अजमेर। गु्रप ऑफ इंटलेक्चुएल्स, अजमेर के बैनर तले आज जेएनयू कैंपस में घटित राष्ट्र विरोधी गतिविधियों और अफजल गुरू-मकबूल भट्ट जैसे दुर्दान्त आतंकवादियों के समर्थन तथा देष के टुकड़े करने जैसे नारों से देष में उपजे कटु माहौल से व्यथित अजमेर शहर के प्रबुद्ध नागरिकों के इस समूह, जिसमें प्राध्यापक, लेखक, डॉक्टर्स, इंजिनियर्स, अधिवक्ता, चार्टेड अकाउटेंट, उद्यमी एवं अन्य जागरूक बुद्धिजीवी बड़ी संख्या में शामिल है, ने भारत की एकता व अखण्डता के लिए एक विषाल मौन जुलुस गाँधी भवन से जिला कलेक्टेªट तक निकाला, जहाँ इस समूह के प्रतिनिधियों ने महामहिम राष्ट्रपति के नाम दोषी लोगों पर सख्त कानूनी कार्यवाही हेतु जिला कलेक्टर को ज्ञापन सोंपा।
दुख की बात है कि जेएनयू एवं तत्पष्चात जाधवपुर विष्वविद्यालय की इन राष्ट्रविरोधी गतिविधियों को विभिन्न राजनैतिक दलों, तथाकथित बुद्धिजीवियों तथा मीडिया कर्मियों का ‘‘अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता‘‘ के नाम पर प्रत्यक्ष-परोक्ष संबल प्राप्त है, और बौद्धिक बहस के नाम पर गैर जिम्मेदाराना बयानबाजी जारी है जिससे राष्ट्रविरोधी तत्वों को मनोवैज्ञानिक संबल व उकसावा मिलता है। यह समूह महसूस करता है कि इन राष्ट्रविरोधी तत्वों पर जब कानून अपना कार्य कर रहा है, तब इस तरह की बहस व चर्चा राष्ट्रहित में नहीं है। अफजल गुरू की फॉसी माननीय उच्चतम न्यायालय के दंडानुसार तथा महामहिम राष्ट्रपति द्वारा भी इसे यथास्वीकार करते हुए सजा मुकर्रर की। ऐसी सजा का विरोध करना स्पष्टतः संविधान व न्यायालय की अवमानना है जिसे किसी भी परिस्थिति मंे स्वीकार नहीं किया जा सकता है।
लगभग 500 बुद्धिजीवियों का यह अनुषासित मौन जुलुस शहर के व्यस्ततम गाँधी चौराहे से दो-दो की पंक्ति में ‘‘राष्ट्रीय एकता‘‘ की भावनाओं को पुष्ट करते नारों की तख्तियां व बैनर लेकर रवाना हुआ, और बिना ट्रेफिक को व्यवधान पहुँचाये जिला कलेक्टेªट तक पहुँचा। मार्ग में अनेक आमजनों तथा व्यवसायियों ने गुलाब के फूल बरसाते हुए इस मौन जुलुस को समर्थन दिया।
जिला कलेक्टेªट पर महामहिम राष्ट्रपति को दिये जाने वाले ज्ञापन को पढ़ा गया। प्रबुद्धजनों के इस समूह के संयोजक डॉ. एन. एल. गुप्ता ने अपने संबोधन में उपरोक्त के अलावा यह भी कहा कि राजनैतिक विरोध एवं मुद्दों पर बहस से देष मंे लोकतन्त्र पुष्ट होता है, किन्तु राष्ट्र के विरोध और देष को तोडने व बॉटने वाली गतिविधियों को कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता। पूर्व कुलपति प्रो. सी. बी. गैना ने षिक्षा के परिसर में ऐसी गतिविधियों पर प्रभावी अंकुष लगाने की बात कही। जेएलएन मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्राचार्य प्रो. पी. के. सारस्वत ने भी राष्ट्रीय एकता व अखण्डता की अक्षुष्णता बनाए रखने के लिए बुद्धिजीवियों के इस कदम को जन चेतना के लिए स्वागतयोग्य बताया। राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के विरोध में उमडे़ इस प्रबुद्ध नागरिकों के हुजूम पर षिक्षाविद् डॉ. कायद अली खान ने बुद्धिजीवियों को सराहते हुए मुल्क की एकता में सभी का सहयोग आवष्यक बताया। इसी तरह षिक्षाविद् डॉ. चित्रा अरोड़ा, डॉ. मनोज यादव, लेखिका ऋतु सारस्वत, एडवोकेट आर. एस. अग्रवाल, जर्नलिस्ट एस. पी. मित्तल, आर्किटेक्ट राजेष पुरोहित एवं अनेक बुद्धिजीवियों ने उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित किया।
जिला कलेक्टर डॉ. आरूषि मलिक ने इस अभुतपूर्व अनुषासित व शांतिपूर्ण मौन जुलुस की सराहना करते हुए इस बुद्धिजीवी समूह को महामहिम राष्ट्रपति महोदय को ज्ञापन अग्रेषित करने का भरोसा दिया।
डॉ. एन. एल. गुप्ता
संयोजक
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