म.द.स. विश्वविद्यालय में सिंधी कहानी शतवार्षिकी पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारम्भ

अजमेर, 13 फरवरी। शिक्षा मंत्री श्री वासुदेव देवनानी ने कहा कि सिंधी भाषा एवं सिंधी साहित्य बेहद समृद्घ तथा प्राचीन है। सिंधी साहित्य विश्व के अन्य भाषायी साहित्यों की तरह सामाजिक परिवेश का दर्पण है। सिंधी साहित्य का अन्य भाषाओं में अनुवाद को बढ़ावा दिए जाने की आवश्यकता है।
शिक्षा मंत्री श्री देवनानी शुक्रवार को मर्हिर्ष दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय तथा साहित्य अकादमी, क्षेत्रीय कार्यालय मुम्बई के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय सिंधी कहानी शतवार्षिकी राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। मुख्य अतिथि के रूप में श्री देवनानी ने कहा कि सिंधी भाषा गर्व की भाषा है। यह भाषा संस्कृत भाषा से काफी हद तक मेल खाती है। इस भाषा में 52 अक्षर हैं। इसलिए सिंधी भाषा बेहद समृद्घ मानी गई है।
उन्होंने कहा कि सिंधी साहित्य अपने आपमे परिपूर्ण और सामाजिक मूल्यों का समावेश किए हुए है। वर्ष 1312 और उसके पश्चात 15वीं शताब्दी तथा बाद की सदियों में सिंधी भाषा में रचनाएं लिखी गई। सिंधी कहानी को भी सौ साल पूरे हो गए है। और इन सालों में सिंधी कहानी ने नित नई ऊंचाइयों को छुआ।
श्री देवनानी ने कहा कि सिंधी साहित्य समृद्घ होने के बावजूद अन्य भाषाओं में लोकप्रिय नहीं हो पाया, इसके पीछे अनुवाद की कमी है। सिंधी साहित्य का अन्य भाषाओं में अनुवाद को और अधिक प्रोत्साहित किए जाने की आवश्यकता है। सिंधी पुरूषार्थी कौम है और सिंधी समाज ने हमेशा मेहनतकश जीवन को प्राथमिकता दी।
सिंधी साहित्य में कई प्रतिभावान साहित्यकार हुए है। इन साहित्यकारों की कृतियों ने समाज के मन को छूकर अपनी रचनाओं में जगह दी। सिंधी साहित्य की प्रमुख रचनाओं का अनुवाद किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मातृभाषा सर्वश्रेष्ठ होती है। हम सभी अपनी मातृभाषा का अधिक से अधिक उपयोग करें। उन्होंने सिंधी साहित्यकारों के साथ ही शहीद हेमू कालानी और महाराजा दाहरसेन के परिवार के बलिदान को भी याद किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. कैलाश सोढानी ने कहा कि सिंधी भाषा का साहित्य बेहद समृद्घ है। इसे और अधिक प्रोत्साहन दिए जाने की आवश्यकता है। देश को बदलना है तो हमें अपनी सोच भी बदलनी होगी। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने मेक इन इंडिया का नारा दिया है। मेक इन इंडिया के लिए हमें और अधिक मेहनत से काम करना होगा।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता श्री प्रेमप्रकाश ने सिंधी कहानी के सौ सालों की यात्रा को रोचक तरीके से प्रस्तुत किया। उन्होंंने सिंधी कहानी में शुरू से लेकर अब तक आए बदलावों की भी जानकारी दी। कार्यक्रम को सिंधी साहित्यकार श्री लखमी खिलानी ने भी संबोधित किया।
संगोष्ठी की संयोजक प्रो. लक्ष्मी ठाकुर ने बताया कि संगोष्ठी के प्रथम दिन विभिन्न सत्रों में सिंधी साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं पर चर्चा की। श्रीमती कमला गोकलानी, श्री सुरेश बबलानी सहित अन्य साहित्यकार इस अवसर पर उपस्थित थे। संचालन डॉ. भारती जैन ने किया।
विश्वविद्यालय में स्थापित होगी सिंधु पीठ
अजमेर, 13 फरवरी। महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय में सिंधु पीठ की स्थापना की जाएगी। यह जानकारी शिक्षा मंत्री श्री वासुदेव देवनानी ने दी। उन्होंने बताया कि शीघ्र ही विश्वविद्यालय प्रबंध मंडल की बैठक में यह प्रस्ताव रखा जाएगा। पीठ के लिए धन की किसी तरह की कमी नहीं आने दी जाएगी।