मौलाना अबुल कलाम ने भारत की शिक्षानीति की रचना की- जैन

vijay jain 1अजमेर 22 फरवरी। शहर जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय जैन ने कहा है कि देश के प्रथम शिक्षामंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद ने आजाद भारत की शिक्षानीति की रचना करके शिक्षा व्यवस्था की ऐसी बुनियाद रखी, जिसके रास्ते पर चलकर देश ने न सिर्फ तरक्की की, बल्कि आज समूचे विश्व में हर क्षेत्र में भारत अपनी अलग अहमियत रखता है। वह सोमवार को मौलाना आजाद की 58 वीं पुण्यतिथि पर आजाद पार्क में संगठन द्वारा आयोजित पुष्पांजलि कार्यक्रम में कांग्रेस कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे।
उन्होने कहा कि स्वतंत्रता के बाद उन्होंने भारत सरकार के प्रथम शिक्षामंत्री के रूप में 11 वर्ष तक कार्य कर देश की शिक्षा व्यवस्था का बुनियादी ढांचा तैयार किया जिसमें देश में आने वाली गैर कांग्रेसी सरकारें चाह कर भी कोई बदलाव नहीं कर सकीं। यह मौलाना आजाद की सोच और मेहनत का नतीजा ही है कि देश मे 50 के दशक में ही आईआईटी, यूजीसी, सेंट्रल बोर्ड, एआईसीटीई, ललित कला अकादमी, साहित्य कला अकादमी जैसी महत्वपूर्ण संस्थानों की स्थापना हो सकी। यह संस्थान भारतीय शिक्षा व्यवस्था में अत्यंत महत्वपूर्ण होते हुए विश्व स्तर पर प्रतिष्ठित हैं।
जैन कहा कि यू.पी.ऐ. सरकार द्वारा लागू किया गया निःशुल्क शिक्षा का अधिकार अधिनियम मौलाना आजाद के इस सपने को साकार करने वाला एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने मौलाना आजाद के सादगीपूर्ण जीवन का उदाहरण देते हुए कहा कि उनकी मृत्यु के समय उनके पास ना तो कोई निजी संपति थी और ना ही कोई बैंक एकाउंट। भारतीय समाज में धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को स्थापित करने में मौलाना आजाद की अनुकरणीय पहल की सराहना करते हुए कहा कि उनका देश की अखंडता के लिए योगदान अविस्मरणीय रहेगा।
उन्होंने कहा कि मौलाना आजाद ने अखंड भारत का सपना देखा था, इसीलिए देश के विभाजन को उन्होंने अंतिम सांसों तक स्वीकार नहीं किया। उन्होने कहा कि मौलाना आजाद के व्यक्तित्व के अनेक पहलुओं के उदाहरण देते हुए कहा कि उनकी शिक्षा नीति और दर्शन वर्तमान परिवेश में भी भारतीय शिक्षा व्यवस्था के मार्गदर्शक है सर्व प्रथम मौलाना आजाद ने ही शिक्षा का अधिकार की वकालत की और 14 साल तक के बच्चे को मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध करवाया जाना सरकार का दायित्व बतलाया था।
इससे पूर्व मौलाना आजाद की प्रतिमा पर फूल माला पहनाकर पुष्पांजलि की गई इस अवसर पर अषोक बिंदल, जुल्फिकार चिष्ती, बिपिन बैसिल, सुनिल मोतियानी, शैलेष गुप्ता, छीतर मल टेपण, शमषुद्दीन, अब्दंल नईम, श्याम प्रजापति, अब्दुल रषीद, सबा खान, यासिर चिष्ती, शैलेन्द्र अग्रवाल, अंकुर त्यागी, दिनेष शर्मा, चन्द्र शेखर काकू, सुनिल केन, चंदन सिंह चैहान, भरत धोलखेडि़या, निर्मल कुमार बैरवाल, मनोज बैरवा, मों. शाकिर, विकास अग्रवाल, कैलाष कोमल, विष्वास तंवर, सत्य नारायण डिडवानिया, हुमायु खान, षिवराज भडाणा, मनोज कंजर, रज्जाक भाटी, पूर्ण सिंह राठौड़, महेन्द्र जोधा, शांति देवी, बाल मुकंद टोक, नवीन भाटी सहित कई कांग्रेसी मौजूद थे।

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