तेरा कद मुझे बरगद से भी बड़ा लगता है

अजमेर की थाती हैं डॉ गोयल
IMG_20150620_180158अजमेर / डॉ रामगोपाल गोयल ने एक सार्थक शिक्षक, श्रेष्ठ मनुष्य और मनीषी साहित्यकार के रूप में अजमेर को गौरवान्वित किया है। उनके व्यक्तित्व और कृतित्व में गहरी संवेदनशीलता विद्यमान थी। अन्तर्भारती साहित्य एवं कला परिषद् के तत्वावधान में शनिवार शाम श्रमजीवी कॉलेज में आयोजित ‘पंचम डॉ रामगोपाल गोयल स्मृति समारोह‘ मंे अध्यक्षता कर रहे शिक्षाविद् डॉ अनन्त भटनागर ने ये विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि नाटककार उमेश कुमार चौरसिया ने उनके रचित खण्ड काव्य ‘सागर-संतरण‘ के संदर्भ में बताया कि डॉ गोयल द्वारा विरचित विपुल साहित्य आज भी नयी पीढ़ी को प्रेरणा दे रहा है।
मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए संस्कृतिकर्मी महेन्द्रविक्रम सिंह ने कहा कि वे विश्व साहित्य जगत की थाती हैं, उनकी रचनाओं को जन-जन तक पहुँचाने की आवश्यकता है। इस अवसर पर अतिथियों ने अभिनव प्रकाशन द्वारा प्रकाशित कृति ‘डॉ रामगोपाल गोयल की प्रतिनिधि रचनाएं‘ का लोकार्पण भी किया गया। संचालन बाल साहित्यकार गोविन्द भारद्वाज ने किया तथा संस्था अध्यक्ष अनिल गोयल ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में हुई काव्य गोष्ठी में अनन्त भटनागर ने ‘दोस्तों से मिलना अब नहीं है आसान‘, रजनीश मैसी ने ‘यूं तो दुनियां ही मुखतलिफ है कहीं आपका रूख न बदल जाए‘, देवदत्त शर्मा ने ‘मजदूर का सपना और व्यथा‘, मोहनलाल तँवर ने ‘पिता तेरा कद मुझे बरगद से भी बड़ा लगता है‘ और गोविन्द भारद्वाज ने ‘जिस मकान की चार दीवारी नहीं होती उसके दरवाजों में वफादारी नहीं होती‘ कविताएं सुनाई तथा डॉ हरीश गोयल, अतिन गोयल इत्यादि ने अपने विचार रखे।

अनिल गोयल
अध्यक्ष
अन्तर्भारती साहित्य एवं कला परिषद्
संपर्क-9460900527

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