शहर कांग्रेस के अध्यक्ष विजय जैन ने एक ब्यान जारी कर आरोप लगाया कि स्कूली पाठ्यक्रम में अब तक भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु को पढ़ाया जाता रहा है, लेकिन पहली बार राजस्थान में आठवी की सोशल साईंस की पुस्तक में जवाहरलाल नेहरू का जिक्र नहीं। पुस्तक में ये नहीं बताया गया कि भारत के पहले प्रधानमंत्री कौन थे और गांधी की हत्या किसने की थी। विजय जैन ने इसे षिक्षामंत्री देवनानी और राजस्थान सरकार का मानसिक दिवालियापन करार दिया और कहा कि सरकार के इस फैसले को कांग्रेस विरोध करेगी। कांग्रेस इन पुस्तकों को बाजार में बिक्री से राकने के लिये आंदोलन चलाऐगी
जैन ने कहा कि पुस्तक के संशोधित संस्करण में वीर सावरकर, महात्मा गांधी, भगतसिंह, बालगंगाधर तिलक, सुभाष चंद्र बोस आदि अन्य नामों का पहले से उल्लेख है, लेकिन नेहरू का नाम ना तो पुस्तक के स्वतंत्रता संग्राम के पाठ में और ना ही आजादी के बाद के भारत के पाठ में उल्लेखित है। उन्होने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार राजस्थान में अपना एजेंडा लागू करने में आगे बढ़ रही है और उसने देश के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले नेता जवाहर लाल नेहरू का नाम हटाकर ओछी राजनीति का उदाहरण प्रस्तुत किया है प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू का नाम स्कूली पाठ्य पुस्तकों से हटा देने का राजस्थान सरकार का कृत्य शर्मनाक है इस मुद्दे को जोरदार आंदोलन करके उठाया जायेगा।
जैन ने कहा कि राजस्थान सरकार द्वारा सिलेबस में बदलाव के नाम पर स्कूल बुक्स से कुछ मुस्लिम लेखकों की कविताएं और कहानी हटाया गया है। जिन दो लेखकों की रचनाओं को किताबों से हटाया गया है उनके नाम हश्मत चगताई और सफदर हाश्मी हैं। इसके अतिरिक्त पांचवी क्लास की टेक्स्ट बुक्स में शामिल ‘एक दिन की बादशाहत’ और ‘अजमेर की सैर’, चैथी क्लास हैं जिन्हे पाठयक्रम से हटाया गया है जिन शॉर्ट स्टोरीज को हटाया गया है उनमें खास बात यह है कि यह सभी स्टोरीज कहीं न कहीं मुस्लिमों से संबंधित हैं। इसके अलावा तीसरी क्लास में पढ़ाई जाने वाली ‘चांद की खातिर’ ‘हलीम चला चांद पर’ और ‘सूत का रेशम’ शामिल हैं।
उन्होने राज्य की बीजेपी सरकार पर शिक्षा का भगवाकरण करने का आरोप लगाते हुऐ कहा कि राजस्थान में 11वीं के स्टूडेंट अब पूर्व आरएसएस प्रमुख के एस सुदर्शन का पाठ भी पढ़ेंगे दरअसल, के एस सुदर्शन का लेख धरा और पर्यावरण राज्य के सरकारी स्कूलों के सिलेबस में शामिल किया गया है माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने इस लेख को 11वीं क्लास की हिंदी साहित्य की अपरा नामक पुस्तक में शामिल किया गया है यह लेख पर्यावरण संरक्षण को लेकर है। राष्ट्रवाद का दंभ जताने वाले आर.एस.एस. ने राष्ट्रवाद के इतिहास के सबसे बड़े तकाजे आजादी की लड़ाई से न केवल अपने को दूर रखा था, बल्कि सविनय अवज्ञा से लेकर अंग्रेजों से भारत छोड़ो आन्दोलन तक का विरोध भी किया था।
उन्होने कहा कि ऐसा लगता है की सरकार की दिलचस्पी शालाओं में शिक्षा का स्तर सुधारने के बजाये इस तरह के विवादित फैसलों को लागू करने में ज्यादा रहती है, अगर सरकार इसी तत्परता के साथ शिक्षा की स्थिति को लेकर गम्भीर होती तो प्रदेश में शिक्षा का हाल इतना बदहाल नहीं होता। साल 2005 में बनाए गए फ्रेमवर्क के मुताबिक राज्यों को यह सलाह दी गई थी कि वे सिलेबस में कई भाषाओं के शब्द रखें ताकि इससे देश की एकता को मजबूत करने में मदद मिले। सरकसर के इस कदम से लगता है कि वह समाज को बांटने में रुचि रखते हैं।
विजय जैन
अध्यक्ष: शहर जिला कांग्रेस कमेटी अजमेर
9414002529