देश के बेहतरीन शिक्षण संस्थानों के रूप में संचालित हों माॅडल स्कूल

प्रवेश दिलाने के लिए अभिभावकों में मचे होड़
सेंटर आॅफ एक्सीलेंस के रूप मंे विकसित हो माॅडल स्कूल
प्राचार्य बेहतरीन परीक्षा परिणाम के साथ अच्छे वातावरण निर्माण के लिए भी करें कार्य

वासुदेव देवनानी
वासुदेव देवनानी

अजमेर। शिक्षा राज्य मंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी ने राज्य के स्वामी विवेकानन्द माँडल विद्यालयों को देश के बेहतरीन शिक्षण संस्थानों के रूप में विकसित किये जाने पर जोर दिया है। उन्होने कहा कि विद्यालय इस रूप में संचालित हो कि वहां अपने बच्चों को प्रवेश दिलाने के लिए अभिभावकों में होड मचे।
श्री देवनानी आज शिक्षा संकुल में स्वामी विवेकानन्द माँडल स्कूलों के प्राचार्यों की विशेष कार्यशाला में संबोधित कर रहे थे। उन्होने कहा कि माँडल स्कूल ‘‘सेन्टर आॅफ एक्सीलेंसी‘‘ के रूप में कैसे संचालित हों, इसके लिए प्राचार्य निरंतर प्रयास करें। उन्होने माँडल स्कूलों को स्वामी विवेकानन्द की विचारधारा के अनुरूप चरित्र और संस्कार निर्माण के अंतर्गत बेहतरीन विद्यालयों के रूप में विकसित करने का आह्वान किया।
शिक्षा राज्यमंत्री ने कार्यशाला में माँडल स्कूल प्राचार्यों को अपने स्वयं के शिक्षण अनुभव भी सुनाए। उन्होने कहा कि विद्यालय प्राचार्य को ‘‘पांव में चक्कर और मुंह मे शक्कर‘‘ रखनी चाहिए। यानी वह प्रत्येक कक्षा का निरन्तर निरीक्षण करें और अपने साथी शिक्षकों, बच्चों के साथ सदा अच्छा व्यवहार करें। प्राचार्य के मन में कुछ करने की आग रहनी चाहिए। वह हमेशा अपने विद्यालय को श्रेष्ठतम बनाने की सोचें। उन्होने माँडल स्कूलों के परीक्षा परिणाम के लिए भी प्राचायों को प्रतिबद्ध होकर कार्य करने का आह्वान किया। उन्होने कहा कि जो प्राचार्य अच्छा परिणाम देंगे, विद्यालय वातावरण बेहतर बनाने के लिए और बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए कार्य करेंगे उन्हे राज्य सरकार पुरस्कृत करने की कार्ययोजन पर भी विचार कर रही है।
इससे पहले माध्यमिक शिक्षा अभियान के आयुक्त श्री नरेशपाल गंगवार ने कार्यशाला में राज्य में संचालित 66 स्वामी विवेकानंद माॅडल स्कूलांे की केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, नई दिल्ली से संबद्धता के लिए आवेदन की प्रक्रिया को भी शीघ्र पूरा करने के निर्देश दिए। उन्हांेने कहा कि प्रदेश में संचालित 66 में से 44 माॅडल स्कूलों में प्राचार्य लगा दिए गए हैं। उन्हें इन स्कूलों को ‘सेंटर आफ एक्सीलेंस’ के रूप में चलाने के लिए विशेष रूप से तैयार किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि माॅडल स्कूल कैसे बेहतरीन रूप में संचालित हो, इसके संबंध में मार्गदर्शिका भी रमसा द्वारा तैयार की गई है। इसके अलावा प्राचार्यों को प्रदेश के और देश के बेहतरीन स्कूलों का भ्रमण भी करवया जा रहा है ताकि वे इन स्कूलों के प्रभावी संचालन के लिए प्रेरित हो सकें।
बैठक में अतिरिक्त आयुक्त, माध्यमिक शिक्षा अभियान, श्री श्यामलाल गुर्जर ने माॅडल स्कूलों की कार्यव्यवस्था और संचालन के संबंध में जानकारी दी। इस अवसर पर विभिन्न स्थानेंा से आए स्कूलों के प्राचार्योें ने अपने सुझाव भी रखे तथा कहा कि वे इन स्कूलों को बेहतरीन रूप में विकसित करने के लिए कृतसंकल्प हैं।

