मोहन सिंह राठौड जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष

barअजमेर / जिला बार एसोसिएशन के सालाना चुनाव में अध्यक्ष पद पर मोहन सिंह राठौड़ चुने गए हैं। राठौड़ ने सीधे मुकाबले में अपनी प्रतिद्वंद्वी वकील अशोक माथुर को 332 वोटों से हराया। उपाध्यक्ष पद पर कपिल शर्मा अजीत कुमार पहाड़िया चुने गए हैं।
शुक्रवार को संपन्न हुए बार एसोसिएशन के चुनाव में अध्यक्ष पद के लिए मोहन सिंह राठौड़ अशोक माथुर के बीच मुकाबला हुआ था। राठौड़ ने मतगणना की शुरुआत से ही बढ़त बनाना शुरू किया, जो अंत तक कायम रही। मोहन सिंह राठौड़ को 760 वोट मिले, जबकि माथुर को 428 मत प्राप्त हुए। राठौड़ को 332 वोट से विजयी घोषित किया गया। उपाध्यक्ष के दो पदों के लिए पांच प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा था। कपिल शर्मा सबसे ज्यादा 447 वोट प्राप्त कर वरिष्ठ उपाध्यक्ष पद पर काबिज हुए वहीं अजीत कुमार पहाड़िया ने 406 वोट प्राप्त कर दूसरे नंबर पर विजय प्राप्त की। उपाध्यक्ष पद पर परास्त हुए दिनेश राठौड़ को 389, मानसिंह गौतम को 369 और सुनील कुमार व्यास को 237 वोट प्राप्त हुए। सहसचिव पद के लिए हुए त्रिकोणीय मुकाबले में रविंद्र श्रीवास्तव ने 652 वोट प्राप्त कर जीत हासिल की वहीं उनके प्रतिद्वंद्वी रोशन शर्मा को 377 और प्रेमपाल गोस्वामी को 125 वोट प्राप्त हुए। कोषाध्यक्ष के लिए नरेश धूत और पुस्तकालयाध्यक्ष पद के लिए सुषमा गुर्जर पहले ही निर्विरोध निर्वाचित घोषित किए जा चुके हैं। कार्यकारिणी के दस सदस्यों के लिए तेरह प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे। नीलू सैन को सबसे ज्यादा 860 वोट मिले वहीं राज लक्ष्मी को 703, संदीप बागड़ी को 585, ललित कुमार वर्मा को 553, इंदर सिंह तंवर को 536, इरफान मोहम्मद को 524, विक्रम सिंह रावत को 503, घनश्याम सिंह सत्तावत को 503, अजय गोयल को 478 और अनिल कुमार सैनी को 451 वोट मिले। जयवंती देवनानी, मनोज कुमार कोटिया और शकील अहमद इस रेस में पिछड़ गए।
बार चुनाव में सबसे ज्यादा रोमांचक मुकाबला सचिव पद का रहा। सचिव पद के लिए योगेंद्र ओझा, रमेश आचार्य और राजेंद्र पी फोगावट चुनाव मैदान में थे। मतगणना शुरू होने के बाद मुकाबला ओझा और आचार्य के बीच रह गया। दोनों एक-दो वोट से आगे पीछे होते रहे और कांटे की टक्कर चली। मतगणना पूरी होने पर योगेंद्र ओझा को 507 रमेश आचार्य को 506 मत प्राप्त होना बताया गया। आचार्य ने दुबारा मतगणना के लिए अर्जी दी, जिस पर अपरान्ह करीब दो बजे दुबारा मतगणना की गई। इस दफा परिणाम उलट गया और आचार्य को ओझा से एक वोट ज्यादा मिलना पाया गया। इस पर ओझा ने दुबारा मतगणना कराने की मांग की। एक मत के अंतर से हुई जीत हार को देखते हुए दुबारा मतगणना का निर्णय किया गया।

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