कविता के सुरों में भावविभोर हुए श्रोता
अजमेर/ ‘हाथी घोड़ा पालकी जय फोकट के लाल की, अंधे ने तस्वीर बना दी गंजे के सर के बाल की‘ और ‘मेंढक से डरे घड़ियाल दाल में काला है‘ जैसी तालबद्ध हास्यरसपूर्ण जनकविता सुनाकर जहाँ देश-विदेश में विख्यात जयपुर के कवि सुरेन्द्र दुबे ने श्रोताओं के ठहाके लगवाये वहीं ‘नदिया बन जाना है, सागर की अमानत को सागर में समाना है‘ जैसी गीतमय माहिया और ‘भगवान कृष्ण का विश्वरूप दर्शन‘ कविता के द्वारा गीता का दर्शन प्रत्यक्ष करते हुए श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। अजयमेरू प्रेस क्लब के तत्वावधान में मंगलवार 14 अप्रेल, 2015 को आयोजित काव्य गोष्ठी ‘कविता के स्वर‘ में गीतों के मीठे स्वर, गजल के जज्बाती और तीखे तेवर, हास्य-व्यंग्य और संवेदना की कविताओं के अलग-अलग अंदाज में डूबे बड़ी संख्या में मौजूद सुधि श्रोताओं की तालियों की गड़गड़ाहट से गांधी भवन हॉल गूंज उठा।
गोष्ठी में प्रसिद्ध हास्य कवि रासबिहारी गौड़ ने अलग अंदाज की संवेदना की कविता ‘आँसू से धुले अक्षर आगज पर बिखरने के बावजूद चमकते हैं‘ के साथ-साथ हास्य रचना ‘आदमी को आग लगाने में इतना मजा क्यूं आता है‘ सुनाई। अध्यक्षता कर रहे गीतकार डॉ. हरीश ने ‘हर गरजते मेघ में सावन नहीं है और हाथ की हर रेख मनभावन नहीं है‘ और पनिहारिन गीत सुनाया, सारस्वत अतिथि पद्मश्री डॉ चन्द्रप्रकाश देवल ने तोप की आत्म अभिव्यक्ति, डॉ. नवल किशोर भाभड़ा ने श्रंगार का मधुर गीत, डॉ. कमला गोकलानी ने ‘मगर ये खेल है शब्दों का ऐसा नहीं है‘, डॉ. अनन्त भटनागर ने‘हर पुरूष की मुस्कान में कपट नजर आता है‘ और गोविन्द भारद्वाज ने ‘माँ की दुआओं ने मुझे रोने न दिया‘ कविताएं सुनाई। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के तौर पर डॉ. बद्रीप्रसाद पंचोली उपस्थित थे।
गज़ल के धुरंधर सुरेन्द्र चतुर्वेदी ने जब संजीदा गजलें ‘खोल खिड़की हवा घर में आने भी दे, पंछियों को गज़ल गुनगुनाने भी दे, है बुजुर्गों के मानिन्द ये पेड़ भी, पांव इनके हवा को दबाने भी दे‘ और डॉ. रमेश अग्रवाल ने ‘पत्थर कभी तू मोम की तरह पिघल के देख, थोड़ा सा पी के लड़खड़ा फिर संभल के देख‘ पेश की तो सदन ‘वाह वाह‘ से गूंज गया। छोटी कविता में बड़ी बात कहने वाले कवि बख्शीश सिंह ने ‘चलना भूल गया दौड़ना सीखकर‘ पढ़ी तथा गोष्ठी का संयोजन व संचालन कर रहे उमेश कुमार चौरसिया ने ‘पता नहीं ये तेरी कहानी है या मेरी‘ गजल सुनाई । गोष्ठी में चिरपरिचित गजलकार गोपाल गर्ग, गोपाल माथुर, दिव्या सिंघल, आनन्द शर्मा, विपिन जैन, देवीदास दीवाना, विनोद शर्मा तथा जयपुर से आये गोविन्द भारद्वाज ने भी कविताएं प्रस्तुत कीं। प्रारंभ में क्लब के एस.पी.मित्तल, प्रताप सनकत, राजेन्द्र गांधी, सत्यनारायण झाला, फराद सागर, सूर्यप्रकाश गांधी, विजय हंसराजानी इत्यादि ने कवियों का स्वागत किया।
उमेश कुमार चौरसिया
गोष्ठी संयोजक
9829482601
