विद्यार्थी कुशल उद्यमी बन विकास में सहभागी बने-प्रो.जाट

स्किल डवलपमेंट, नवाचार उद्यमिता के विकास में सहायक-डा. अरूण चतुर्वेदी
एंटरप्रिन्योरशिप, टूरिज्म, एनवायरमेंट एंड एनर्जी विषयक अन्तर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस का समापन

समापन सत्र को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि जलसंसाधन मंत्री प्रो. सांवरलाल जाट
समापन सत्र को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि जलसंसाधन मंत्री प्रो. सांवरलाल जाट

 

समापन सत्र को सम्बोधित करते हुए सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता राज्य मंत्री डॉ. अरूण चतुर्वेदी
समापन सत्र को सम्बोधित करते हुए सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता राज्य मंत्री डॉ. अरूण चतुर्वेदी

अजमेर। जलसंसाधन मंत्री प्रो. सांवरलाल जाट ने कहा कि देश की आबादी सवा सौ करोड पहुंच गई है, ऐसे में जब तक छोटे-छोटे उद्योग नही पनपेंगे तब तक युवाओं के लिए रोजगार उपलब्ध कराना संभव नहीं हो सकेगा। विद्यार्थी भी उद्यमिता की शिक्षा प्राप्त कर कुशल उद्यमी बनकर परिवार व समाज के विकास में सहभागी बने।
प्रो. जाट रविवार को महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय में उद्यमिता एवं लघु व्यवसाय प्रबंध केन्द्र द्वारा ”एन्टरप्रन्योरशिप, टूरिज्म एनवायरमेंट एण्ड एनर्जीÓÓ विषयक दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय कांफें्रस के समापन सत्र को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता राज्यमंत्री डॉ. अरूण चतुर्वेदी, राजस्थान धरोहर संरक्षण प्रोन्नति प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री औंकारसिंह लखावत, कुलपति प्रो. कैलाश सौडानी समेत कई शिक्षाविद व गणमान्य नागरिक मौजूद थे।
प्रो. जाट ने कहा कि देश के महापुरूषो ने आजादी के बाद आत्मनिर्भर युवा व विकसित भारत का सपना देखा था, लेकिन बढती आबादी, बेराजगारी जैसी चुनौतियों के कारण देश का सर्वांगीण विकास प्रभावित हुआ है। मदस विश्वविद्यालय के उद्यमिता एवं लघु व्यवसाय प्रबंध जैसे संस्थानों से विद्यार्थी व्यवसायपरक शिक्षा प्राप्त कर अपने कौशल के माध्यम से व्यवसाय चुने एवं देश के विकास में सहभागी बनेंगे। उन्होंने कहा कि उद्यमिता, नवाचार व कौशल विकास आज के समय की आवश्यकता है, शिक्षाविदें को देश के समक्ष उत्पन्न बेरोजगारी, पर्यावरण प्रदूषण, जनसंख्या वृद्घि, उद्योगों के विकास जैसे विषयों पर मंथन करने की आवश्यकता है। विश्वविद्यालय में आयोजित हुई इस कांफ्रेस के माध्यम से जहां छात्रों को उद्यमशीलता व नवाचार से परिचय हुआ है, वहीं देश में समाज के विकास हेतु भी कई सुझाव मिल सकेंगे।
प्रो. जाट ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि देश मजबूत तब बनेगा जब युवा मजबूत होंगे। युवा खेलकूद में भाग लेंवे व प्रतिदिन व्यायाम हेतु आधा घंटा अवश्य निकाले। उन्होंने देश में राष्ट्रीय खेल हॉकी की दुर्दशा पर चिंता व्यक्त करते हुए युवाओं को खेलों के माध्यम से स्वस्थ रहने व देश को सिरमौर बनाने की बात कही।
सामाजिक न्याय एवं आधिकारिता राज्यमंत्री डॉ. अरूण चतुर्वेदी ने कहा कि स्किल डवलपमेंट, नवाचार उद्यमिता के विकास में सहायक है। विश्वविद्यालय केवल डिग्री देने वाले संस्थान ना बने बल्कि नवाचार व कौशल विकास के माध्यम से छात्रों के समग्र विकास में सहभागी बनकर उनको आत्मनिर्भर बनाए। उन्होंने कहा कि उद्यमिता की प्रवृत्ति में काफी कमी आई है आजकल युवाओं का लक्ष्य सरकारी नौकरी मात्र रह गया है, लेकिन प्रतिस्पर्धा के चलते कई युवा बेराजगार रह जाते है। ऐसे में युवाओं को अपने कौशल का विकास कर उसे आजिविका का साधन बनाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि राजस्थान में पर्यटन, सौर ऊर्जा के क्षेत्र में अपार संभावनाएं मौजूद है। विद्यार्थी इस क्षेत्र में नवाचार के द्वारा नए उद्यमों का विकास कर प्रदेश व राष्ट्र की प्रगति में अहम भूमिका निभा सकते है। विश्वविद्यालय में आयोजित इस कार्यशाला का खासा महत्व है, इसकेे निष्कर्ष आने वाले में समय में विद्यार्थियों के साथ सभी के लिए मार्गदर्शक होंगे।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. कैलाश सोढाणी ने कहा कि कांफ्रेस में कुल 118 शोधपत्र प्राप्त हुए। शोधार्थियों व विद्यार्थियों का प्रस्तुतिकरण उनकी मेहनत को व्यक्त करने वाला था। इस कांफ्रेस के दो दिवसीय विचार विमर्श से मदस विश्वविद्यालय व विद्यार्थियों को असीम लाभ प्राप्त होगा। विश्वविद्यायल इसी क्रम में दिसंबर में सम्राट पृथ्वीराज चौहान, जनवरी में भक्त शिरोमणी मीराबाई पर भी महत्वपूर्ण शैक्षिक आयोजन करेगा।
समापन सत्र के मुख्य वक्ता इंदिरा गांधी मुक्त विश्वविद्यालय के उपकुलपति प्रो. नागेश्वर राव ने कहा कि आज विश्वविद्यालय सिर्फ ज्ञान आधारित डिग्रियां बांट रहे है, उनमें मूल्यों व दक्षता का अभाव है। जब डिग्रिया मूल्य, दक्षतापरक होंगी तो विद्यार्थी को रोजगार की तलाश में भटकना नहीं होगा वे आत्मनिर्भर होकर समाज के विकास में सहभागी बनेंगे। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी अन्धानुकरण की प्रवृत्ति को छोडकर नवाचार को अपनाए, कौशल विकास में रूचि लेंगे तो उन्हें जीवन में कभी समस्याओं का सामना नहीं करना पडेगा।
कांफ्रेस के संयोजक डॉ. आशीष भटनागर ने बताया कि कांफ्रेस में कुल 120 पंजीयन थे एवं 4 सत्रों में उद्यमिता, प्रबंधन, वाणिज्य, तकनीकी जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर पत्रों का वाचन हुआ। कांफ्रेस में देश-विदेश के कई वरिष्ठ विशेषज्ञा व शिक्षाविदों का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ।
समापन सत्र के अंत में लघु उद्यमिता संस्थान के निदेशक प्रो. बी.पी. सारस्वत ने बताया कि मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे के प्रयासों से विश्वविद्यालय ने लघु उद्यमिता संस्थान की स्थापना हुई। आज यह संस्थान अजमेर के बेहतरीन संस्थानों में गिना जाता है। उन्होंने कांफ्रेस की सफलता में सहभागी बने सभी साथियों एवं विद्यार्थियों को धन्यवाद ज्ञापित किया।

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