आंवले जैसी औषधीय वनस्पतियों को संरक्षण देने का संदेष देता है अक्षय नवमी पर्व
अजमेर। गोवत्स श्री राधाकिषन जी महाराज की सद्प्रेरणा एवं संन्यास आश्रम के अध्ष्ठिाता श्रद्धेय स्वामी षिवज्योतिषानन्दजी महाराज के पावन सानिध्य में अनवरत चल रही प्रभात फेरी परिवार गोपाष्टमी के पावन अवसर पर दिनांक 1 नवम्बर शनिवार को अक्षय वृट पूजन हेतु सुन्दर विलास स्थित गर्ग भवन पहुंच कर प्रभात फेरी परिवार द्वारा गौ सेवक द्वारा लक्ष्मीनारायण जी हटूका एवं समाजसेवी श्री रामरतनजी छापरवाल के सानिध्य में सामूहिक रूप से अक्षय वृट पूजन किया गया। इस अवसर पर स्वामी षिवज्योतिषानन्द ने कहा कि आंवले जैसी औषधीय वनस्पतियों को संरक्षण देेेने का संदेष देता है अक्षय नवमी का पर्व। हमारे पूर्वजों की मान्यताओं और किवंदंतियों में हमारे लिए संदेष छुपे होते हैं जब हम इन संदेषों को नहीं समझ पाते तो व्रत-त्यौहारों को कर्मकाण्ड की तरह निभाते चले आते हैं। लेकिन इनका सही संदेष समझकर हम अपने जीवन को सार्थक बना लेते हैं। पुराणों के मतानुसार त्रेता युग का आरंभ इसी दिन से हुआ था। इस दिन आंवले के वृक्ष की पूजा करने का भी विधान है। अक्षय का अर्थ है, जिसका क्षरण न हो। मान्यता है कि इस दिन किए गए सद्कार्यों का अक्षय फल प्राप्त होता है। कार्यक्रम का संयोजन उमेष गर्ग ने किया।
उपरोक्त अवसर पर प्रभात फेरी परिवार के बृजेष मिश्रा, गोकुल अग्रवाल, अषोक अग्रवाल, रामरतन छापरवाल, रमेष मित्तल, सत्यनारायण नारियल वाले, दिनेष परनामी, श्यामसुन्दर बंसल, महेष शर्मा, आलोक महेष्वरी, कैलाष जोषी, शान्तिलाल अग्रवाल सहित आश्रम के आचार्य एवं वेदपाठी बालकों सहित अनेक श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
