आगामी शिक्षा सत्र गुणवत्ता को समर्पित होगा

वासुदेव देवनानी
वासुदेव देवनानी

अजमेर, 29 अप्रैल। शिक्षा  राज्य मंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी ने कहा है कि राज्य में आगामी शिक्षा सत्र गुणवत्ता को समर्पित होगा। उन्हांेने कहा कि किसी भी राज्य के विकास की नींव श्रेष्ठ शिक्षा ही है और शिक्षा की नींव प्रारंभिक षिक्षा है। उन्हांेने ब्लाॅक प्रारंभिक शिक्षा  अधिकारियांे को प्रारंभिक शिक्षा के सुदृढ़ीकरण के साथ ही नामांकन वृद्धि, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा  और निजी के मुकाबले सरकारी विद्यालयों में अभिभावकों की विश्वास वृद्धि के लिए गंभीर प्रयास करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि ब्लाॅक प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी यह सुनिष्चित करे कि अपने-अपने ब्लाॅक में कहीं पर भी किसी विद्यालय में सौ से कम बच्चे नहीं हों। उन्होनंे कहा कि जो ब्लाॅक षिक्षा अधिकारी नामांकन बढ़ाने, नियमों पर चलते हुए विद्यालयों के विकास में योगदान देगा, सरकार उसे सम्मानित करेगी।

