अजमेर /संयुक्त परिवार अनेक पारिवारिक समस्याओं का समाधान दे सकता है। परिवार में स्त्रियों को अपनी विविध भूमिकाओं पर चिन्तन करते हुए रिश्तों को मजबूत बनाने का काम करना चाहिए। शक्ति, लक्ष्मी और ज्ञान की देवियों की आराधना के इस देश में आज आवश्यकता इस बात की है कि माँ अपनी बेटियों को नम्रता, मर्यादा और संस्कार सिखाये। अखिल भारतीय साहित्य परिषद् अजमेर और महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय के द्वारा आयोजित तीन दिवसीय ‘अखिल भारतीय महिला साहित्यकार सम्मेलन‘ के उद्घाटन के अवसर रविवार 25 अक्टूबर को पर ये विचार व्यक्त करते हुए शिक्षा राज्यमंत्री प्रो वासूदेव देवनानी ने कहा कि भारतीय संस्कृति और गौरव से परिचित कराने के लिए राजस्थान में बच्चों को वीर-वीरांगनाओं की गाथाएं पढ़ाई जाएंगी। महिला व बाल विकास राज्यमंत्री अनिता भदेल ने कहा कि हम भौतिकवादी युग में नारी बनाने में लग गए हैं माँ बनाना भूल गए हैं। परिवारिक रिश्तों में संवेदनाएं बिखर रही हैं उसे समेटने का काम महिला ही कर सकती है। लोक साहित्य की विदुषी डॉ विद्या बिन्दु सिंह ने सारस्वत उद्बोधन में कहा कि परिवार की धुरि है महिला। अपनी संतती को संस्कारशील बनाना महिला का ही दायित्व है। आज व्यक्तिगत सुखसुविधाओं की ललक में हमारे बुजुर्ग अकेले पड़ गए हैं। समाज को संस्कृति के अनुरूप बनाना साहित्यकारों का धर्म है।
प्रारंभ में मुख्य संयोजक डॉ बद्रीप्रसाद पंचोली ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि महिला जीवनोत्सव की जन्मदात्री है। उन्होंने आव्हान किया कि जागरूक महिला साहित्यकार अपनी संरचनात्मक शक्ति का सदुपयोग करते हुए समाज से नकारात्मकता और अकर्मण्यता को दूर करने हेतु संकल्पित हों। परिषद् के जिला संयोजक उमेश कुमार चौरसिया ने सत्रों की संरचना के बारे में बताते हुए कहा कि परिषद् की 51 वीं वर्षगांठ के अवसर पर यह आयोजन किया जा रहा है। इस सत्र में जाग तुझको दूर जाना‘ विषयक निबन्ध पाठ करते हुए अशिक्षित महिलाओं द्वारा किये गए उल्लेखनीय कार्याें का जिक्र करते हुए कहा कि वर्तमान में उभरी विवाहेत्तर संबंध, लिव इन रिलेशनशिप, कन्या भ्रूण हत्या और दहेज की समस्याओं के मूल में भी स्त्री है और हल में भी स्त्री ही है। उद्घाटन सत्र का कुशल संचालन डॉ विमलेश शर्मा और डॉ पूनम पाण्डे ने किया। अखिलेश शर्मा, दुष्यंत पारीक, गौरव चौरसिया ने राजस्थानी परम्परा से अतिथियों का स्वागत किया। डॉ अजीत पटेल, डॉ जयदेव, लालसिंह पुरोहित व अशोक ने आयोजन में सहयोग किया। सम्मेलन में विविध प्रान्तों से आयी कई भाषाओं केे 48 सम्भागी महिला साहित्यकार भाग ले रही हैं।
विशिष्ट महिला साहित्यकारों का हुआ सम्मान- उद्घाटन सत्र मंे साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाली विशिष्ट महिला साहित्यकारों का सम्मान भी किया गया। इनमें शहीद केसरीसिंह बारहट परिवार की लेखिका राजलक्ष्मी देवी साधना, साहित्य परिक्रमा की सम्पादक डॉ क्रांति कनाटे, हिन्दी भाषा आयोग की सदस्या डॉ रमा सिंह और हिन्दी व सिन्धी की लेखिका डॉ कमला गोकलनी को प्रो देवनानी व अनिता भदेल ने राजस्थानी दुशाला ओढाकर सम्मानित किया।
सत्रों मंे हुई चर्चा- प्रथम दिन आयोजित अन्य संयुक्त सत्र में युगयुगीन नारी और राष्ट्रीय परिदृश्य में महिला लेखन पर विस्तृत चर्चा हुई। सत्रा की अध्यक्षता डॉ रमा सिंह ने की तथा सारस्वत अतिथि डॉ कमला गोकलानी रहीं। संचालन डॉ शमा खान ने किया। विदुषी महिला साहित्यकारों ने कहा कि अपनी बेटियों को निडर बनाने की जरूरत है, ताकि वे घर, समाज की कुदृष्टि से स्वयं की रक्षा कर सके। राजस्थान में लड़कियों पर दिखाई देते अनेक दबावों पर भी चिन्ता व्यक्त की गई। घर में लड़के और लड़की में भेद करंेगे तो स्त्री को आगे बढ़ाने की बात बेमानी ही रह जाएगी। महिला में तीन तत्व दृढता, आत्मविश्वास और विवेक जन्म से ही निहीत हैं, बस आवश्यकता है उन्हें पहचानने और विस्तार देने की और उसे अगली पीढ़ी में हस्तान्तिरित करने की। माँ की सोच ही लडकियों को दृढ बना सकती हैं। आज हुए विशेष सत्र में डॉ रमा सिंह की कविताओं के नाम रहा। इसमें उन्होंने स्त्री संवेदना को बखूबी बयान किया। आज 26 अक्टूबर को प्रातः 9.30 बजे से महिला सुरक्षा, सहिला शक्तिकरण और नवउदारवाद की चुनौतियांँ और महिलाएं विषयों पर तीन सत्र आयोजित किये जाएंगे। सांयकाल 4.30 बजे से कवयित्री सम्मेलन का आयोजन भी रखा गया है, जिसमें प्रख्यात महिला कवयित्रियां कविता पाठ करेंगी। इसमें सभी पुरूष व महिला साहित्यप्रेमियों को आमंत्रित किया गया है।
उमेश कुमार चौरसिया
सह-संयोजक
एवं अजमेर जिला संयोजक(अ.भा.सा.प.)
संपर्क-9829482601
