कन्फडरेशन आॅफ यूनेस्को क्लब्स एण्ड एसोसिएशसन आॅफ इण्डिया का प्रशिक्षण प्रारम्भ

हमें पाश्चात्य संस्कृति को छोड़ अपनी धरोहर व सांस्कृतिक मूल्यों को बनाएं रखना हैं
Unesco2Unesco1अजमेर 16 अप्रेल। आसाम उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायाधिपति श्री सुरेन्द्रनाथ भार्गव ने इस देश की नई पीढ़ी का आवह्ान किया है कि वे पाश्चात्य संस्कृति को छोड़ इस देश की अमूल्य धरोहर और संस्कृति को बनाएं रखने के लिए कार्य करें। उन्होंने कहा कि विश्व के अनेक देश भारतीय संस्कृति की और अग्रसर होकर इन्हें अपने जीवन में उतार रहे हैं परन्तु हमारी ही पीढ़ी पाश्चात्य देशों की संस्कृति की ओर अग्रसर होकर अपने नैतिक व चारित्रिक मूल्यों का हनन कर रही है।
न्यायमूर्ति श्री भार्गव आज सांयकाल महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्विद्यालय के कान्फ्रेंस हाॅल में  कन्फडरेशन आॅफ यूनेस्को क्लब्स एण्ड एसोसिएशसन आॅफ इण्डिया के चार दिवसीय राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर के उद्घाटन समारोह को संबंोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यूनेस्को क्लब को भी अपने मूल उद्ेश्यों के लिए कार्य करने पर पूरा चिन्तन करना चाहिए।
न्यायमूर्ति श्री भार्गव जो कि आसाम के मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष भी रहे हैं ने बताया कि बच्चे को मां के गर्भ में धारण करते ही उसके मानवाधिकार प्रारम्भ हो जाते हैं। जो मनुष्य जीवन तक उसके लिए हंै परन्तु दुर्भाग्य है कि मानवाधिकार की अवहेलना करने में भी हम लोग पीछे नहीं है। ऐसे में यूनेस्को क्लब्स को आगे आकर चेतना जागृत करनी होगी कि मानव के मूल अधिकार क्या हैघ् और उनकी पालना कितनी जरूरी है। समाज सेवा के माध्यम से हम सभी को ऐसी चेतना लानी चाहिए कि हर व्यक्ति शान्ति की राह पर चले और विश्व सभी क्षेत्रों में प्रगति करें।
एसोसिएशसन के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री श्याम बनवाड़ी ने  यूनेस्को एवं यूनेस्को क्लब की कार्यप्रणाली को विस्तार से बताते हुए देश के 13 राज्यों से आएं सभी प्रतिनिधियों से अनुरोध किया की वे अपने.अपने क्षेत्रा में ऐसा वातावरण तैयार करें कि व्यक्ति शान्ति की राह पर चलकर शिक्षाए चिकित्साए स्वास्थ्य व सांस्कृतिक क्षेत्रों में तेजी से प्रगति करे।
उन्होंने मौलिक और मानवाधिकार के प्रति आम लोगों में फैल रही भ्रान्तियों को दूर करते हुए इनकी मूल भावनाओं को विस्तार से समझाया और कहा कि यूनेस्को क्लब को अब यह चिन्तन करना चाहिए कि वह अपने मूल उद्श्यों को प्राप्त करने में किस प्रकार सहायक होंगे।
समारोह के विशिष्ट अतिथि सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के उपनिदेशक श्री प्यारे मोहन त्रिपाठी ने यूनेस्को क्लब फेडरेशन की विकास यात्रा के बारे में बताते हुए अजमेर को हेरिटेज व स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करने के लिए चलाएं जा रहे कार्य और अभियान के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि अजमेर राजस्थान का प्राचिनतम शहर हैए जिसकी विभिन्न धरोहर बेमिसाल और सभी के लिए आदर्श है। सांप्रदायिक सदभाव के इस शहर को अमेरिका सरकार के सहयोग से स्मार्ट सिटी के रूप में भी विकसित किया जा रहा है।
समारोह को संबोधित करते हुए एसोसिएशसन के महासचिव श्री धीरेन्द्र भटनागर ने बताया कि 1945 में यूनेस्को की स्थापना हुई और यूनेस्को के कार्यों को आम लोगों तक पंहुचाने के लिए भारत में 1978 से यूनेस्को क्लब का गठन प्रारम्भ हुआ।  उन्होंने बताया कि यूनेस्को ंक्लब भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय से जुड़े हंै और इस मंत्रालय की गाईड लाईन पर ही कार्य कर रहे है।
राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर का शुभारम्भ न्यायमूर्ति श्री एसण्एन भार्गव ने द्वीप प्रज्वलित करके किया। राजस्थान एसोसिएशसन के अध्यक्ष डाॅण् एण्पीण्एसण् चन्द्रावत ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए देश के विभिन्न प्रान्तों से आएं प्रतिनिधियों का परिचय कराया। राजस्थान के महासचिव श्री जेण्पीण् भटनागर ने इस चार दिवसीय राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर में आयोजित होने वाले विभिन्न सत्रा एवं विशेषज्ञों की वार्ताओं के बारे में पूरी जानकारी दी। अजमेर क्लब के अध्यक्ष श्री नवीन सोगानी ने सभी प्रतिनिधियों का स्वागत किया तथा महासचिव श्री कृष्णगोपाल पाराशर ने स्मृति चिन्ह भेंट किए।
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