अवैज्ञानिकता एवं अपसंस्कृति का प्रतीक तथा कथित नववर्ष 1 जनवरी

20141222_17440220141222_174425अजमेर। शास्त्रीनगर विकास समिति में प्रज्ञा प्रवाह अजयमेरू के संयुक्त तत्वाधान में एक व्याख्यान कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें ‘‘अवैज्ञानिकता एवं अपसंस्कृति का प्रतीक तथा कथित नववर्ष 1 जनवरी‘‘ के विषय पर माननीय दूर्गादास जी क्षेत्रीय प्रचारक राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ द्वारा तथ्यों एवं संदर्भ की पड़ताल भारतीय पंचांग बनाम ग्रेगोरियल कलैण्डर के सन्दर्भ में अपना व्याख्यान दिया। उन्होने कहा कि दुनिया में अंग्रेजों का साम्राज्य रहा इसलिये उन्होने अपनी सुविधा के अनुसार यह कैलेण्डर सब जगह लागू कर दिया। इसलिये आजकल जो ईस्वी सन् के रूप में प्रसिद्ध है, अंग्रेजी वर्ष के अनुसार से कोई भी तथ्य वैज्ञानिक आधार पर नहीं मिलते जबकि भारतीय काल गणना अत्यन्त वैज्ञानिक सटीक तथा प्रकृति व खगोल की घटनाओं के अनुरूप है। इसीलिए हमारे दैनिक व्यवहार, व्रत-त्यौहार, विवाह आदि शुभ कार्य यहाँ तक कि शोक प्रसंग भी पंचांग के अनुसार होते हैं, दिनांक के अनुसार नहीं। भारत में ग्रह-नक्षत्रों व सौर मण्डल की परिघटनाओं का अध्ययन करने के लिए सौर वर्ष है। जैसे यह भ्रांति है कि मकर संक्रांति 14 जनवरी को ही आती है। स्वामी विवेकानन्द का जन्म मकर संक्रांति को हुआ था। उस दिन 12 जनवरी थी। वास्तव में मकर संक्रांति सौर माघ मास की प्रतिपदा को आती है, यह खगोलीय सत्य है। सूर्य, चन्द्र ग्रहण, समुद्र में ज्वार-भाटे, पूर्णिमा, अमावस्या की पूर्व घोषणा हिन्दू पंचांग से सम्भव है, ग्रेगोरियन कैलेण्डर से नहीं। जिस मास की पूर्णिमा को जो नक्षत्र पड़ता है, उसी के आधार पर भारतीय मासों के नाम होते हैं – चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ, फाल्गुन – ये सभी नाम नक्षत्रों के आधार पर ही हैं। इस प्रकार विश्व की सर्वाधिक वैज्ञानिक काल गणना से निर्मित पंचांग हमारी थाति है, इसके गौरव का स्मरण व पुनर्स्थापन के संकल्प का दिन नव सम्वत्सर है। निर्षकर्ष में हमें अपने प्राचीनता के अनुसार हमें अपना नव सम्वत्सर के मनाना चाहिए। उन्होने युवाओं को यह संदेश दिया की हमारी संस्कृति होटलों में अश्लील नृत्य व मदिरापान करते हुए नववर्ष का स्वागत करने की नहीं। हमारी संस्कृति दीये जलाकर नववर्ष का स्वागत करने की है। इस अवसर पर स्वामी अनादि सरस्वती ने कहा कि हमें आज संकल्प लेना चाहिए और शुरूआत भी आज से ही करे। यदि हम अपने संस्कारों को अपनायेगें तो हमारी संस्कृति को भी बचा पायेगें। इस अवसर पर शेडस थेटर द्वारा स्वच्छता पर एक लघु नाटिका भी प्रस्तुत की। कार्यक्रम की शुरूआत भारत माता की चित्र पर माल्यापर्ण कर की गयी। कार्यक्रम की संयोजक सम्मान सिंह जी ने अतिथियों का परिचय दिया। संस्था के सचिव जय बहादुर माथुर ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। अन्त में श्री ओम प्रकाश सोमानी संयोजक महानगर प्रज्ञा प्रवाह द्वारा धन्यवाद अर्पित किया गया। कार्यक्रम का संचालन सुभाष दत्त शर्मा द्वारा किया गया। इस अवसर पर शहर के गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
सम्मान सिंह
कार्यक्रम संयोजक
मो. 9413948605
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