राजस्थान उच्च न्यायालय में न्यायाधीश मनीष भंडारी के समक्ष 13 अगस्त को अजमेर नगर सुधार न्यास के अध्यक्ष रहे नरेन शाहनी के भ्रष्टाचार प्रकरण की सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान एसीबी के डीजी नवदीप सिंह भी उपस्थित रहे। न्यायाधीश भंडारी ने नवदीप सिंह से जानना चाहा कि भ्रष्टाचार के इस प्रकरण की जांच को भीलवाड़ा से अजमेर में क्यों बदला गया? भंडारी ने यह भी जानना चाहा कि पहले नरेन शाहनी और अन्य व्यक्तियों को आरोपी बनाया गया, लेकिन फिर बाद में जांच के दौरान आरोप मुक्त क्यों किया गया? न्यायाधीश भंडारी के इन दोनों ही सवालों का जवाब नवदीप सिंह संतोषजनक तौर पर नहीं दे सके। इस पर न्यायाधीश भंडारी ने गहरी नाराजगी प्रकट की।
इस बीच न्यायालय को यह भरोसा दिलाया गया कि भ्रष्टाचार के इस प्रकरण में अभी तक किसी भी आरोपी को निर्दोष नहीं माना माना गया है तथा जांच जारी है। नवदीप सिंह ने यह भी कहा कि जांच को भीलवाड़ा से अजमेर स्थानांतरित करने के आदेश एसीबी के पूर्व एडीजी मनोज भट्ट ने दिए थे। इस पर न्यायाधीश भंडारी ने आगामी 19 अगस्त को मनोज भट्ट को भी न्यायालय में उपस्थित होने के आदेश दिए। हाईकोर्ट के रुख से प्रतीत होता है कि नरेन शाहनी के खिलाफ जांच जारी रहेगी। मालूम हो कि शाहनी कांग्रेस के नेता रहे हंै और मुकदमा दर्ज कर लेने के बाद शाहनी को नगर सुधार न्यास के अध्यक्ष के पद से इस्तीफा देना पड़ा था। तब पूरे प्रदेश में शाहनी और कांग्रेस के थू-थू हुई थी।
असल में शाहनी के विरुद्ध भ्रष्टाचार की शिकायत करने वाले अजमद ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि शाहनी और अन्य आरोपियों ने अपने रसूकातों से जांच को प्रभावित किया है, इसलिए जांच को भीलवाड़ा से अजमेर स्थानांतरित करवाया और जब एसीबी के अजमेर दफ्तर में दोबारा जांच की तो शाहनी और अन्य प्रभावशाली व्यक्तियों को आरोप मुक्त कर दिया। अपने कथन के पक्ष में अजमद ने समाचार पत्रों में प्रकाशित हुई खबरें न्यायालय में प्रस्तुत की। इन खबरों में बताया गया कि जांच अधिकारी ने भ्रष्टाचार के प्रकरण में शाहनी और अन्य आरोपियों को दोषी नहीं माना है। जांच में वो तर्क भी दिए हैं जिनमें शाहनी पर आरोप सिद्ध नहीं होते हैं। अजमद का कहना रहा कि जब एसीबी के भीलवाड़ा दफ्तर में प्राथमिकी दर्ज की थी, तब शाहनी व अन्य व्यक्तियों को भ्रष्टाचार का आरोपी माना। इसको लेकर एसीबी की अदालत में आरोप पत्र भी पेश किया गया। अजमद ने कहा कि शाहनी ने अपने रसूकातों से न केवल जांच बदलवाई बल्कि स्वयं को आरोप मुक्त करवा लिया। 13 अगस्त के हाईकोर्ट के रुख से शाहनी का मामला अब और उलझ गया है।
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