बोर्ड का एक उच्च स्तरीय अध्ययन करने हेतु गुजरात भेजा गया

bser 450अजमेर। राजस्थान माध्यमिक षिक्षा बोर्ड के प्रषासक और संभागीय आयुक्त आर.के.मीणा द्वारा उत्तर पुस्तिका के मूल्यांकन में विसंगति, प्राप्तांकों के योग की त्रुटि एवं अंकों के पृष्ठांकन में हो रही त्रुटियों को दूर करने के लिए राजस्थान बोर्ड की वर्तमान मूल्यांकन व्यवस्था में परिवर्तन की संभावनाऐं तलाषने के लिए बोर्ड का एक उच्च स्तरीय दल गुजरात माध्यमिक षिक्षा बोर्ड की मूल्यांकन की व्यवस्था का अध्ययन करने हेतु भेजा गया। श्री मीणा ने पिछले कुछ वर्षों से देष के सभी षिक्षा बोर्डों और विष्वविद्यालयों में परीक्षार्थियों द्वारा उत्तर पुस्तिकाओं की संवीक्षा और उत्तर पुस्तिकाओं की फोटो प्रति प्राप्त करने के लिए आवेदनों की बढती प्रवृŸिा पर चिंता जाहिर करते हुए कहा था कि इसका कारण परीक्षार्थियों का मूल्यांकन व्यवस्था के प्रति कहीं ना कहीं अविष्वास है इसलिए मूल्यांकन विघा में सुधार की गुंजाइष है।

गुजरात से लौटने के बाद इस दल की मुख्य संयोजिका बोर्ड की विषेषाधिकारी श्रीमती प्रिया भार्गव ने बताया कि केन्द्रीय मूल्यांकन इस प्रतिस्पर्धी युग में मूल्यांकन की विष्वसनीय और श्रेष्ठ विधा है, जिसे देष के अनेक षिक्षा बोर्डों ने अंगीकार किया है। गुजरात माध्यमिक षिक्षा बोर्ड द्वारा केन्द्रीय मूल्यांकन में विषय से संबंधित सभी परीक्षकों को एक स्थान पर बुलाकर एक सुपरवाईजर की निगरानी में मूल्यांकन कार्य कराया जाता है। सभी परीक्षकों को मूल्यांकन से पूर्व अंक विभाजन व्यवस्था और उŸार कुंजी के बारे मंे विस्तार से बताया जाता है ताकि मूल्यांकन कार्य में एकरूपता हो। अंकों के योग, प्रष्नों के प्राप्ताकों के पृष्ठाकंन तथा सभी प्रष्नों का मूल्यांकन सुनिष्चित करने के लिये प्रत्येक समूह के साथ एक अतिरिक्त परीक्षक नियुक्त किया जाता है। मूल्यांकन कार्य करने से पूर्व परीक्षार्थी के मूल नामांक को ढक दिया जाता है ताकि परीक्षार्थी का परिचय उजागर नहीं हो।

उन्होंने बताया कि गुजरात बोर्ड में प्रष्न-पत्र के पाँच खण्ड है। मूल्यांकन के समय परीक्षकों का एक समूह बनाया जाता है। प्रत्येक परीक्षक एक-एक खण्ड का मूल्यांकन करते है। प्रतिदिन परीक्षकों के खण्ड परिवर्तित कर दिये जाते हैं। इससे परीक्षकों के मूल्यांकन में विसंगति को दूर किया जा सकता है तथा परीक्षार्थी को परीक्षक की मानसिकता या सोच का षिकार नहीं होना पड़ता। एक विषय की सभी उŸार पुस्तिकाओं को मिक्स करके 300-300 के बण्डल बनाये जाते हैं जिससे एक केन्द्र की उŸार पुस्तिकाऐं अनेक परीक्षकांे से मूल्यांकित होती हैं।

श्रीमती भार्गव ने बताया कि प्रतियोगिता के इस युग में उच्च षिक्षा संस्थानों में प्रवेष लेने के लिए एक-एक अंक के लिए गलाकाट प्रतिस्पर्धा हो रही है। ऐसी स्थिति में केन्द्रीय मूल्यांकन जैसी पारदर्षी और विष्वसनीय मूल्यांकन प्रणाली अपनाना सभी परीक्षा आयोजित करने वाली संस्थानों के लिए आवष्यकता बन गई है। इस प्रणाली को अपनाने से मूल्यांकन में परीक्षकों के बीच विसंगति समाप्त होती है और उŸार पुस्तिका में प्रष्न-वार प्रदŸा अंकों के पृष्ठांकन तथा अंकों के योग की त्रुटि भी दूर होती है। कोई प्रष्न अमूल्यांकित नहीं रहता। इस प्रणाली में उŸार पुस्तिकाओं के खोने का डर नहीं रहता और सभी उŸार पुस्तिकाऐं एक ही स्थान पर रहती हैं और मूल्यांकन पश्चात् परीक्षार्थियों के प्राप्तांक एक साथ तुरन्त प्राप्त हो जाते हैं, जिससे परिणाम तैयार करने में सुविधा रहती है।
इस दल में सलाहाकार (परीक्षा) आर.बी. गुप्ता, निदेषक (गोपनीय) जी.के. माथुर, उप निदेषक (गोपनीय) कमल गर्ग और उप निदेषक (परीक्षा) षिव शंकर अग्रवाल शामिल थे।
-राजेन्द्र गुप्ता, उप निदेषक (जनसम्पर्क)

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