अजमेर / साहित्य समाज का प्रतिबिम्ब होता है, अच्छे साहित्य का पाठक के मन-मस्तिष्क पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। आज समाज में भावनात्मक संबंधों की कमी आ रही है, उसे साहित्यिक कृतियों के द्वारा ही समझा व दूर किया जा सकता है। आज ऐसे भामाशाहों की आवश्यकता है जो अच्छी पुस्तकों के प्रकाशन में सहयोग करें ताकि वे नयी पीढ़ी को न्यूनतम मूल्य पर उपलब्ध हो सकें। ये विचार शिक्षा राज्यमंत्री प्रो.वासूदेव देवनानी ने व्यक्त किये। वे अखिल भारतीय साहित्य परिषद् एवं ‘नाट्यवृंद‘ के संयुक्त तत्वाधान में दो अक्टूबर, 2015 को सांय 5.30 बजे इण्डोर स्टेडियम में आयोजित युवा रचनाकार देशवर्धन के उपन्यास ‘मनन‘ के लोकार्पण समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर बोल रहे थे।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि पद्मश्री डॉ. चन्द्रप्रकाश देवल ने ‘रहीमन यों सुख होत है बढत देख निज गोत‘ सुनाते हुए कहा कि नये रचनाकारों के आने से साहित्य समृद्ध होता है किन्तु उन्हें भाषा और उपन्यास की परम्परा के प्रति सचेत रहना चाहिए। शिक्षाविद् हनुमानसिंह राठौड़ ने नये उपन्यास का स्वागत किया और अध्यक्षीय उद्बोधन में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. बद्रीप्रसाद पंचोली ने युवा लेखकों को अधिकाधिक साहित्य पढकर प्रेरणा लेने की बात कही। स्वागत भाषण देते हुए परिषद् के जिला संयोजक उमेश कुमार चौरसिया ने कहा कि वर्तमान समय में युवापीढ़ी का रूझान फिर से साहित्य की ओर बढ़ता दिख रहा है, ऐसे में वरिष्ठ साहित्यकारों को युवा लेखकों का स्वागत करते हुए उन्हें प्रोत्साहित करना चाहिए। अतिन प्रकाशन द्वारा प्रकाशित इस उपन्यास पर चर्चा के दौरान बाल कहानीकार गोविन्द भारद्वाज, कवि बख्शीश सिंह, गोपाल माथुर ने उपन्यास के विषय, घटनाक्रम, शेैली और पात्रों की व्यवहारिकता पर विस्तृत व्याख्या की। कार्यक्रम का कुशल संचालन कथाकार डॉ पूनम पाण्डे ने किया। प्रारंभ में शक्तिवर्धन साधू ने अतिथियों का स्वागत किया। इस अवसर पर गजलगो सुरेन्द्र चतुर्वेदी, डॉ चेतना उपाध्याय, डॉ हरिश गोयल, डॉ अखिलेश शर्मा, कलाकार अंकित, निर्मल व हर्षुल, अतिन गोयल सहित अनेक प्रबुद्धजन उपस्थित थे।
उमेश कुमार चौरसिया
जिला संयोजक संपर्क-9829482601
