मिर्ज़ा ग़ालिब की जयंति का उत्सव मनाया गया

01अजमेर। शनिवार की सुबह राजकीय संग्रहालय में कुछ यूं शायराना हुई कि मिर्जा गालिब की शायरियां अकबर के किले के हर पत्थर से अपने अन्दाज में अपने शेरो और कलामों को बयां करते नज़र आई। राजकीय संग्रहालय अजमेर, इन्टेक अजमेर चैप्टर, मुद्रा थियेटर, लोक कला संस्थान और पृथ्वीराज फाउण्डेशन के संयुक्त तत्तवावधान में मिर्ज़ा ग़ालिब की जयंति का उत्सव मनाया गया।
राजकीय संग्रहालय में आज प्रवेश करते ही हर दर ओ दिवार, हर पत्ता पत्ता और बूटा मिर्ज़ा ग़ालिब के शेरों और कलामों से सजा था। खूबसूरत रंगोली ने सही मायनों में उत्सव को ‘याद-ए-ग़ालिब’ बना दिया। और आये हुए हर अतिथि और पर्यटक को अपना कैमरा-मोबाइल निकाल फोटो क्लिक करने पर मजबूर कर दिया। उत्सव का आगाज आए हुए हर अतिथि ने शमां को रोशन कर किया। लेखिका और कवियित्री डॉ. पूनम पाण्डे ने ग़ालिब साहब की जिन्दगी और फाकांकशी पर अपने अंदाज में कहा कि ग़ालिब साहब ने आपबीती को जगबीती बनाया है और ये ही बडी हुनर का काम है, शब्द तभी पिघलते है जब अनुभव की आंच मिलती है। ग़ालिब साहब की याददाश्त इतनी थी की हिन्दुस्तान के कई नवाब अपने दांतो तले अंगुली दबाते थे और खुद्दार इतने कि उस समय कई लाख महाना की नौकरी को ठुकरा चले।
इन्टेक के संयोजक महेन्द्र विक्रम सिंह ने मिर्ज़ा गालिब के जीवन से जुड़े रोचक किस्से सुनाते हुए कहा कि ग़ालिब ने अपने जीवन में कई दौर देखे और हर दौर पर बहुत की तल्खी से लिखा है। गत वर्ष छोटे स्तर पर शुरु हुए इस कार्यक्रम को आज विशाल स्तर तक लाने के लिए राजेन्द्र सिंह और दीपक शर्मा कोबधाई दी।
राजकीय संग्रहालय की कस्टोडियन रुमा आज़म ने कहा कि ग़ालिब साहब ने मुफलिसी व नादारी का जो जमाना देखा उसके मुतासिर होकर उन्होंने काफी गज़ले लिखी है। अपनी मुफलिसी और फाकाकशी के दिनों जब उनका घर भी खस्ताखाल होचला और ऐसे में जब उनकी दरो दीवार पर पर कुछ पेड़ पौधे उग आए तो उन्होंने मजाकिया अंदाज में लिखा कि ‘‘उग रहा है दरो दिवार से सब्जा गालिब, हम बयांबान हैं और घर में बहार आई है’’और अलग अंदाज में बयां किया कि ‘‘कोई विरानी सी वीरानी है? दश्त को देख कर घर याद आया।’’ ग़ालिब के खत भी काफी मशहूर है उन्हें पढ़ कर लगता है कि जैसे वे आमने सामने बैठकर बातें कर रहे हों।
कला अंकुर अकादमी के प्रशासक रवि शर्मा ने गा़लिब के दर्शन को साझा करते हुए कहा कि उन्होंने उर्दू में अपनी शायरी को इस उंचाइयों तक पंहुचा दिया कि हिन्दुस्तान क्या दुनिया में वे उर्दु शायरी जगत में वे एक स्तम्भ है। अधिवक्ता भगवती सिंह बारहटने कहा कि हमें महान् शक्सियतों को समय समय पर याद करते रहना चाहिए और उनके स्मरण करने से हम लोगों में शक्ति का संचार होता है और उस शक्ति से ही देश का शासन चलता है और उसी से देश का विकास हो सकता है इसलिए आवश्यकता है कि मिर्ज़ा गालिब और उन जैसी शक्सियतों और महापुरुषों के बारे में युवाओं को ऐसे कार्यक्रमों के जरिए जानकारी देते रहे चाहिए।
कार्यक्रम संयोजक दीपक शर्मा ने बताया कि लोक कला संस्थान के संजय सेठी व साथी कलाकारों ने मिर्ज़ा ग़ालिब को समर्पित रंगों और पुष्पों से रंगोली को खूबसूरती से सजाया है। मुद्रा थियेटर के राजेन्द्र सिंह व कलाकारों ने मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरियों को प्रर्दशित किया गया। कार्यक्रम का संचालन मनोज सोनी ने किया और वर्तिका शर्मा व ऋषिराज सिंह ने सभी अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापित किया।
राजेंद्र सिंह
9887316528

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