संथारा एक धार्मिक प्रक्रिया है ना की आत्महत्या

vijay sand jainजैन धर्म एक प्राचीन धर्म हैं इस धर्म मैं भगवान महावीर ने जियो और जीने दो का सन्देश दिया हैं जैन धर्म मैं एक छोटे से जीव की हत्या भी पाप मानी गयी हैं , तो आत्महत्या जैसा कृत्य तो महा पाप कहलाता हैं |
किसी भी धर्म मैं आत्महत्या करना पाप मान गया हैं |
आम जैन श्रावक संथारा तभी लेता हैं जब डॉक्टर परिजनों को बोल देता है की अब सब उपरवाले के हाथ मैं हैं तभी यह धार्मिक प्रक्रिया अपनाई जाती हैं इस प्रक्रिया मैं परिजनों की सहमती और जो संथारा लेता ह उसकी सहमती हो तभी यह विधि ली जाती हैं | यह विधि छोटा बालक या स्वस्थ व्यक्ति नहीं ले सकता हैं इस विधि मैं क्रोध और आत्महत्या के भाव नहीं पनपते हैं | यह जैन धर्म की भावना हैं इस विधि द्वारा आत्मा का कल्याण होता हैं |
तो फिर यह आत्महत्या कैसे हुई |
हम राजस्थान हाई कोर्ट का सम्मान करते हैं पर इस फेसले को गलत भी कहते है की यह फेसला जैन धर्म की परम्परा को आघात पहुचता हैं |
सकल जैन समाज एक जुट होकर इसके लिए आन्दोलन करेगा और सुप्रीम कोर्ट भी जायेंगे और आपना पक्ष रखेंगे मैं विजय जैन(सांड) (राष्ट्रिय उपाध्यक्ष भारतीय जैन अल्पसंख्यांक समाज अध्यक्ष राजस्थान जैन अल्पसंख्यांक समाज राष्ट्रिय मंत्री युवा शाखा जैन कांफ्रेंस) आपसे अनुरोध करता हु की सकल जैन समाज एक जुट होकर इस मुहीम को आन्दोलन का रूप दे |

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