“संघर्ष व मेंहनत से पहुंचे जमीन से शिखर तक” लेकिन सबको साथ लेकर

IMG-20160405-WA0014हमारे परिवार के प्रिय श्री सीताराम जी जीजाजी की आत्मा विगत दिवस अपनी देह का त्याग कर परमात्मा में लीन हो गई।
परिजन, मित्र व सहयोगी सभी इस शोक की घडी में शामिल हुए।
उनका सम्पूर्ण जीवन एक प्रेरणा का श्रोत रहा है। परिवारिक, व्यवसायिक, सामाजिक, धार्मिक आदि हर क्षेत्र में उन्होंने अपने जीवन काल में एक आदर्श उदाहरण प्रस्तुत किया। मैनें स्वयं उन्हें उनके माता, पिता व रामनिवास जी काकाजी सहित कई अन्य रिश्तेदारों की सेवा में सतत प्रयासरत देखा है। हर एक की जरूरत को बिना कहे भांप लेना और उसकी मदद करना उनकी प्रक्रति रही। युवावस्था में अजमेर के होली धड़ा वाले मकान से खाली हाथ मुम्बई पहुंचे तो शुरुआत में अपने कंधों पर ही कपडे के थान डाले डाले कालबादेवी के दुकानदारों को माल पहुंचाते। बाद में खादी का व्यापार, इम्पोर्ट एक्स्पोर्ट, प्रॉपर्टी डीलिंग आदि जिस भी कार्य को हाथ में लिया उसमें अपनी सूझबूझ और विवेक से सफलता की ऊंचाइयों को छूआ।
हिंदी के अलावा मारवाड़ी, मराठी, गुजराती व अंग्रेजी भाषाओं में भी दक्षता प्राप्त थी उन्हें।
व्यापार के साथ साथ अपने व्यवहार से अनगिनत मित्र और रिश्तेदारों का भी मन जीत कर उनके मन में बसे रहे। छोटों को प्यार बांटते रहे व बड़ों को आदर।
प्रारम्भ में अनंत वाड़ी की लिफ्ट में रहे, वहां से वर्ली सी फेस और अब कोलाबा की भव्य इमारत में, लेकिन अपने रोज़ मर्रा के अनुशासन को कभी नहीं तोडा। वही जमीन पर बैठ जाना और कहना “पुष्पा ला मेरी थाली ”
न ही कभी घमंड को अपने निकट आने दिया।हमेशा जमीनी हकीकत से जुड़े रहे, सादा भोजन, रोज़ मंदिर जाना और हर एक की कुशल क्षेम का ध्यान रखते रखते अब वे खुद ईश्वर की गोद में चले गए हैं।

डॉ. अशोक मित्तल
डॉ. अशोक मित्तल
में अपने तन्हाई के इन पलों में उन्हें मिस कर रहा हूँ और नम आँखों से श्रद्धांजलि स्वरुप कुछ आंसू भेंट कर रहा हूँ। दुःख की घडी में परिवार के सदस्यों से आग्रह है कि इस क्षति व रिक्तता को हिम्मत और शांति से सहन करें और उनके कार्यों व आदर्शों को और अधिक ऊंचाइयों तक ले जाने का प्रयास करें।
आप सबका : अशोक भैया।

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