जेल परिसर में दिया रामदयाल जी महाराजने उद्बोद्धन

ramdayal maharajअजमेर। शुक्रवार 24 जून, 2016 सेन्ट्रल जेल में बंद अपराधियो के मानसिक सुधार एवं आध्यात्मिक जागृति हेतु साधना के युग पुरुष जगद्गुरू 1008 रामदयाल जी महाराज ने जेल परिसर में अपने आषीर्वचन से बंदियों को लाभान्वित किया। सेन्ट्रल जेल के गैर सरकारी सदर्षक उमेष गर्ग ने बताया की रामस्नेही सम्प्रदाय के पीठाधीष्वर रामदयाल जी महाराज ने कैदियों को इंसानियत और मानवता का सन्देष दिया। रामदयाल जी महाराज ने कहा की मनुष्य जीवन बड़ी मुष्किल से मिलता इसके गलत उपयोग से सम्पूर्ण मानवता शर्मसार हो सकती है अतः जीवन को सत्कर्म में लगाये। क्षणिक आवेग में, मजबूरी वष, आदतन किसी भी सुरत एवं परिस्थिति में किया गया गलत कार्य अपराध है। इससे सम्पूर्ण समाज, परिवार सभी आहत है। सभी कैदियों से आग्रह किया अपनी शक्ति को समाज और राष्ट्र के उत्थान में लगाये और कहा कि अब भी इस कारावास को कृष्ण मन्दिर समझकर अपने द्वारा किये गये अपराध का पश्चयाताप करते हुये हरि चिन्तन में लगाये अपने आचरण को आदर्ष बनाये। महाराज ने कहा कि कुण्डली में शनि, दिमाग में मनी और जहन में दुष्मनी का भाव हो तो इन्सान को कभी सही मार्ग में नहीं चल सकता ‘‘हर परिस्थिति को सहन करो चाहे परिस्थिति हो मजबूरी हो, तंगी हो, कुछ भी अपने विवके पर नियंत्रण रखते हुये अपने परिवार का, समाज का, राष्ट्र का हित सोचकर कार्य करें।‘‘ इस अवसर पर महानगर संघ चालक श्री सुनीलदत्त जैन ने अपने आरम्भिक उद्बोद्धन में कहा व्यक्ति तीन प्रकार से जीवन जीता है – 1. वैयक्तिक 2. सामाजिक 3. राष्ट्रीय। इस कारागृह के एकांतवास में हम पहले के 2 प्रकार के जीवन को संवार सकते हैं। पहला अपने इस एकांतवास में खुद की समीक्षा करें एवं कैसे अपना जीवन-चरित्र-स्वभाव-व्यवहार सद्गुण युक्त हो सकता है – इसका प्रयत्न करें। दूसरा कारागृह में अपने साथ में रहने वाले कैदियों के साथ हम अच्छा पे्रमपूर्वक व्यवहार करें, उनके काम आये, उन्हें सब प्रकार का सहयोग करें, सब अजमेर कारागृह के वातावरण को इतना अच्छा बनाये कि देष के अन्दर यह एक उदाहरण के रूप में स्थापित हो सके एवं तीसरा यहां से छूटने के बाद मेरे जीवन का कुछ अंष देष के लिए काम आ सके और भारत माता के पुत्र होने के कारण से देष हित में मैं कोई भी छोटा-बड़ा काम करूंगा – ऐसी मानसिकता निष्चय हम करें। फिर वैसी योग्यता हासिल कर देष में उत्थान व विकास में अपना सहयोग निर्धारित करें।
कार्यक्रम के आरम्भ में कैदियों की बैण्ड की टीम ने बैण्ड की समधुर ध्वनियों से आचार्य श्री रामदयाल जी महाराज का स्वागत किया तत्पष्चात् कैदियों ने समधुर भजनों की प्रस्तुति दी। उपरोक्त सत्संग में जेल अधीक्षक महोदय ने शाल ओडाकर एवं श्री सुनील दत्त जैन, आनन्द आरोड़ा, ओम प्रकाष मंगल, विष्णु प्रकाष गर्ग, लक्ष्मीनारायण हटुका, ओमप्रकाष गर्ग, श्यामसुन्दर बंसल, विनीत कृष्ण पारीक, गोविन्दराज, उमेष गर्ग ने माला पहनाकर आरती कर रामदयाल जी महाराज का अभिनन्दन किया एवं आषीर्वाद लिया।

उमेष गर्ग
गैर सरकारी संदर्षक
सेन्ट्रल जेल, अजमेर
मो. 9829793705

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