

श्रोताओं मे उपस्थित एक-एक बालिका से दीप प्रज्ज्वलित कराकर ठीक समय से शुरू हुआ ‘जस्ट हास्यम्’ का सीजन-5 हमेशा की तरह हास्य व्यंग्य विनोद का अनुष्ठान बन गया।
कार्यक्रम की शुरूआत अपने संचालन से करते हुए कवि रास बिहारी गौड़ ने अपने चिर परिचित अंदाज से हास्य की फुंहारों के साथ हास्यम् का आगाज किया।
पहले कवि के रूप में उदयपुर के कवि राव अजात शत्रु ने सहज संवाद से जहां हास्य का वातावरण बनाया। वहीं अपनी कविता ‘सफर की मुश्किलें ही इंतजाम करती है’ । हमारी राह को मंजिल सलाम करती है। कह कर तालियां भी बटोरी उनके बाद राजस्थानी भाषा के लोक सहित्य को समेटे आये जयपुर के सम्पत सरल ने अपनी छोटी-छोटी राजस्थानी फुलझड़ियों से ऐसा शमा बांधा कि लोग लोट पोट होते नजर आए। अपने गद्य व्यग्य के माध्यम से वर्तमान पीढ़ी पर कटाक्ष भी किए। तब लोग इतने पढ़े लिखे नहीं थे कि पिता का नाम भी पूछे तो गूगल पर सर्च करते थे।
लखनऊ से पधारे हास्य व्यंग्य के वरिष्ठ कवि सूर्य कुमार पाण्डे ने मानवीय विसंगति को अपने हास्य का केन्द्र बनाकर खुब हसाया।
तन होता है। बुढ़ापा में मन की फितरत कब बदलती है। पुराना कुकर क्या सिटी बजना छोड़ देता है। सहित दो-दो पक्तियों में सारगर्मित ठहाके लगवाए और हॉल तालियों की गूंज से गूंजता रहा।
अपने क्रम में आए रासबिहारी गौड़ ने अपने चुटिले अंदाज में बताया कि राजनीतिक व्यंग्य करते हुए स्थानीय टिप्पणियों से श्रोताओं को आनन्दित किया साथ ही अपनी ताजी कविता ‘मेहमान’ ष्मेहमानबाजी के दो ही ठिकाने है। बाप बनों या बेटा जूते हमें ही खाने है।ष् सुनाकर सामाजिक विदुप्रता पर ठहारे लगवाए।
इनके बाद ठहाकों का हिमशिखर बनकर आए प्रदीप चौबे माईक पर खड़े होते ही हसी का विस्फोट करते नजर आए। अपने कोन्फीडेन्स के लिए जाने -जाने वाले चौबे जी ने तीन पक्तियों की आलपीने सुनाई। साली ने जीजा से कहा मैं पास हो गई मिठाई खिलाओं। जीजा बोलो जाकर खिलाइंगे थोड़ी ओर पास आ जाओं लगातार हारों के बीच खचाखच भरे जवाहर रंगमंच पर नगर के हर वर्ग के प्रतिष्ठित व्यक्तित्व उपस्थित थें।
इससे पूर्व संस्था के सदस्य ने कवियों का स्वागत किया जिसमें सर्व श्री कंवल प्रकाश, श्रीमती प्रीति तोषनीवाल, अशोक पंसारी, हेमन्त शारदा, भवानी शंकर, अतुल माहेश्वरी, रमेश ब्रह्मवर, सीताराम गोयल, जगदीश गर्ग,निरंजन महावर, श्रीमती रेखा गोयल, नवीन सोगानी, एस.एस. सिद्ध, राजेन्द्र रांका, संजय सोनी, संजय जैन, डॉ. सुभाष माहेश्वरी, सुनील मूंदड़ा, संजय अरोड़ा,शंकर फतेहपुरिया, विनोद शर्मा, अनिल जैन भैंसा, सोमरत्न आर्य, डॉं रजनी भार्गव ने स्वागत किया।
इसी दौरान संस्था की वेबसाइट का लोकार्पण भी कवियों द्वारा हुआ।
कंवल प्रकाश
9829070059