्पिक रोजगार उपलब्ध कराने तथा योजनान्तर्गत कार्य सम्पादन हेतु सामाजिक क्षेत्रा में तीन वर्षों से कार्यरत एवं पंजीकृत गैर सरकारी संस्थाओं से प्रस्ताव आमंत्रित किए गए हैं।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के उप निदेशक के अनुसार इच्छुक स्वयं सेवी संस्था अपनी कार्य योजना व बजट प्रस्ताव कलेक्टेªट अजमेर स्थित विभागीय कार्यालय में 20 अगस्त तक प्रस्तुत कर सकती हैंं। योजना की विस्तृत जानकारी अजमेर कार्यालय एवं विभागीय वेबसाइट ूूूण्ेरमतंरंेतींदण्पद पर देखी जा सकती है।

पशुपालकों को वर्षा ऋतु में पशुओं की उचित देखभाल की सलाह
ब्यावर। पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. गुलाब चन्द जिन्दल ने पशुपालकों को सलाह दी है कि वे वर्षा ऋतु में अपने पशुओं की पूरी देखभाल करें। पशुओं को गंदगी से बचाएं, उन्हें बरसात में भीगने से बचाएं, अधिक कीचड़ वाले बाडे़ में न बांधें, तथा जीवाणु नाशक दवा का छिड़काव करें। उन्होंने पशुपालकों को यहभी परामर्श दिया है कि वर्षा जनित संक्रामक रोगों से बचाव हेतु नज़दीकी पशु चिकित्सालय में पशुओं का उचित उपचार व टीकाकरण करावें। कृमिनाशक दवा पिलाएं। पशुओं के खुर्राे को अधिक समय तक गीला नहीं होनेदें एवं गलन से बचाव करें। पानी में भीगा हुआ चारा नहीं खिलाएं बल्कि सूखा चारा मिलाकर खिलाएं। दुर्गन्ध-युक्त गंदा चारा व बांटा नहीं दें। दुधारू पशु की गादी को स्वच्छ करके दूध निकालंें। बाड़ेमें बिजली के तार खुलें नहीं रखें। कीटनाशक दवाइयां व रसायन बाडे़ में नहीं रखें तथा बच्चों की पहुंच से दूर रखें।

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