युवाओं ने दी आकर्षक अभिनय प्रस्तुतियां

अभिव्यक्ति में साकार हुए संदेश
1234अजमेर /नाट्यवृंद थियेटर एकेडमी एवं लायनेस क्लब अजमेर सर्वउमंग के संयुक्त तत्वावधान में 20 से 30 मई तक आयोजित की जा रही 10 दिवसीय ग्रीष्मकालीन ‘यूथ एक्टिंग वर्कशॉप (युवा अभिनय कार्यशाला)‘ में आज 24 मई 2015 रविवार को शाम प्रशिक्षणार्थी युवक-युवतियों ने विशेष कार्यक्रम ‘ अभिव्यक्ति‘ के तहत प्रभावी अभिनय प्रस्तुतियां देकर अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित किया। रंगकर्मी उमेश कुमार चौरसिया के निर्देशन में अभिनय कौशल के गुर सीख रहे 32 युवा कलाकारों ने अब तक के प्रशिक्षण में जितना सीखा, उसी की प्रायोगिक प्रस्तुति इम्प्रोवाइजेशन थियेटर अभ्यास के रूप में आज चार समूह बनाकर लघु नाटक प्रस्तुत किये। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि के रूप में गौ-सेवा के लिए समर्पित इंजीनियर राजेश पुरोहित तथा विविध उल्लेखनीय सेवाकार्याें के लिए कंवलप्रकाश किशनानी उपस्थित थे तथा संस्था निदेशक डॉ अनन्त भटनागर ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। प्रारंभ में क्लब सचिव आभा गांधी व समाजसेवी राजेन्द्र गांधी ने अतिथियों का स्वागत किया। संचालन डॉ स्वतंत्र शर्मा ने किया तथा निर्मल सहवाल व हर्षुल मेहरा ने सहयोग किया। पूर्व सत्र में वरिष्ठ पत्रकार एस.पी.मित्तल ने प्रशिक्षणार्थी युवाओं के साथ अपने अनुभव बांटते हुए बताया कि जीवन में प्रत्येक कार्य को चुनौति के रूप में लेना चाहिए। अभिनय कला जीवन में आगे बढ़ने का हौसला व विश्वास पैदा करती है।

अभिनय प्रतिभा का कराया परिचय – ‘अभिव्यक्ति‘ के तहत हुई चार नाट्य प्रस्तुतियों में निर्मल सहवाल, भवानी कुशवाह, लखन चौरसिया, दिशा शर्मा, दीपक गहलोत, चन्द्रप्रकाश व मयंक के ग्रुप ने ‘बच के रहना‘ नाटक में लॉटरी व ढोंगी साधुओं के धोखे के प्रति आगाह किया। डॉ. स्वतंत्र शर्मा, हर्षुल मेहरा, अकबर, सुधीर, दीपिका अरोड़ा व कुंज बिहारी के ग्रुप ने ‘सावरकर बोलता है‘ के माध्यम से बताया कि हमारे क्रांतिकारियों ने अन्य साधनों के अभाव में केवल हथकड़ियों की ध्वनि व रोटी कमल के जरिये बड़ी क्रांति ला दी थी। इससे प्रेरणा लेकर हमें भी आधुनिक संचार माध्यमों का उपयोग सकारात्मक संदेशों के प्रसार के लिए करना चाहिए। इमरान खान, अक्षय, हर्षराव, रामप्रसाद, अंशुमान, प्रकाश व शक्ति के ग्रुप ने ‘लहू का रंग एक‘ नाटक प्रस्तुत करते हुए संदेश दिया कि हमारे लहू का रंग एक है तो हम धर्म-जाति के आधार पर क्यूं लड़ रहे हैं। चौथे ग्रुप में युवराज वाही, गौरव शर्मा, दीपिका वैष्णव, सैम, मोहित, राहुल व शिवा पारीक ने नाटक ‘बेटा-बेटी एक समान‘ में बताया कि परिवारों में बेटे और बेटी में फर्क करने की परम्परा के चलते आज लड़कियां अनेक मुसीबतों में पड़कर आत्महत्या तक कर लेती हैं। चारों लघु नाटकों में नये युवा कलाकारेां ने गीत और कविताओं के द्वारा जनप्रेरक संदेश देकर अभिनय कार्यशाला की विशेष छाप छोड़ी।

उमेश कुमार चौरसिया
निर्देशक व संयोजक
9829482601

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