जीवन मूल्यों का आधार हैं वेद

दो दिवसीय राष्ट्रीय वेद सम्मेलन सम्पन्न हुआ
12345अजमेर/वर्तमान जीवन भौतिकवाद व तर्क-विवाद से भरा दूषित जीवन हो गया है, जबकि वैदिक जीवन निष्ठा और आस्था से भरी श्रेष्ठ जीवन पद्धति है। वेद हमें स्वस्थ जीवन का दर्शन कराते हैं। इसलिए वर्तमान जीवन को अवमूल्यन से बचाने के लिए हम सभी वेदों में उल्लिखित आचरण का अपने जीवन का आधार बनाएंगे। इसी समवेत उद्घोष के साथ अखिल भारतीय साहित्य परिषद् अजमेर एवं ग्लोबल सिनर्जी समिति जयपुर के संयक्त तत्वावधान में ऋषि उद्यान में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय वेद सम्मेलन सम्पन्न हुआ।
आज सात फरवरी को दूसरे दिन ‘वेद और आधुनिक जीवन‘ तथा ‘वेद और पर्यावरण‘ विषयों पर विस्तार से चर्चा हुई। पूर्व सांसद रासासिंह रावत ने कहा कि वेद ही परम धर्म है, वेद जीवन मूल्यों का आधार है। वेदों में दिये गये संदेश हमारे जीवन को श्रेष्ठ बनाने में उपयोगी सिद्ध होंगे। संयोजक डॉ. बद्रीप्रसाद पंचोली ने वेदमनीषी डॉ. फतहसिंह के साथ हुए अनेक प्रेरणादायी संस्मरण बताते हुए कहा कि वे वेद की साक्षात प्रतिमूर्ति थे। उनके व्यवहार, साहित्य, वाणी, दिनचर्या, वेशभूषा सर्वत्र वेद का प्रभाव दिखता था। उनके स्वास्थ्य का कारण भी वेद आचरण ही था। ग्लोबल सिनर्जी की अध्यक्ष डॉ. श्रद्धा चौहान ने उनकी जीवनशैली और विशिष्ट प्रकार की ताली से जुड़े व्यायाम के बारे में बताया। डॉ. प्रतिभा शुक्ला ने बताया कि वेद जीवन की चुनौतियों का सामना करते हुए जीवन में आगे बढ़ने में मदद करते हैं। इंजीनीयर संदीप पांडे ने गौमाता के गोबर व गौमूत्र के लाभ बताते हुए इसे वेद दर्शन से जोड़ने पर बल दिया। डॉ. सहदेव शास्त्री ने वेदभाषा की नासमझी से गलत अर्थ में प्रयुक्त किये जाने वाले अनेक शब्दों की जानकारी दी। गीतकार डॉ पूनम पाण्डे ने शंकराचार्य के सुदर श्लोकांे का गीतमय उच्चारण कर श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया। कृषि वैज्ञानिक जसवंत सिंह ने हमारी वैदिक परम्परा में पेड़-पौधों को प्रिय मानकर उनकी सेवा करने की धारणा से अवगत कराते हुए बताया कि पृथ्वी पर एक तिहाई भूभाग पर हरियाली होनी चाहिए। इसके अभाव के कारण ही हमारा जीवन अस्वस्थ होता जा रहा है।
सम्मेलन के दौरान अनेक बार वेद मंत्रों का सस्वर उच्चारण किया गया, जिससे वातावरण वेदमय हो गया। अंत में परिषद् के जिला संयोजक उमेश कुमार चौरसिया ने आभार अभिव्यक्त किया। सम्मेलन के दूसरे दिन डॉ मधु मेहरा, डॉ विष्णुदत्त शर्मा, डॉ संदीप अवस्थी, डॉ कमला गोकलानी, डॉ अनीता खुराना, डॉ सुधा वर्मा, डॉ भवानी शंकर व्यास सहित अनेक वेद विद्यार्थियों ने अपने विचार व्यक्त किये। विविध सत्रों में वेद विषयक शोधपत्र भी पढ़े गए। इस अवसर पर डॉ बद्रीप्रसाद पंचोली द्वारा सम्पादित स्मारिका ‘श्रुति-सन्दोह‘ तथा डॉ पूनम पाण्डे रचित काव्य-संग्रह ‘सच का सामना‘ व लघुकथा संग्रह ‘मातृगन्ध‘ का लोकार्पण अतिथियों ने किया। आयोजन में डॉ अखिलेश शर्मा, डॉ जयदेव, आशीष मिश्र, अजीत पटेल, सर्वेश मिश्र, गौरव चौरसिया, दुष्यन्त पारीक, सीमा गौतम, अशोक भागवत आयोजन में डॉ अखिलेश शर्मा, डॉ जयदेव, आशीष मिश्र, अजीत पटेल, सर्वेश मिश्र, गौरव चौरसिया, दुष्यन्त पारीक, सीमा गौतम, अशोक भागवत, शिवप्रकाश कुमावत व अमित उपाध्याय का महत्वपूर्ण सहयोग रहा।
खूब जमी काव्यगोष्ठी- पूर्व सत्र में आयोजित काव्य-गोष्ठी में डॉ क्रांति कनाटे ने विविध मनोभावों की कविताएं सुनाईं। महाराष्ट्र की सीमा मिश्रा ने टूटते परिवारों की गाथा को कविता में अभिव्यक्त किया। रेणु मिश्रा ने कन्या भ्रूण हत्या के दर्द को उकेरा। अशोक भागवत, अखिलेश शर्मा, विरेन्द्र बारहठ तथा गौरव चौरसिया ने भी आधुनिक विचार बोध की कविताएं सुनाकर वर्तमान परिदृश्य प्रस्तुत किया। हेमेन्द्र आर्य की हास्य रचना ने सबको गुदगुदाया। डॉ कमलकान्त शर्मा ने आध्यत्मिक गीत का पाठ किया। गोष्ठी की अध्यक्षता डॉ बद्रीप्रसाद पंचोली ने की।

उमेश कुमार चौरसिया
जिला संयोजक
अखिल भारतीय साहित्य परिषद
संपर्क-9829482601

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