श्री देवनानी आज यहां राज्य कृषि प्रबंध संस्थान, दुर्गापुरा में आयोजित प्रारंभिक षिक्षा विभाग के उपनिदेषक, जिला षिक्षा अधिकारियों एवं ब्लाॅक प्रारंभिक षिक्षा अधिकारियों की दो दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यषाला में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। उन्हांेने कहा कि यह कार्यषाला नहीं बल्कि प्रारंभिक षिक्षा की समीक्षा और योजना बैठक है। ब्लाॅक प्रारंभिक षिक्षा अधिकारी षिक्षा से जुड़े कार्यों के बहुआयामों को समझें। वे समय पर पाठ्यपुस्तकों के वितरण, विद्यालय विकास समितियों के सषक्तिकरण, स्वच्छ भारत-स्वच्छ विद्यालय जैसे अभियानों की गंभीरता को समझते हुए विद्यालयों में प्रभावी वातावरण निर्माण के सहभागी बनें। उन्होंने विद्यालय विकास समितियों से जनप्रतिनिधियों  को जोड़ने के साथ ही ब्लाॅक स्तर पर भामाषाहों के सहयोग से विद्यालयों में बुनियादी सुविधाओं के विस्तार के लिए भी कार्य करने पर जोर दिया।
शिक्षा राज्य मंत्री ने कहा कि इस बात पर षिक्षा अधिकारियांे को आत्म चिंतन करने की जरूरत है कि सरकारी विद्यालयों में योग्य एवं कुषल षिक्षकों का चयन होता है, सरकार विद्यार्थिंयो को निजी के मुकाबले बेहतर सुविधाएं भी उपलब्ध कराती और उनका परिसर भी निजी के मुकाबले बड़ा ओर बेहतर होता है, फिर क्या ऐसा कारण है कि नामांकन निजी विद्यालयों के मुकाबले कम होता है। उन्होंने कहा कि विद्यालयों में नामांकन बढ़ाने के साथ विद्यालयों में बच्चों का ठहराव भी तभी सुनिष्चित होगा जब अध्यापक समय पर आएंगे और गुणवत्तापूर्ण षिक्षा विद्यालयों में प्रदान करेंगे।
श्री देवनानी ने कहा कि नवीन षिक्षा सत्र में सभी को मिलकर यह प्रयास करने की जरूरत है कि अभिभावकों का रूझान सरकारी विद्यालयो ंमें अपने बच्चों के दाखिले का हो। जब सरकारी विद्यालय में प्रवेष पूर्ण हो जाए तब वे निजी की ओर रूख करे। इसके लिए ब्लाॅक प्रारंभिक षिक्षा अधिकारियों को निरीक्षण व्यवस्था दुरस्त करने की भी जरूरत है। निरीक्षण करते समय वह सरकारी विद्यालयों की कमियों को प्रकट ही नहीं करे बल्कि स्वयं उन कमियों को दूर करने में अपनी भूमिका भी निभाएं। उन्हांेने प्रवेषोत्सव को बच्चों को स्कूल से जोड़ने के प्रयास के रूप में मनाने, विद्यालयों मंे षिषु वाटिकाओं के निर्माण और बेहतर वातावरण के लिए प्रयास किए जाने पर जोर दिया। श्री देवनानी ने कार्यषाला मंे ‘स्वच्छ भारत-स्वच्छ विद्यालय’ लघु फोल्डर का भी विमोचन किया।
कार्यषाला की अध्यक्षता करते हुए प्रारंभिक षिक्षा विभाग के प्रमुख शासन सचिव श्री पवन कुमार गोयल ने कहा कि प्रारंभिक षिक्षा की नींव मजबूत होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि षिक्षकांे को यह सोचना जरूरी है कि विद्यार्थियांे में जिस कक्षा में वह पढ़ रहा है, उसके अनुरूप ज्ञान उसे प्रदान किया जाए। उन्होंने कहा कि राजस्थान में नामांकन वृद्धि के साथ गुणवत्तापूर्ण षिक्षा को चुनौती के रूप में स्वीकार करते हुए हमने कार्य प्रारंभ किया है और इसके परिणाम भी आने लगे हैं।
श्री गोयल ने बताया कि प्रदेष में ब्लाॅक षिक्षा अधिकारियों और जिला षिक्षा अधिकारियों की क्षमता वृद्धि के प्रषिक्षण पर हम गंभीरता से ध्यान दे रहे हैं। सर्व षिक्षा अभियान के अंतर्गत विद्यालयों में बुनियादी सुविधाओं के विस्तार के कार्य प्रभावी रूप मंे किए जा रहे हैं। 30 जून से पहले पहले विद्यालयों में शौचालय निर्माण का कार्य पूर्ण कर लिया जाएगा। इसके साथ ही विद्यालयों के सम्बलन कार्यक्रम के अंतर्गत वहां पर आवष्यक सुविधाआंे के विस्तार का कार्य भी किया जा रहा है। उन्होने बताया कि हमने अब विद्यालयों के सतत पर्यवेक्षण के लिए भी पहल की है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार षिक्षा क्षेत्र में सुधार के लिए तत्पर है। इसमें षिक्षा अधिकारियंेा को प्रतिबद्ध होकर कार्य करने की जरूरत है।
माध्यमिक षिक्षा विभाग के सचिव श्री नरेषपाल गंगवाल ने विद्यालयों से समाज के जुड़ाव के लिए विषेष रूप से कार्य किए जाने पर जोर दिया। उन्हांेने कहा कि प्रारंभिक षिक्षा के अंतर्गत विद्यार्थियों को बेहतर षिक्षा प्रदान करने के साथ बुनियादी सुविधाओं के लिए भी यूनिसेफ तथा अन्य संस्थाओं के साथ मिलकर कार्य करने की जरूरत है। उन्होंने षिक्षा अधिकारियेां की दक्षता में वृद्धि के लिए प्रषिक्षण के भी नवाचार किए जाने पर जोर दिया।
इससे पहले प्रारंभिक षिक्षा विभाग के निदेषक श्री बी.एल. मीणा ने कहा कि प्रारंभिक षिक्षा विभाग के सषक्तिकरण में अहम किरदार ब्लाॅक प्रारंभिक षिक्षा अधिकारियों का ही है। वे आगे आकर विद्यालयों के विकास और वहां पर नामंाकन वृद्धि के लिए कार्य करे।
कार्यषाला में राष्ट्रीय शैक्षिक योजना एवं प्रषासन विष्वविद्यालय, नई दिल्ली के प्रो. बी.के. पाण्डा ने बताया कि न्युपा देषभर में षिक्षा अधिकारियों केा प्रषासनिक रूप से दक्ष करने के साथ ही उनकी क्षमता वृद्धि के लिए समय-समय पर कार्यषालाएं आयोंिजत करता है। विभिन्न राज्यों में विष्वविद्यालय षिक्षा अधिकारियों के शैक्षिक उन्नयन के साथ उनकी क्षमता वृद्धि के लिए कार्य करता है।
यूनीसेफ की राज्य प्रभारी श्रीमती सुलभना राय ने कहा कि राज्य में षिक्षा के विकास के लिए ब्लाॅक एजूकेषन प्लान बनाए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यूनीसेफ गुणवत्तापूर्ण षिक्षा के साथ विद्यालयों में सुविधाओं के विस्तार के लिए राज्य सरकार को सहयोग प्रदान करने के लिए तत्पर है।
कार्यषाला में उद्घाटन सत्र के बाद षिक्षा अधिकारियांे को विभिन्न स्तरों पर षिक्षा में गुणवत्ता वृद्धि, शैक्षिक प्रषासन और क्षमता वृद्धि से संबंधित जानकारियों विषया विषेषज्ञों ने दी। राष्ट्रीय शैक्षिक योजना एवं प्रषासन विष्वविद्यालय के प्रो. अरूण मेहता ने योजना एवं प्रबंधन में आंकड़ांे की भूमिका के बारे में जहां अवगत कराया वहीं षिक्षा अधिकार अधिनियम में राजस्थान व क्रियान्वयन चुनौतियों पर आरटीई के उप निदेषक मो. इस्माईल ने, जिला स्तरीय शैक्षिक योजना पर प्रो. के. बिस्वाल ने, स्वच्छ भारत-स्वच्छ विद्यालय अभियान के घटकों के क्रियान्वयन पर सहायक अभियंता श्री मनीन्द्र सिंह ने विषेष जानकारियंा दी। कार्यषाला में बुधवार को संस्था प्रधानांे के लिए विद्यालय प्रबंधन, प्रबंधन मंे नवाचार, अधिकारी स्तर पर समस्या निवारण, प्रषिक्षण आवष्यकताओं पर भी समूह चर्चाएं हुई।
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