संभावना हारने लगी पर जीत गया जीवन

मित्तल हॉस्पिटल मेें आसान हुई 82 वर्षीय बुर्जुग के जीने की राह
prmhrc8-2-16 khemchandअजमेर 8 फरवरी। नागौर जिले की कुचामनसिटी तहसील के मंगलाना पोस्ट स्थित बड़ागांव निवासी 82 वर्षीय बुर्जुग खेमचंद के आगे जीने की राह मित्तल हॉस्पिटल के न्यूरोफिजीशियन डॉ. विनोद शर्मा ने तब आसान कर दी जब परिजन उनके बचने की संभावना हारने लगे थे। सोमवार को जब खेमचंद को पूरे बीस दिन बाद हॉस्पिटल से छुट्टी दी जा रही थी तो उनके परिवारजन की ऑखों में खुशी की अलग ही चमक थी। इस उम्र में दिमाग की नस फटने के बाद भी मरीज डैमेजकंट्रोल कर रिकवर करता है तो इसे करिश्मा ही कहा जाएगा।
खेमचंद के पुत्र हुकमीचंद सोमवार को जबकि अपने पिता को उपचार लाभ मिलने पर फिर से घर ले जा रहे थे तो कहने लगे मित्तल हॉस्पिटल की सुपर स्पेशियलिटी सेवाओं की वजह से उनके पिता के आगे जीने की राह आसान हो गई अन्यथा वे तो उम्मीद हारने लगे थे। उन्होंने बताया कि गत 18 जनवरी 16 को उनके पिता को सिर चकराने से घर में गिर जाने और शरीर के बाएं हिस्से में पक्षाघात होने की शिकायत पर गांव से मकराना हॉस्पिटल के लिए लेकर निकले थे। मकराना में डॉ. अजय शर्मा ने उन्हें देखने के बाद तुरंत सीटी स्कैन कराने की सलाह दी। उन्होंने बताया कि वे सीटी स्कैन के लिए कुचामनसिटी के लिए रवाना हो रहे थे इससे पहले ही रास्ते में ही खेमचंद गहरी नींद (बेहोशी की अवस्था)में चले गए। उन्होंने कुचामनसिटी में रुकने के बजाय सीधे अजमेर मित्तल हॉस्पिटल पहुंचने का निर्णय किया। यहां न्यूरोफिजीशियन डॉ. विनोद शर्मा ने उनके पिता का जीवन रक्षित कर दिया। खेमचंद के दामाद शास्त्री नगर निवासी चतुर्भज शर्मा ने बताया कि उम्रदराज होने पर परिजन किसी भी तरह के ऑपरेशन का जोखिम लेने के पक्ष में नहीं थे। उन्होंने डॉ. विनोद शर्मा की सलाह पर भरोसा दर्शाते हुए न्यूरो की नार्मल दवाइयों से ही उनका उपचार शुरू करवाया आज जबकि उन्हें छुट्टी दी जा रही है वे पूरी तरह होश में है और परिवारजनों को पहचान भी रहे हैं। उनका रक्तचाप नार्मल है। सांस भी बराबर पा रहे है।
पुत्र हुकमीचंद ने बताया कि उनके पिता खेमचंद नियमित योगा किया करते थे। इस उम्र में भी वे शीर्षासन करते थे। हॉस्पिटल में उपचाररत होने से पूर्व भी उन्होंने नियमित योगाभ्यास किया। बाद में वे पेशाब के लिए गए जहां उठकर हाथ धोते हुए उन्हें चक्कर आए और वे वहीं गिर गए। घर पर उपस्थित महिलाओं ने ही उन्हें संभाला और उन्हें सूचना दी जिस पर वे उन्हें तुरंत लेकर हॉस्पिटल के लिए रवाना हो गए।

मैंने तो अपना कर्म किया शेष..
खेमचंद का उपचार शुरू किया तो वे होश में नहीं थे। दिमाग की नस फटने से दिमाग के दाएं हिस्से में खून जमा था। यही वजह रही उनके शरीर के बाएं भाग में पक्षाघात हो गया। उच्च रक्तचाप के कारण संभव ऐसा हुआ हो। इस उम्र में मरीज की रिकवरी रेट बहुत कम होती है, हमने अपना कर्म किया। यह सही है कि मरीज का उपचार शुरू करने में विलम्ब होता तो जीवन को जोखिम था।
डॉ. विनोद शर्मा, न्यूरोफिजीशियन

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