उमेश चौरसिया की नयी कृति का विमोचन
अजमेर / रंगकर्मी एवं साहित्यकार उमेश कुमार चौरसिया की नयी कृति ‘विवेकानन्द के 10 सूत्र‘ का लोकार्पण आज मंगलवार 21 जुलाई, 2015 को राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष प्रो. बी. एल. चौधरी और संस्कृतिकर्मी व शिक्षाविद् हनुमानसिंह राठौड़ ने किया। इस अवसर पर बोलते हुए बी.एल.चौधरी ने बोर्ड में कार्य करते हुए भी श्रेष्ठ पुस्तकों की रचना करने पर चौरसिया को बधाई देते हुए कहा कि भारत अपनी आध्यात्मिकता और दार्शनिकता के बल पर ही विश्वशिखर की ओर बढ़ रहा है। संसार में मानवता को जीवित रखने की आज आवश्यकता है और यह स्वामी विवेकानन्द के ओजस्वी संदेशों के माध्यम से ही संभव होगा। हनुमानसिंह राठौड़ ने कहा कि वर्तमान युग में स्वामी विवेकानन्द युवापीढ़ी के सर्वश्रेष्ठ आदर्श के रूप में लोकप्रिय हैं। पुस्तक में उल्लिखित विवेकानन्द के सूत्र जीवन में सफलता के आधार हैं। अपने जीवन को श्रेष्ठ बनाने के लिए नयी पीढ़ी को इन्हें जीवन में अपनाना चाहिये। विमोचन कार्यक्रम में बोर्ड के अकादमिक निदेशक डॉ प्रतापभानु सिंह सहित अनेक शिक्षाविद् व साहित्यकार उपस्थित थे।
रचनाकार उमेश कुमार चौरसिया ने इस पुस्तक में स्वामी विवेकानन्द के बताये श्रेष्ठ सूत्रों को दस रोचक आलेखों के रूप में प्रस्तुत किया है। चौरसिया के अब तक 15 नाट्य संकलन तथा 7 संपादित व अन्य कृतियां प्रकाशित हुई हैं। विवेकानन्द के जीवन पर आधारित तीन प्रेरक नाटकों सहित चार अन्य पुस्तकों की रचना भी की है।
उमेश कुमार चौरसिया
निर्देशक ‘नाट्यवृंद‘
संपर्क- 9829482601
पुस्तक का परिचय
विवेकानन्द के 10 सूत्र
– वर्तमान युग में युवा पीढ़ी दिग्भ्रमित होकर ऐसे दोराहे पर खड़ी है, जहाँ उसे यह समझ नहीं आता कि किस मार्ग पर आगे बढे और सफलता के लक्ष्य तक कैसे पहुँचे? इस पुस्तक में संकलित 10 रोचक आलेखों में स्वामी विवेकानन्द द्वारा बताये गए जीवन में सफलता के 10 विशिष्ट सूत्रों को विविध रूचिकर प्रसंगों के माध्यम से समझाया गया है। प्रत्येक आलेख में विवेकानन्द एवं अन्य प्रेरक महान् व्यक्तित्वों के जीवन की प्रेरणादायी व रोचक घटनाओं के संदर्भ में जीवन में लक्ष्य प्राप्ति हेतु आवश्यक महत्वपूर्ण पहलुओं को स्पष्ट किया गया है। लक्ष्य के प्रति सजगता, कर्म के प्रति निष्ठा, निठरता, एकाग्रता, शक्तिबोघ, आत्मविश्वास, राष्ट्रसेवा, स्वाभिमान, उदारता जैसे व्यक्तित्व उन्नयन के सूत्रों को इस पुस्तक में शामिल किया है। इन सूत्रों को अपने आचरण में अपनाकर युवापीढ़ी स्वयं को चारित्रिक, मानसिक, शारीरिक व बौद्धिक स्तर पर समर्थ बना सकती है। फिर तो कोई भी सत् लक्ष्य प्राप्त करना कठिन नहीं रह जाएगा। अंत में विवेकानन्द के कर्मयोग पर दिये व्याख्यान के साथ-साथ उनकी ओजस्वी कविता ‘धीरज रखो तनिक और..‘ को भी प्रकाशित किया गया है।
प्रकाशक-साहित्यागार/वर्ष 2015/हिन्दी/200रू.
लेखक का संक्षिप्त परिचय
उमेष कुमार चौरसिया
(रंगकर्मी एवं नाटककार)
में सुपरिचित हैं।
30 वर्षाें से नाट्य लेखन, निर्देशन एवं अभिनय। नाटक के साथ-साथ लघुकथा, गजल, गीत एवं सामयिक आलेखों का निरन्तर लेखन।
65 से अधिक नाटकों का निर्देशन किया है, तथा 40 से अधिक नाटकों में अभिनय किया।
आपकी अब तक 15 नाट्य संकलन तथा 7 संपादित व अन्य कृतियां प्रकाशित हुई हैं। 71 हिन्दी व 7 राजस्थानी नाटकों की रचना की है, जिनमें 50 से अधिक बाल नाटक हैं। विविध राष्ट्रीय प्रतिनिधि संकलनों में भी नाटक एवं लघुकथाएं प्रकाशित हुई हैं।
विगत 15 वर्षाें से ‘चिल्ड्रन थियेटर‘ एवं ‘थियेटर इन एजुकेशन‘ के लिए सक्रिय हैं। एनसीईआरटी और राजस्थान संगीत नाटक अकादमी नाट्य षिविरों में निर्देशन। शिविरों/प्रदर्शनों के माध्यम से बच्चों व युवाओं को नाट्यविधा के गुर सिखाने के साथ-साथ महापुरूषों के प्रेरक जीवन प्रसंगों व पौराणिक कथाओं पर आधारित नाटकांे के द्वारा उनमें संस्कार व नैतिक मूल्यों की स्थापना का कार्य तथा युवाओं को समसामयिक चुनौतियों के प्रति जागरूक करने का प्रयास।
राजस्थान साहित्य अकादमी के प्रतिष्ठित ‘शंभूदयाल सक्सेना बाल साहित्य पुरस्कार 2011-12‘ से सम्मानित। नाटक ‘नन्हीं हवा‘ राजस्थान राज्य में प्रथम पुरस्कार से पुरस्कृत हुआ तथा हिन्दी व राजस्थानी के चार अन्य नाटक भी राज्यस्तर पर पुरस्कृत हुए।