अजमेर 24 दिसम्बर। सूफी संत हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिष्ती के वंषानुगत सज्जादानषीन एवं आध्यात्मिक प्रमुख दरगाह दीवान सैय्द जैनुल आबेदीन अली खान ने जष्ने मिलादुनब्ीी के अवसर पर देष वासियों के नाम पैगाम देते हुऐ कहा कि इस दुनिया में कई कौमे जातिया गुजरी हैं और कुरान शरीफ के अनुसार हर कौम पर एक पैगम्बर अल्लाह ने अपने दूत के रूप भेजा ताकी उस कौम को बुराई से बचाया जा सके कुरान शरीफ में उन ही मे से कुछ कौमों और पैेगमबरों का विवरण मिलाता हैं और कुरान हजरत मोहमद मुस्तफा (स.अ.व.) पर उतरा है क्योकि आप आखरी पेगम्बर हे और हर पेगम्बर के रहबर हे यानि आप सिर्फ मुलसमानो के ही नबी नही आप पूरी भ्रमंाड के लिये हर जाती हर धर्म के लिये नबी के रूप में आए है।
आप की ताजिम के लिऐ कहा जाता हे के अगर हजार बार भी मुश्क और अम्बर से भी जबान साफ करे तब भी आप के जिकर् के काबिल जबान न होगी मगर आज हम देखे तो औ मोजुददा हालत का जायजा ले तो मालूम होगा के पुर्व् की न फरमान कौमों और जातीओ की तरह मिलता है। यही वजह हे हम तरक्की तो कर रहे हे मगर अपने व्यवाहर और अच्छाईयो के तोर पर दिनप्रति दिन गिरते जा रहे हे। वोह तो हजरत मोहम्मद मुस्तुफा (स.अ.व.) की आसूओ भरी दुआओं का असर है की हम उपर वले के अजाब से बचे हुए हे। वर्ना मोजुद माहोल के अनुसार तो हम पर भी पूर्व जातियो की तरहे अजाब आता और सब खत्म हो जाता।
इसीलिऐ आज इन सब से बचने के लिए हमे अपनि अपनी जिदगी में हज़रत मोहम्मद मुस्तफा (स.अ.व.) की शिक्षाओ को अपने अंदर एक करदार तरहे उतरना होगा वर्ना सोचये मोजोदा हालत के अनुसार तो हमारी आने वाली नस्लों युवा के लेए तो कुछ भी नही बाचेगा सिवाऐ अंधकार और अंधकार के।
आज जो दुनिया में आतंकवादी इस्लाम, कुरान और हज़रात मोहमद मुस्तफा (स.अ.व.) के नाम का इस्तेमाल करके अपना आतंक का खेल खेल रहे हे और इन पाक नामो को बदनाम कर रहे हे उन लोगो को हमें मुह तोड़ जवाब देंने के लिए आप हज़रत महोमद (स.अ.व.) की शिशाओ को अपने जीवन में उतारने के सखत जरूरत हे और हमें ऐसा कर के बताना होगा कि इस्लाम कुरान और हज़रात महोम्मद (स.अ.व.) अमन चेन भाईचारे का पैगाम देते हे महोबत एवं समानता का पैगाम देते हे।
इसी प्रकार से आप हज़रत मॉहमद (स.अ.व.) ने शिशा पर भी जोर दिया था आप ने अपने जीवनकाल में कहा था के अगर तालीम हासिल करने के लीए चीन भी जाना पड़े तो जाओ इस के पछे यही मकसद था के तालीम से इन्सान जीने का तरीका सीखता हे रहने का बोलने का तरीका सीखता हे और खुद का और समाज का उत्थान करने की भी काबिलयत उस में आती हे इस लीऐ हमें समाज के हर तबके की शिक्षा पर जोर देने के सख्त जरूरत हे
आप हज़रत मोहमद (स.अ.व.) ने स्पष्ट रूप से आदेश दिया था की हमे औरतो की इज्जत करनी चाहिए उन की खुशोयो का ख्याल रखना चाहिये उन को भी पड़ने की छूट दी जाये उन पर नरमी से पेश आओ उन पर जुल्म मत करो मगर अफ़सोस आज भी ओैरतो पर जुल्म होता हे और बेटीओ को कोख में ही मारा जा रहा हे ।
क्यु न आज के दिन हम सब हुन्दुस्तानी यह सकल्प ले की हम हज़रत ममोहम्मद (स.अ.व.) की शिक्षाअेंा का पालन करते हुए हमेशा मिल जुलकर मोहबत के साथ रहेंगे एक दुसरे को आपना भाई मानते हुए सुख दुःख में काम आयेगे और हमारे देश से आतंकवाद और अन्य सामाजिक बुराईयों को दूर कर के देश की तरक्की में आपना योगदान देंगे