साईकिल वितरण योजना में क्रय की पारदर्षी प्रक्रिया अपनाई जाए
शिक्षा राज्य मंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी ने महिला साक्षरता दर में वृद्धि के अंतर्गत राजकीय विद्यालय की कक्षा 9 में प्रवेष लेने वाली पात्र छात्राओं को ‘साईकिल वितरण’ योजना के अंतर्गत गुणवत्ता की साईकिलें पूर्ण पारदर्षिता की प्रक्रिया अपनाकर क्रय कर वितरीत किए जाने के निर्देष दिए हैं। मंगलवार को षिक्षा संकुल में इस सबंध में आयोजित बैठक में उन्होंने स्पष्ट कहा कि साईकिलों का वितरण करने से पूर्व उनकी गुणवत्ता की जांच आवष्यक रूप में की जाए। उन्होंने कहा कि अधिकारी यह भी देखे कि साईकिलों के जो सैम्पल स्वीकृत हों, उन्हीं के अनुरूप साईकिलें छात्राओं को दी जाए। उन्होंने अच्छी क्वालिटी की साईकिलें वितरण करने तथा इस सबंध में श्रेष्ठतम को पैमाना रखते हुए क्रय की कार्यवाही पूर्ण पारदर्षिता से किए जाने के निर्देष दिए। उन्होंने कहा कि जिन कंपनियों से साईकिलें क्रय किए जाए, उनकी साख को भी देखा जाए। अधिकारी यह भी देखे कि उन्होंने किसी और राज्य में साईकिलों की आपूर्ति इस प्रयोजन से की है तो उसका क्या परिणाम रहा है।
बैठक में शासन सचिव, माध्यमि षिक्षा श्री नरेषपाल गंगवाल ने साईकिल वितरण की प्रक्रिया समयबद्ध सुनिष्चित करने के साथ ही अप्रैल से मई अंत तक बेहतर क्वालिटी की साईकिलों के क्रय की प्रक्रिया पूर्ण कर हर वर्ष एक जून से उनका वितरण प्रारंभ करने की कार्यवाही किए जाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इस सबंध में वार्षिक कैलेण्डर निर्धारित किया जाए।
बैठक में माध्यमिक षिक्षा निदेषक श्री सुवालाल द्वारा इस सबंध में अपनाई गई प्रक्रिया के संबंध में प्रस्तुतिकरण भी दिया गया। उन्होंने बताया कि क्रय नियमों के प्रावधान के अनुसार विभाग द्वारा साईकिल क्रय के लिए ई-निविदा से प्रस्ताव मांगे गए हैं।

राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान ने दिया प्रस्तुतिकरण
मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य प्रदान करने वाली हो षिक्षण सामग्री
चरित्र निर्माण के साथ भारतीय संस्कृति का ज्ञान कराने वाली हो पुस्तकें
अजमेर। षिक्षा राज्य मंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी ने मंगलवार को षिक्षा संकुल में राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रषिक्षण संस्थान द्वारा शारीरिक षिक्षा एवं कला षिक्षा के संबंध में तैयार पुस्तकों के बारे में जानकारी ली। उन्होंन एसआईआरटी, उदयपुर के अधिकारियों को निर्देष दिए हैं कि वे अपने यहां से तैयार षिक्षकों की संदर्षिकाओं को तैयार करते समय इस बात का विषेष ध्यान रखे कि उनसे बच्चों का मानसिक और शारीरिक विकास हो। उन्होंने चरित्र निर्माण के साथ भारतीय संस्कृति की षिक्षा से संबंधित पाठ्यक्रमों का विकास किए जाने पर भी जोर दिया।
प्रो. देवनानी ने दो वर्षीय डीपीएड पाठ्यक्रम के निर्माण के संबंध में भी जानकारी लेते हुए कहा कि इसमें स्वास्थ्य षिक्षा एवं शारीरिक षिक्षा के साथ ही योग पर भी विषेष ध्यान दिया जाए। उन्होंने विद्यालय की शैक्षिक गतिविधियों के अलावा सह शैक्षिक कार्यक्रम तथा उत्सव एवं आयोजन, पीटी, मार्चपास्ट आदि को भी ध्यान में रखते हुए पाठ्यक्रम निर्धारण के आधार तय करने की बात कही। राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रषिक्षण संस्थान के अधिकारियों ने इस दौरान श्री देवनानी को दो वर्षीय डीपीएड पाठ्यक्रम के प्रायोगिक एवं अभ्यास अध्यापन और अंककाकन के बारे में भी प्रस्तुतिकरण दिया।
प्रस्तुतिकरण के अंतर्गत षिक्षा राज्य मंत्री को जब विद्यालयों में कला षिक्षा के अंतर्गत दिए जाने वाले ज्ञान के बारे में जानकारी दी गई तो उन्होंने स्पष्ट कहा कि विद्यार्थियों को विभिन्न कलात्मक गतिविधियों के माध्यम से जीवन मूल्यों के साथ संस्कार निर्माण की षिक्षा कैसे दी जाए, इस पर भी विचारा जाए। उन्होंनेे कला षिक्षा के अंतर्गत कक्षा एक से पांच तथा 6 से आठ तक अध्यापन कराने वाले षिक्षकों को संदर्षिका के आधार पर प्रषिक्षित किए जाने के लिए तैयार मार्गदर्षिका का भी अवलोकन किया।
षिक्षा राज्य मंत्री ने इस अवसर पर कहा कि एसआईआरटी द्वारा तैयार की जाने षिक्षण सामग्री विद्यार्थियों के चरित्र निर्माण में सहायक हो, इसका विषेष ध्यान रखा जाए। उन्होंने कहा कि षिक्षण पुस्तकों में महापुरूषों और आदर्ष चरित्रों का समावेष किया जाए ताकि विद्यार्थी आत्म गौरव की षिक्षा प्राप्त कर सके।
बैठक में प्रमुख शासन सचिव प्रारंभिक षिक्षा श्री पी.के. गोयल ने विद्यालयों में षिक्षण पुस्तकों को तैयार किए जाने के संबंध में की जाने वाली कार्यवाही के बारे में जानकारी दी। बैठक में शाासन सचिव, माध्यमिक षिक्षा श्री नरेषपाल गंगवाल, उप शासन सचिव श्री दीप प्रकाष माथुर, एसआईआरटी के निदेषक श्री प्रदीप पानेरी तथा अन्य अधिकारियों ने भाग लिया।

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