जय जय पृथ्वीराज से गूंज उठा सभागार

नाटक ‘मत चूके चौहान‘ का हुआ प्रभावी मंचन

2अजमेर 28 मई। ‘चार बांस चौबीस गज‘ की हुँकार पर पृथ्वीराज चौहान द्वारा शब्दबेधी बाण से यवन सुुल्तान मोहम्मद गौरी का खात्मा करने और फिर चन्दबरदाई और पृथ्वीराज के जय मातृभूमि कहते हुए प्राणोत्सर्ग करने की रोमांचक घटनाओं को देखकर सूचना केन्द्र का समूचा सभागार ‘जय जय पृथ्वीराज चौहान‘ के नारों से गूंज उठा। अवसर था सम्राट पृथ्वीराज चौहान समारोह समिति के तत्वावधान में 850वीं जयंति के कार्यक्रमों की श्रृंखला में शनिवार को वरिष्ठ रंगकर्मी उमेश कुमार चौरसिया द्वारा लिखित व निर्देशित नाटक ‘मत चूके चौहान‘ केे प्रभावी मंचन का। नाट्यवृंद थियेटर अकादमी के 18 युवा कलाकारों की अभिनय क्षमता ने मंच पर पृथ्वीराज चौहान के विविध जीवन प्रसंगों को जीवन्त कर दिया। अजमेर के रंगमंच पर एक लम्बे समय के बाद ध्वनि, प्रकाश और संगीत के अनूठे तालमेल में निर्देशक उमेश कुमार चौरसिया की प्रयोगधर्मी नाट्यशैली की झलक देखने को मिली।
1‘कोई मुगल बादशाह हमारी मातृभूमि की ओर आँख उठाकर देखेगा तो हर बार उसका यही हश्र होगा‘ पृथ्वीराज की भूमिका में अंकित शांडिल्य के इस प्रभावी संवाद ने दर्शकों की खूब तालियां बटोरीं। विविध दृश्यों में संवेदनशील और शौर्यपूर्ण संवादों ने मंच पर पृथ्वीराज की शूरवीर छवि को उकेरा। पृथ्वीराज की कैद में अनुनय करते गौरी की कुटिलता और फिर पृथ्वीराज को कैद करके आँखें फोड़ देने की क्रूरता को दिखाने वाले इमरान खान के अभिनय ने दर्शकों के रोंगटे खड़े कर दिये। ‘पृथ्वीराज की कृपाण जो चमके मिट जाते हैं शुरवीर‘ जैसे जोश भर देने वाले कवित्त के साथ चन्दबरदाई के चरित्र की प्रभावी रूप में प्रस्तुत किया भवानी कुशवाहा ने। पृथ्वीराज से सदैव नफरत करने वाले जयचन्द के क्रोध और विवशता को दिखाने में सफल रहे हर्षुल मेहरा और कन्नौज महारानी की संयोगिता के पृथ्वीराज से प्रेम की पीड़ा को भावपूर्ण अभिनय में प्रस्तुत किया हेतल वर्मा ने। वृद्ध राजा अनंगपाल की भूमिका में दिनेश खण्डेलवाल और महामंत्री बने निर्मल सहवाल ने भी दर्शकों को खासा प्रभावित किया। नट और नटी बनी दीपिका वैष्णव और दीपिका अरोड़ा ने आकर्षक नृत्य की भाव-भंगिमाओं से यवन और हिन्दू सेनाओं के विविध युद्ध, राजाओं की फूट से गौरी की बढ़ी शक्ति और इसी कारण पृथ्वीराज की हार के प्रसंगों को रोचक ढ़ंग से बताया। अन्य भूमिकाओं में मोहित कौशिक, लखन चौरसिया, तन्मय शर्मा, जितेन्द्र मालावत और रामप्रसाद ने अभिनय किया।
नाटक का निर्माण प्रबन्ध डॉ. अनन्त भटनागर ने किया तथा निर्माण सहयोग अंकित शांडिल्य का रहा। सह निर्देशिका हेतल वर्मा थीं और कला निर्देशन अशोक सक्सेना ने किया। नाटक को गीत और संगीत से सजाया डॉ रजनीश चारण ने। सह गायिका दिशा रायचंदानी थीं और तबले पर राजकुमार ने संगत की। रूपसज्जा में कृष्णगोपाल पाराशर, वेशभूषा में श्रीनाथ फैन्सी ड्रेस तथा मंच व्यवस्था में वर्षा शर्मा, का विशेष सहयोग रहा। मंच संचालन डॉ पूनम पाण्डे ने किया। नाट्य प्रदर्शन में अजमेर विकास प्राधीकरण, नगर निगम, पर्यटन विभाग व मदस विश्वविद्यालय ने भी सहयोग किया। इस अवसर पर कार्यक्रम की मुख्य अतिथी महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री श्रीमती अनिता भदेल और अध्यक्षता पूर्व पी.आर.ओ. प्यारे मोहन त्रिपाठी, आर.ए.एस. सुरेश सिंधी, मोहन जी खण्डेलवाल, निदेशक पृथ्वीराज शोद्ध संस्थान म.द.स. विश्वविद्यालय अजमेर के प्रो. शिवदयाल सिंह एवं अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित थे।
इस अवसर पर अनिता भदेल ने कहा कि इस नाट्क में सभी कलाकारों ने अपनी बेहतरीन प्रस्तुति दी है। इस तरह के नाट्क को राज्यभर में मंचन कराया जाना चाहिए। जिससे आज की युवा पीढ़ी को हमारे शूरवीर की गाथा की जानकारी हो और इनके जीवन से प्रेरणा लें।

error: Content is protected !!