बड़े पीर के चिल्ले पर हज़रत अब्दुल क़ादिर जिलाना गौस पाक का उर्स मनाया जा रहा है। ज्ञातव्य है कि दरगाह के पास पहाड़ी पर स्थित दरगाह बगदाद के प्रसिद्ध सूफी संत अब्दुल कादर गिलानी पीरां पीर की परंपरा के संत सूंडे शाह के नाम से है। वे यहां पीरां पीर की दरगाह से एक ईंट लेकर आए थे और हर साल उनका उर्स मनाया करते थे। उन्होंने अपने शागिर्दों से कहा कि जब उनकी मृत्यु हो जाए तो ईंट के साथ ही उन्हें दफना दिया जाए। मराठा काल के दौरान 1770 में उनकी मौत हुई। अनेक साल बाद शेख मादू ने उनकी मजार पर दरगाह का निर्माण करवा दिया। बाद में टोंक के प्रथम नवाब पिंडारी अमीर खां के सेनापति जमशेद खां, असगर अली मुतवली व हाकिम इर्शाद अली ने भी यहां निर्माण करवाए।
