विविधता होते हुए भी भारत एक है- राज्यवर्धन सिंह

राज्यवर्धन सिंह राठौड़
राज्यवर्धन सिंह राठौड़
अजमेर। 17 जनवरी। अखिल भारतीय संस्कृति समन्वय संस्थान अजमेर के तत्वाधान में जवाहर रंगमंच में आयोजित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राज्यवर्धन सिंह सूचना एवं प्रसारण मंत्री भारत सरकार, मुख्यवक्ता माननीय पदमश्री मुजफ्फर हुसैन, माननीय रामप्रसाद जी सरंक्षक, जे.पी. शर्मा अध्यक्ष, आशुतोष पंत महासचिव, विशिष्ट अतिथि राकेश गुप्ता, धर्मेश जैन तथा कमल शर्मा कोषाध्यक्ष कार्यक्रम के अतिथिगण थे। मां भारती के चित्रपट पर माल्यार्पण एवं दीपप्रज्वलन द्वारा अतिथियों ने कार्यक्रम का श्रीगणेश किया एवं संरक्षक कंवल प्रकाश तथा अध्यक्ष डा. एम. के. सिंह ने अतिथियों को माल्यार्पण कर स्वागत किया। डा. प्रेमलता सोनी ने अतिथियों का परिचय प्रस्तुत किया।
आशुतोष पंत ने संस्थान की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए कहा कि संस्थान विभिन्न वंशावलियों के द्वारा डाटा बेस एवं तथ्यों का संकलन कर भारतीय संस्कृति के मूल में विभिन्न जातियों धर्मो एवं सम्प्रदायों के योगदान पर शोध कर रहा है। सभी धर्मो को एक सूत्र में पिरोकर राष्ट्रीय एकता सुदृढ़ करने हेतु सांस्कृतिक प्रवाह नाम शोध पुस्तक का विमोचन भी अतिथियों द्वारा किया गया।
कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयं संघ के धर्म जागरण विभाग के अखिल भारतीय विधि-निधि प्रमुख व संरक्षक माननीय रामप्रसाद जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारत वर्ष विविधताओं का देश है फिर भी इस देश में एकात्मकता प्राचीन समय से रही है। यहंा के ऋषियों ने ऐसी व्यवस्था स्थापित की युगांे युगों से भारतीय संस्कृति में समरसता एवं भ्रातृत्व भाव आज भी चला आ रहा है। भारत वर्ष में पहली मस्जिद का निर्माण केरल के राजा ने कराया। इस प्रकार की सहिष्णुता हमारे देश की धरोहर है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राज्यवर्धन सिंह ने अपने उद्बोधन में कहा कि हमारी संस्कृति में पांच भकार का मिश्रण है- भाषा, भूषा, भोजन, भवन और भजन। इन सब में विविधता होते हुए भी भारत एक है। क्योकि अनेकता में एकता भारत की विशेषता है। उन्होने कहा कि खेल का मैदान शिक्षा और संस्कृति ये सब हमे जोड़ने के महत्वपूर्ण सूत्र है।
मुख्यवक्ता पद्मश्री डा. मुजफ्फर हुसैन ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारतवर्ष धर्मो की रक्षा करने वाला देश है। फारसी ईरान से नौसारी मे आये और भारत ने उन्हे संरक्षण प्रदान किया। नौसारी के राजा ने फारसियों को जिस प्रकार संरक्षण किया उसी तरह अन्य समाजों का समन्वय करना होगा। भारत की जलवायु व्यक्ति को सहिष्णु बनाती है। उन्होने विभिन्न शब्दों की व्युतपत्ति से संस्कृति को जोड़कर प्रमाणित किया कि सभी संस्कृतियां एक है। जिस प्रकार शरीर के सभी अंग मिलकर एक सुन्दर सुदृढ़ शरीर का निर्माण करते है। उसी प्रकार सभी धर्म सम्प्रदाय मिलकर एक सुदृढ़ भारतवर्ष का निर्माण करें।
आज कार्यक्रम में कमल शर्मा, मुन्नसिफ भाई, करण सिंह, किशन माहेश्वरी, गिरधर भण्डारी, शैलेन्द्र सतरावला, धनपत महेता, दीपसिंह, बाबूलाल, डा. सुभाष माहेश्वरी, डा. एम.एस चौधरी, डा. महावीर, सीताराम, कुलदीप गहलोत, दिलीप, नरेन्द्र सिंह, पूजा शर्मा, गुलाम मुस्तफा, हेमेन्द्र, सुशील बिस्सु, चन्द्रप्रकाश भोजवानी, संतोष मार्य, सीमा अखावत, वनिता जैमन एवं राजेन्द्र ने अतिथियों का माल्यार्पण कर शॉल एवं स्मृति चिन्ह भेट किया। कार्यक्रम के अन्त में वन्दे मातरम् ममता तुल्सयानी द्वारा प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम का संचालन कशमीर भट्ट एवं अशोक शर्मा ने किया।

कंवल प्रकाश
9829070059

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